नवजातों के लिए वरदान साबित हुआ स्वच्छ भारत अभियान, सालाना 70,000 हजार की बचाई जान

अध्ययन के मुताबिक शौचालय तक पहुंच में 30 फीसदी या उससे अधिक की वृद्धि के साथ शिशुओं और बच्चों की मृत्युदर में उल्लेखनीय कमी आई है
एनएसएसओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश भर में 71.3 प्रतिशत घरों में शौचालय हैं। फोटो: विकास चौधरी
एनएसएसओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश भर में 71.3 प्रतिशत घरों में शौचालय हैं। फोटो: विकास चौधरी
Published on

एक अंतराष्ट्रीय अध्ययन में खुलासा किया है कि भारत की महत्वाकांक्षी योजना “स्वच्छ भारत मिशन” के तहत बनाए शौचालयों की मदद से हर साल 60 से 70 हजार नवजातों के जीवन को बचाने में मदद मिली है। इतना ही नहीं इसकी वजह से शिशु मृत्यु दर में भी तेजी से कमी आई है।

इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टिट्यूट, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया और द ऑहियो स्टेट यूनिवर्सिटी से जुड़ी शोधकर्ता सुमन चक्रवर्ती, सोयरा गुने, टिम ए ब्रुकनर, जूली स्ट्रोमिंगर और पार्वती सिंह द्वारा किए इस अध्ययन के नतीजे अंतराष्ट्रीय जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुए हैं।

गौरतलब है कि अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पिछले दस वर्षों (2011-2020) के बीच देश के 640 जिलों से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया है। यह आंकड़े 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किए राष्ट्रीय सर्वेक्षणों से जुटाए गए थे।

इसके साथ ही इस अध्ययन में स्वच्छ भारत अभियान के तहत बनाए शौचालय और उनकी उपलब्धता के साथ 2000 से 2020 के बीच पांच वर्ष से कम आयु के शिशुओं और बच्चों की मृत्युदर में आए कमी के बीच के संबंधों की जांच की है।

इस अध्ययन के जो नतीजे सामने आए हैं, उनसे पता चला है कि जिला स्तर पर शौचालय तक पहुंच में औसतन 10 फीसदी के सुधार के साथ शिशु मृत्यु दर में 0.9 अंकों की कमी आई है। वहीं इसकी वजह से पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में 1.1 अंकों की गिरावट आई है।

अध्ययन में यह भी सामने आया है कि शौचालय तक पहुंच और बच्चों की मृत्यु दर में विपरीत सम्बन्ध है। नतीजे दर्शाते हैं कि शौचालय तक पहुंच में 30 फीसदी या उससे अधिक की वृद्धि के साथ शिशुओं और बच्चों की मृत्युदर में उल्लेखनीय कमी आई है।

वैश्विक स्तर पर देखें तो स्वास्थ्य क्षेत्र में हो रहे निवेश और प्रयासों से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में बाल मृत्यु दर में अच्छी खासी गिरावट आई है। इसके बावजूद आंकड़ों पर नजर डालें तो दुनिया भर में पांच वर्ष से कम आयु के 54 लाख बच्चों को सालाना असमय अपनी जान गंवानी पड़ रही है। इनमें से 20 फीसदी मौतें भारत में सामने आती हैं।

देश के लिए बड़ी उपलब्धि है खुले में शौच से मुक्ति

ऐसे में बच्चों के स्वास्थ्य में आता सुधार न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में बाल मृत्यु दर को कम करने की कुंजी है।

गौरतलब है कि स्वच्छ भारत अभियान भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है। इस अभियान की शुरूआत दो अक्टूबर 2014 को की गई थी। बता दें कि यह दुनिया का सबसे बड़ा स्वच्छता मिशन है। इसका लक्ष्य अक्टूबर, 2019 तक देश में हर घर तक शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराना था, ताकि देश को खुले में शौच जैसी कुप्रथा से मुक्त (ओडीएफ) किया जा सके।

इस अभियान के तहत 2019 तक 10.9 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया है। वहीं छह लाख से अधिक गांवों को अब तक खुले में शौच मुक्त घोषित किया जा चुका है। इसकी वजह से न केवल स्वच्छ के क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

इसके साथ ही स्वास्थ्य के साथ-साथ सामाजिक आर्थिक रूप से भी लाभ पहुंचा है। रिसर्च से पता चला है कि स्वच्छता सुविधाओं में विस्तार के कारण 93 फीसदी महिलाएं घर पर सुरक्षित महसूस करती हैं।

अध्ययन के मुताबिक 2014 से 2020 के बीच शौचालय की उपलब्धता बढ़कर दोगुनी हो गई। इसी तरह अभियान के पहले पांच वर्षों में खुले में शौच का जो आंकड़ा 60 फीसदी था, वो घटकर 19 फीसदी पर पहुंच गया। बता दें कि देश में खुले में शौच एक बड़ी समस्या था, जो वर्षों से चली आ रही थी। लेकिन इस अभियान ने इस कुप्रथा के उन्मूलन में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।

इस बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा है कि भारत में स्वच्छ भारत अभियान सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गेम चेंजर बन गई है। उनका आगे कहना है कि, "शौचालयों तक पहुंच ने शिशु और बाल मृत्यु दर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मुझे खुशी है कि भारत इसमें सबसे आगे है।"

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in