एनजीटी : तेलंगाना पर 3800 करोड़ रुपए का जुर्माना, सीवेज और कचरा निस्तारण न करने पर लगेगा यह फार्मूला

तेलंगाना पर 2 करोड़ रुपए प्रति एमएलडी सीवेज और 300 करोड़ रुपए प्रत्येक टन ठोस कचरे के हिसाब से यह पर्यावरणीय जुर्माना तय किया गया है
File Photo: CSE
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सीवेज और ठोस कचरे का नियमों और मानकों पर समयबद्ध तरीके से निपटान न किए जाने को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सख्ती जारी है। एनजीटी ने तेलंगाना सरकार को 3800 करोड़ रुपए का पर्यावरणीय जुर्माना लगाया है।

सीवेज और ठोस कचरा निस्तारण के मामले में एनजीटी की ओर से अब तक का यह सबसे बड़ा जुर्माना है। इसी वर्ष एनजीटी ने पश्चिम बंगाल पर सीवेज और ठोस कचरे के निपटारे संबंधी आदेशों का पालन न करने पर 3000 करोड़ रुपए का पर्यावरणीय जुर्माना लगाया था।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने 01 अक्तूबर, 2022 को तेलंगाना सरकार पर यह जुर्माना लगाया है।

जुर्माने की इतनी बड़ी राशि का आधार सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के एक पुराने फैसले के आधार पर तैयार किया गया है।

2 सितंबर, 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने अलमित्रा पटेल और 22 फरवरी, 2017 को पर्यावरण सुरक्षा मामले में यह फैसला सुनाया था कि अपशिष्ट उपचार संबंधी तय टाइमलाइन का उल्लंघन करने और 31 मार्च, 2020 के बाद से वाटर पॉल्यूशन कंट्रोल करने वाली डिवाइस के आधार पर राज्यों पर जुर्माने की राशि को तय किया जाना चाहिए।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ध्यान में रखते हुए एनजीटी एक्ट की धारा 20 के तहत पॉल्यूटर पे सिद्धांर के आधार पर जुर्माने की यह राशि तय कर रहा है।

तेलंगाना सरकार पर लगाए गए जुर्माने को लेकर एनजीटी ने 1 सितंबर, 2022 को पश्चिम बंगाल के मामले में अपने आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि तरल कचरे का निपटारा न करने के लिए 2 करोड़ रुपए प्रति एमएलडी और ठोस कचरे का निपटान न करने के लिए प्रत्येक मिट्रिक टन पर 300 करोड़ रुपए जुर्माना तय किया गया है।

इस आधार पर तेलंगाना पर 1824 एमएलडी सीवेज का उपचार न करने के लिए 3648 करोड़ रुपए और 141 शहरी निकाय (यूएलबी) के 59 लाख टन लीगेसी वेस्ट का उपचार न करने के लिए 177 करोड़ रुपए यानी कुल 3800 करोड़ रुपए का पर्यावरणीय जुर्माना लगाया जाता है।

पीठ ने तेलंगाना के 59 लाख टन लीगेसी वेस्ट का जोड़ 114 शहनी निकायों के 2446 टन प्रतिदिन कचरा निकासी के आधार पर जोड़ा। वहीं, यह गौर किया कि ग्रेटर हैदराबाद म्यूनिसिपल कारपोरेशन (जीएचएमसी) ने जवाहरनगर डंपसाइट पर 12 लाख टन लीगेसी वेस्ट को डंप कर रखा है जो कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों पर खरा नहीं है।

पीठ ने कहा कि तेलंगाना सरकार ट्रिब्यूनल के आदेशों को पालन गंभीरता से नहीं कर रही है। तीन साल बीत गए लेकिन आदेशों का पालन नहीं किया गया। न ही परफॉरमेंस ऑडिट किया गया और न ही किसी तरह के जुर्माने का पालन ही किया गया।

पीठ ने कहा कि तेलांगाना सरकार जुर्माने की राशि अगले दो महीनों के भीतर दो विभिन्न खातों में जमा करे। वहीं, जुर्माने की इस राशि का इस्तेमाल मुख्य सचिव करेंगे। इन खातों का संचालन पर्यावरणीय क्षति के पुनरुद्धार कार्यों के लिए किया जाएगा।

राज्य प्रत्येक छह महीने पर प्रगति रिपोर्ट ट्रिब्यूनल में दाखिल करेगी। साथ ही मुख्य सचिव सुधार और उपचार से संबंधित कदम शीघ्र से शीघ्र उठाएंगे।

28 सितंबर, 2022 को तेलंगाना के मुख्य सचिव ने ट्रिब्यूनल को सीवेज और सालिड वेस्ट मैनेजमेंट की प्रगति रिपोर्ट पेश की थी, ट्रिब्यूनल ने गौर किया था कि सीवेज और ठोस कचरे के निस्तारण को लेकर खास प्रगति नहीं हुई है।

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