अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 का पालन नहीं कर रहा भोपाल नगर निगम: सर्वोच्च न्यायालय

सर्वोच्च न्यायालय ने निगम द्वारा दायर हलफनामे पर गौर करने के बाद कहा है कि भोपाल नगर निगम द्वारा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के प्रावधानों का पालन नहीं किया जा रहा है
अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 का पालन नहीं कर रहा भोपाल नगर निगम: सर्वोच्च न्यायालय
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सर्वोच्च न्यायालय ने एक दिसंबर, 2023 को निगम द्वारा दायर हलफनामे पर गौर करने के बाद कहा है कि भोपाल नगर निगम द्वारा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के प्रावधानों का पालन नहीं किया जा रहा है। वहीं भोपाल नगर निगम की ओर से परिषद ने विस्तृत जानकारी के साथ एक बेहतर हलफनामा प्रस्तुत करने के लिए कोर्ट से अतिरिक्त समय मांगा है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस हलफनामे को दायर करने के लिए दो महीनों का समय दिया है। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा है कि जब नगर निगम एक बेहतर हलफनामा प्रस्तुत करता है, तो ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 का पालन किया जा रहा है या नहीं इसकी पुष्टि के लिए एक "विशेषज्ञ एजेंसी" को सूचीबद्ध किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने निगम को यह भी चेतावनी दी है कि इसके लिए आगे कोई और समय नहीं दिया जाएगा। इस मामले में अगली सुनवाई 23 फरवरी, 2024 को होगी।

दिल्ली में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के संबंध में एनजीटी ने डीजेबी और डीडीए को जारी किए नोटिस

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) सहित अन्य को एक दिसंबर को नोटिस जारी किए हैं। यह नोटिस दिल्ली में बारिश के पानी को एकत्र करने के लिए प्रणाली (आरडब्ल्यूएचएस) स्थापित करने के सम्बन्ध में कोर्ट के निर्देशों का पालन न करने के संबंध में जारी किए गए हैं।

इस मामले में कोर्ट द्वारा लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के साथ केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए), नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी), दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी), और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को भी नोटिस जारी किए गए हैं।

इस मामले में शामिल लोगों को कोर्ट ने 12 फरवरी, 2024 को आगामी सुनवाई से एक सप्ताह पहले अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। बता दें कि महेश चंद्र सक्सेना ने 11 सितंबर, 2019 को जारी एनजीटी के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एक निष्पादन आवेदन दायर किया था।

इस आदेश में, एनजीटी ने निर्देश दिया है कि आरडब्ल्यूएचएस प्रणाली को बरसाती पानी की नालियों से दूर स्थापित किया जाना चाहिए, जिससे वाटर रिचार्ज के दौरान भूजल प्रदूषण को रोका जा सके।

साथ ही कोर्ट का कहना है कि भूजल के स्तर और रिचार्ज किए गए पानी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए आरडब्ल्यूएचएस के पास पीजोमीटर स्थापित किए जाएं। साथ ही रिचार्जिंग से पहले प्रदूषकों को अलग करने के लिए विभाजक स्थापित किए जाने चाहिए। इसके साथ ही बोरवेल की गहराई स्थिर जल स्तर से कम से कम पांच मीटर ऊपर होनी चाहिए।

इस आदेश में, एनजीटी ने निर्देश दिया है कि आरडब्ल्यूएचएस प्रणाली को बरसाती पानी की नालियों से दूर स्थापित किया जाना चाहिए, जिससे वाटर रिचार्ज के दौरान भूजल प्रदूषण को रोका जा सके। साथ ही कोर्ट का कहना है कि भूजल के स्तर और रिचार्ज किए गए पानी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए आरडब्ल्यूएचएस के पास पीजोमीटर स्थापित किए जाएं।

साथ ही रिचार्जिंग से पहले प्रदूषकों को फिल्टर  करने के लिए विभाजक स्थापित किए जाने चाहिए। इसके साथ ही बोरवेल की गहराई स्थिर जल स्तर से कम से कम पांच मीटर ऊपर होनी चाहिए। वहीं जो आरडब्ल्यूएचएस इसका पालन नहीं कर रहे हैं उन्हें बंद कर दिया जाना चाहिए। ये 11 सितंबर, 2019 को अदालत के प्रमुख निर्देश थे। आवेदक के वकील का कहना है कि उपरोक्त किसी भी निर्देश का पालन नहीं किया गया है।

बागमती नदी के पास नहीं है कोई डंप साइट: दरभंगा नगर निगम आयुक्त

दरभंगा नगर निगम आयुक्त ने पुष्टि की है कि बागमती नदी के पास डंप साइट्स या वर्षों से जमा कचरा नहीं है। मामला गंगा की सहायक नदियों से जुड़ा है। वहीं इस मामले में बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (बियाडा) के उप महाप्रबंधक ने स्पष्ट किया है कि दरभंगा जिले में बियाडा के औद्योगिक क्षेत्रों में किसी भी इकाई से किसी भी नदी में कोई अपशिष्ट नहीं छोड़ा जाता है।

यह बातें नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा 18 सितंबर, 2023 को दिए आदेश पर बिहार की जिला गंगा संरक्षण समिति की ओर से दायर जवाबी हलफनामे में कही गई हैं। बता दें कि गंगा नदी दरभंगा से करीब 55 से 60 किलोमीटर दूर बहती है।

इसके अतिरिक्त, मिथिला वन प्रभाग के प्रभागीय वन पदाधिकारी का कहना है कि जल जीवन हरियाली योजना और कैम्पा योजना के तहत प्रभाग में गंगा की सहायक नदियों के किनारे हर साल वृक्षारोपण गतिविधियां की जाती हैं। एक दिसंबर 2023 की रिपोर्ट में इस बात की भी पुष्टि की गई है कि जिले के भीतर गंगा नदी के अपने मूल मार्ग से हटने की कोई संभावना नहीं है।

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