एनजीटी में रिपोर्ट पेश, तमिलनाडु के सेक्कडु में संभव नहीं बायोमाइनिंग

स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत अवाडी में 8 नए माइक्रो कम्पोस्टिंग सेंटर्स का निर्माण जारी, कचरा प्रबंधन पर नगर निगम ने एनजीटी में पेश की विस्तृत रिपोर्ट
भारत में बढ़ता प्लास्टिक कचरा एक बड़ी समस्या बन चुका हो जो पर्यावरण के साथ-साथ, स्वास्थ्य को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
भारत में बढ़ता प्लास्टिक कचरा एक बड़ी समस्या बन चुका हो जो पर्यावरण के साथ-साथ, स्वास्थ्य को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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तमिलनाडु के सेक्कडु स्थित अवाडी नगर निगम का कम्पोस्ट यार्ड फिलहाल गीले और सूखे दोनों प्रकार के कचरे के लिए लैंडफिल के रूप में इस्तेमाल हो रहा है। अवाडी नगर निगम द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में सौंपी रिपोर्ट के मुताबिक, शहर में हर दिन करीब 180 मीट्रिक टन कचरा पैदा होता है, जिसमें से 60 मीट्रिक टन गीले कचरे का निपटान 15 माइक्रो कम्पोस्टिंग सेंटर्स में किया जा रहा है।

यह जानकारी तमिलनाडु में तिरुवल्लूर जिले के अवाडी नगर निगम द्वारा 2 जुलाई, 2025 को दायर रिपोर्ट में साझा की गई है।

स्वच्छ भारत मिशन के तहत नया निर्माण जारी

रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी गई है कि वहां स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत 8 नए माइक्रो कम्पोस्टिंग सेंटर्स के निर्माण का कार्य चल रहा है, जिसकी अनुमानित लागत 460 लाख रुपए है। इनके शुरू होने पर अतिरिक्त 32 मीट्रिक टन गीले कचरे का निपटान संभव हो सकेगा।

सेक्कडु डंप साइट की चारदीवारी (कंपाउंड वॉल) का एक हिस्सा बन चुका है, और बाकी हिस्से के लिए एक करोड़ रुपए की लागत का प्रस्ताव तैयार किया गया है, जिसकी जल्द ही स्वीकृति मिलने की उम्मीद है।

इससे पहले राजा मणि नामक आवेदक ने एनजीटी में याचिका दायर कर नगर निगम को कचरा जलाने से रोकने, चारदीवारी का निर्माण सुनिश्चित करने, और नियमों के अनुसार ठोस कचरे के उचित निपटान के निर्देश देने की मांग की थी।

पुराने कचरे पर जैव खनन संभव नहीं

ऐसे में एनजीटी ने अवाडी नगर निगम को लम्बे समय से जमा कचरे (लीगेसी वेस्ट) की मात्रा निर्धारित करने और डीपीआर तैयार होने के बाद जैव-खनन के बारे में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

अन्ना यूनिवर्सिटी के पर्यावरण अध्ययन केंद्र द्वारा किए गए निरीक्षण में पाया गया कि डंपयार्ड का 90 फीसदी हिस्सा ताजा कचरे से भरा है, इसलिए अवाडी निगम की इस डंपसाइट पर इस समय बायोमाइनिंग संभव नहीं है।

एनजीटी के 15 अप्रैल 2025 के आदेश के बाद, अवाडी के चोझाम्बेदु और सेक्कडु गांवों में स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत माइक्रो कम्पोस्टिंग सेंटर बनाए गए हैं। इसके अलावा, एक 50 टन प्रति दिन (टीपीडी) क्षमता वाली मैटेरियल रिकवरी फैसेलिटी (एमआरएफ) भी शुरू की गई है।

