नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए लुधियाना नगर निगम पर लगाया 100 करोड़ का जुर्माना लगाया है। गौरतलब है कि यह जुर्माना ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमों का पालन न कर पाने के लिए लगाया गया है, जिसकी वजह से 20 अप्रैल 2022 को लुधियाना के ताजपुर रोड पर डंप साइट में आग लग गई गई थी। इस आग में एक ही परिवार के सात लोगों की मौत हो गई थी।
अपने 25 जुलाई 2022 को दिए आदेश में कोर्ट ने नगर निगम को एक महीने के भीतर इस राशि को जिला मजिस्ट्रेट के पास जमा करने का निर्देश दिया है। इस राशि का उपयोग रिपोर्ट के अनुसार बताए उपचारात्मक उपायों के लिए किया जाएगा, जिसकी निगरानी समिति करेगी। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यदि नगर निगम इस जुर्माने को भरने में असमर्थ है तो इसकी भरपाई राज्य सरकार को करनी होगी।
गौरतलब है कि इस मामले की कार्रवाही इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के प्रकाश में शुरू की गई थी। जिसमें लुधियाना के ताजपुर रोड में एक डंप साइट पर लगी आग में सात लोगों की मौत की बात कही थी। जानकारी मिली है कि इस आग में एक ही परिवार के सात लोगों की मौत हो गई थी। यह परिवार कचरा बीनने का काम करता है और पिछले दस वर्षों से इस 20 लाख टन के विशाल डंप साइट के पास रह रहा था। मृतकों की पहचान सुरेश (55), उनकी पत्नी रोना रानी (50) और उनके बच्चे राखी (15), मनीषा (10), चांदनी (5), गीता (6) और सनी (2) के रूप में हुई है।
इस मामले में ट्रिब्यूनल के आदेश पर गठित मॉनिटरिंग कमेटी ने 15 मई, 2022 को सबमिट अपनी रिपोर्ट में कहा था कि लुधियाना नगर निगम और अन्य राज्य प्राधिकरण लोगों को एक स्वच्छ वातावरण देने में विफल रहे हैं। साथ ही नगर निगम न केवल लुधियाना में बल्कि शहर में अन्य जगहों पर भी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (एसडब्ल्यूएम) नियमों का पालन करने में विफल रहा है।
लुधियाना में केवल 49 फीसदी कचरे का हो रहा है ट्रीटमेंट
समिति ने अपनी रिपोर्ट में एनजीटी को जानकारी दी है कि लुधियाना में हर दिन पैदा होने वाले 1,100 टन गीले और सूखे कचरे के केवल एक छोटे हिस्से (49 फीसदी) का ही ट्रीटमेंट किया जा रहा है, जिसकी वजह से वहां कचरे का विशाल ढेर लग गया है। जानकारी मिली है कि करीब 25 से 30 लाख टन कचरा लुधियाना में 52 एकड़ भूमि पर डंप किया हुआ है। हालांकि उसके उपचार के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में पटियाला, फतेहगढ़ साहिब, संगरूर और मलेरकोटला, एसबीएस नगर, मानसा, रोपड़, गुरदासपुर, पठानकोट, फाजिल्का और श्री मुक्तसर साहिब की नगर परिषदों में भी नियमों का पालन न करने की बात कही है। ऐसे में एनजीटी ने संबंधित अधिकारियों को निगरानी समिति द्वारा सबमिट रिपोर्ट में प्रस्तुत सिफारिशों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
अपने आदेश में कोर्ट ने डंप साइट में लगी आग से मरने वालों के परिजनों को भी मुआवजा देने की बात कही है। कोर्ट ने मरने वाले 50 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए 10 लाख रुपए और 20 से कम वर्ष की आयु के लोगों को 7.5 लाख रुपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया है। मुआवजे की यह राशि एक महीने के भीतर मृतकों के परिजनों को दी जाएगी।
देश में कचरा प्रबंधन पर बड़ा सवाल खड़ा करती हैं इस तरह की घटनाएं
एनजीटी ने लुधियाना नगर निगम को इस तरह की दुर्घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक सुविधाओं और बुनियादी ढांचे में सुधार की बात कही है। कोर्ट के अनुसार लम्बे समय से जमा यह कचरा पहले ही नियमों की तय सीमा को पार कर चुका है, जिसका अब बिना देरी के निपटान किया जाना चाहिए।
इसके साथ-साथ कोर्ट ने अपने आदेश में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को भी देश में दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में जमा कचरे और डंप साइट की जानकारी एकत्र करने के लिए कहा है। साथ ही तय समय सीमा के भीतर आग प्रबंधन योजनाओं को तैयार करने और उनके क्रियान्वयन का निर्देश दिया है।
इसके साथ-साथ कोर्ट ने अपने आदेश में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को भी देश में दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में जमा कचरे और डंप साइट की जानकारी एकत्र करने के लिए कहा है। साथ ही तय समय सीमा के भीतर आग प्रबंधन संबंधी योजनाओं को तैयार करने और उनके क्रियान्वयन का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि दिल्ली के गाजीपुर और भलस्वा डंप साइट में लगी आग की तीन घटनाओं में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर हो गई थी। देखा जाए तो देश में होती इस तरह की घटनाएं अपने आप में इन डंप साइट और कचरे के होते प्रबंधन पर बड़ा सवाल खड़ा करती हैं।