मीठी नदी से मलबे को कहां किया जाएगा शिफ्ट, कौन उठाएगा उसका खर्च, समिति करेगी तय: एनजीटी

इस समिति का गठन विशेष रूप से मीठी नदी को निर्माण और विध्वंस संबंधी कचरे से निजात दिलाने के लिए किया गया है
मुंबई में मैली होती मीठी नदी; फोटो: विकिमीडिया कॉमन्स
मुंबई में मैली होती मीठी नदी; फोटो: विकिमीडिया कॉमन्स
Published on

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने मुंबई शहर के द्वीप, साल्सेट द्वीप में स्थित मीठी नदी में डंप किए मलबे के मुद्दे पर 15 अप्रैल, 2024 को एक संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया है। इस समिति का गठन विशेष रूप से निर्माण और विध्वंस संबंधी कचरे को हटाने के लिए किया गया है। मामला महाराष्ट्र में मुंबई का है।

ट्रिब्यूनल ने समिति से साइट का दौरा करने, एक समयबद्ध कार्य योजना बनाने और एक महीने के भीतर दस्तावेज और तस्वीरों के साथ एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। इस मामले में योजना को अंतिम रूप देने से पहले समिति से आवेदकों के सुझाव सुनने को भी कहा गया है। यह देखते हुए कि बरसात का मौसम आने वाला है, समिति को रिपोर्ट एक महीने के भीतर कोर्ट में प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।

न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह के नेतृत्व में एनजीटी की पश्चिमी बेंच का इस मामले में कहना है कि समिति का उद्देश्य यह तय करना है कि यदि आवश्यकता पड़ी तो इस मलबे को कहां स्थानांतरित किया जाना चाहिए, और यदि इसे स्थानांतरित करना है तो उससे जुड़े खर्चों को कौन वहन करेगा।

गौरतलब है कि इस बारे में 28 फरवरी 2024 को महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) ने मीठी नदी में फेंके गए मलबे के कारण हुई पर्यावरणीय क्षति का आकलन करने वाली राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई) की एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है। रिपोर्ट के मुताबिक इस परियोजना पर 75 लाख रुपए का खर्च आ सकता है। हालांकि इस खर्च में जीएसटी शामिल नहीं है।

गौरतलब है कि इस बारे में अपने पिछले आदेश में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने ग्रेटर मुंबई नगर निगम (एमसीजीएम) के साथ-साथ मुंबई उपनगरीय कलेक्टर, महाराष्ट्र शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव और आरे मिल्क कॉलोनी के मुख्य कार्यकारी अभियंता को अपने प्रयासों में समन्वय करने का निर्देश दिया था।

बचने के लिए, एक दूसरे पर डाली जा रही जिम्मेवारी

हालांकि, ग्रेटर मुंबई नगर निगम और आरे प्राधिकरण द्वारा एक दूसरे पर इसकी जिम्मेवारी डालने के कारण इस आदेश का पालन नहीं किया जा सका। यह भी स्पष्ट नहीं है कि मलबा कहां शिफ्ट किया जाएगा और इसका खर्च कौन वहन करेगा।

वहीं इस बारे में आरे मिल्क कॉलोनी ने अपने हलफनामे में कहा था कि उनके पास उस स्थान से मलबा हटाने के लिए न तो पर्याप्त श्रमबल है और न ही पर्याप्त संसाधन हैं। हालांकि हलफनामे में यह स्वीकार किया गया है कि जिस क्षेत्र में यह मलबा फेंका गया है वो उनके अधिकार क्षेत्र में आता है।

बता दें कि एनजीटी ने मुंबई के आरे जंगल में मीठी नदी के किनारे मलबा डाले जाने के मामले की जांच के लिए तीन जुलाई, 2023 को एक संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया था। इस तरह की डंपिंग, निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के तहत निषिद्ध है। इस समिति में ग्रेटर मुंबई नगर निगम (एमसीजीएम), महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी), और मुंबई उपनगर कलेक्टर कार्यालय के प्रतिनिधि शामिल थे।

इस बारे में एक एनजीओ वनशक्ति ने एनजीटी के समक्ष एक शिकायत दायर की थी। इस शिकायत में उन्होंने ट्रिब्यूनल को जानकारी दी थी कि अधिकारियों को मीठी नदी के किनारे मलबे की होती अवैध डंपिंग के बारे में सूचित किया गया था, लेकिन इसके बावजूद वहां कोई कार्रवाई नहीं की गई।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in