अवाडी नगर निगम क्षेत्र में 17,000 घरों के लिए 102.36 किलोमीटर की सीवरेज पाइपलाइन बिछाने का कार्य भी जारी है। शेष क्षेत्रों के लिए डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तमिलनाडु वॉटर इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन द्वारा तैयार की जा रही है। इसके पूरा होने पर तीन वर्षों में पूरे शहर को भूमिगत सीवरेज नेटवर्क से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।

हावड़ा में कचरे के ढेर पर कोर्ट का सख्त रुख, नगर निगम से मांगी रिपोर्ट

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पूर्वी बेंच ने आदेश का पालन न करने के लिए हावड़ा नगर निगम पर नाराजगी जताते हुए फटकार लगाई है।

गौरतलब है कि नगर निगम ट्रिब्यूनल द्वारा 27 मार्च 2025 को दिए गए आदेश का पालन करने में विफल रहा है। उस आदेश में अदालत ने लिचुबागान पुलिस क्वार्टर्स के पास लंबे समय से हो रहे कचरा की डंपिंग पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी थी।

अपने आदेश में ट्रिब्यूनल ने हावड़ा नगर निगम को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि क्षेत्र में हर दिन साफ-सफाई बनी रहनी चाहिए। साथ ही नगर निगम ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 का भी सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।

वहीं इस मामले में दाखिल शिकायत में कहा गया है कि आवेदक के घर और पुलिस क्वार्टर्स के बीच की खाली सरकारी जमीन को वर्षों से स्थानीय लोग अवैध रूप से कचरा डंपिंग ग्राउंड के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।

शिकायत में इस बात का भी जिक्र किया गया कि पुलिस क्वार्टर्स के शौचालय गड्ढे और चैंबर्स क्षतिग्रस्त हैं, जिससे गंदा पानी बहकर नगर निगम की नालियों में मिल रहा है। इसकी वजह से क्षेत्र में पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा हो रहा है।

गंगा से जुड़ी नहर में प्रदूषण पर एनजीटी सख्त, मुख्य सचिव से मांगी रिपोर्ट

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 2 जुलाई 2025 को पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को आदेश दिया कि वे दानकुनी नगरपालिका क्षेत्र से अवैध गौशालाएं हटाने की कार्रवाई पर व्यक्तिगत हलफनामा और कार्यवाही रिपोर्ट चार सप्ताह के भीतर पेश करें।

यह मामला 'तारकेश्वर ग्रीन मेट्स' द्वारा दायर याचिका पर आधारित है, जिसमें कहा गया कि हुगली जिले की दानकुनी नहर (जिसे डीवीसी नहर भी कहा जाता है) जो गंगा नदी से जुड़ी है, वहां कई अस्थाई गौशालाओं से नियमित रूप से गोबर डाला जा रहा है। इससे नहर लगभग पूरी तरह से बंद हो गई है और उसमें पानी का बहाव लगभग रुक सा गया है। आरोप है कि यह गौशालाएं अवैध रूप से चल रही हैं।

एनजीटी ने 11 सितंबर, 2023 को अवैध खटालों को हटाने के निर्देश दिए थे।

2 जुलाई, 2025 को एनजीटी ने हुगली के जिला मजिस्ट्रेट और कलेक्टर के हलफनामे का हवाला देते हुए कहा कि दानकुनी नगरपालिका ने 2 सितंबर 2024 को आदेश जारी कर अवैध खटाल मालिकों को अपनी गौशालाएं बंद करने और ढांचे हटाने का निर्देश दिया था। ऐसा न करने पर प्रशासन की मदद से ढांचे गिराने की चेतावनी दी गई थी।

हालांकि, कोर्ट को बताया गया कि चंदननगर पुलिस आयुक्त को कई बार सहायता देने के लिए पत्र लिखा गया, लेकिन पुलिस कमिश्नर से सहयोग नहीं मिल रहा है। इससे एनजीटी, सुप्रीम कोर्ट और जिला प्रशासन के आदेशों का पालन करने में बाधा आ रही है।

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