
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने 28 जनवरी, 2025 को अफ्रीका में अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़ी सर्वोत्तम प्रथाओं पर एक नई रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में आयोजित एक प्रमुख सम्मेलन के दौरान जारी की गई।
सर्कुलर इकोनॉमी के लिए बनाए शहरों के वैश्विक मंच (जीएफसीसीई) की यह सातवीं बैठक 28 से 29 जनवरी के बीच हो रही है। इसका आयोजन सीएसई और दक्षिण अफ्रीका के वानिकी, मत्स्य पालन और पर्यावरण विभाग (डीएफएफई) द्वारा किया जा रहा है।
इस बैठक का उद्देश्य अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार के लिए ग्लोबल साउथ के देशों के बीच आपसी सहयोग को मजबूत करना है, ताकि सभी देश बढ़ते कचरे की समस्या से उबर सकें।
इस अखिल अफ्रीकी बैठक में 18 अफ्रीकी देशों - बोत्सवाना, कैमरून, कोटे डी आइवर, इथियोपिया, इस्वातिनी, घाना, केन्या, लेसोथो, मेडागास्कर, मोजाम्बिक, नामीबिया, रवांडा, सेनेगल, दक्षिण अफ्रीका, तंजानिया, युगांडा, जाम्बिया और जिम्बाब्वे के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।
इस बारे में सीएसई की ओर से जारी एक बयान में सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा, सर्कुलर इकॉनमी सिर्फ एक ट्रेंडी आइडिया नहीं है; यह ऐसी प्रथा है जो कचरे को कंचन में बदलने में मदद करती है।"
उनके मुताबिक दक्षिण के देशों को इस विचार को अपनाने की जरूरत है, क्योंकि यह हमेशा से हमारी जीवनशैली का हिस्सा रही है। हमने हमेशा से पुनः उपयोग, कटौती और पुनर्चक्रण पर जोर दिया है।
एक दूसरे से सीखने की है दरकार
दक्षिण अफ्रीका में डीईएफई के उप मंत्री बर्निस स्वार्ट्स ने सीएसई महानिदेशक सुनीता नारायण के साथ कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह के दौरान कहा, "जीएफसीसीई अफ्रीका में सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ाने के साझा लक्ष्य के लिए देशों को एक साथ लाकर दक्षिण के देशों के बीच सहयोग पर प्रकाश डालता है।"
2021 में शुरू होने के बाद से, इस फोरम में 22 सदस्य देश शामिल हो चुके हैं। इनमें से 18 अफ्रीकी और चार दक्षिण-पूर्व एशिया के देश हैं। यह मंच हर देश के लक्ष्यों, नीतियों और प्राथमिकताओं से मेल खाने वाले सर्कुलर इकोनॉमी विचारों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। बैठक फोरम की प्रगति और इन विचारों को अमल में लाने के लिए बेहतर मॉडल के विकास पर ध्यान केंद्रित करेगी।
समय के साथ, समुदाय ने एक साझा एजेंडा तैयार किया है। इसके तहत कचरा बीनने वालों को इस प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा, साथ ही सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। इसका एक मुख्य लक्ष्य अफ्रीका में आंकड़ों के प्रबंधन से जुड़ी प्रणाली स्थापित करना है, जो भारत के स्वच्छ सर्वेक्षण से प्रेरित है। यह दुनिया का सबसे बड़ा स्वच्छता सर्वेक्षण भी है।
सीएसई में म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट एंड सर्कुलर इकोनॉमी यूनिट के कार्यक्रम निदेशक अतिन बिस्वास ने कहा, "सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति और डेटा-संचालित दृष्टिकोण की बदौलत भारतीय शहरों ने पिछले दस वर्षों में कचरा प्रबंधन की दिशा में असाधारण प्रगति की है। इस मंच के माध्यम से, हमारा लक्ष्य दक्षिण के अन्य देशों के साथ भारत के स्वच्छ सर्वेक्षण के अनुभवों को साझा करना है।"
यह फोरम देशों को एक-दूसरे से सीखने और ज्ञान के आदान-प्रदान में भी मदद करती है। उदाहरण के लिए, पूर्वी अफ्रीकी देशों जैसे तंजानिया, केन्या, युगांडा और रवांडा ने दिखाया है कि प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध कारगर हो सकता है। इन अनुभवों को भारत सहित अन्य सदस्यों के साथ साझा किया गया है, ताकि सिंगल यूज प्लास्टिक की पहचान करने और उसे चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की योजना बनाने में मदद मिल सके।
2050 तक उप-सहारा अफ्रीका में तीन गुणा बढ़ जाएगा कचरा
अफ्रीका संसाधनों से समृद्ध एक ऐसा महाद्वीप जो अनगिनत समस्याओं से भी जूझ रहा है। इनमें से एक चुनौती है तेजी से बढ़ता कचरा। आंकड़ों पर नजर डालें तो उप-सहारा अफ्रीका में 2050 तक तीन गुणा अधिक शहरी कचरा पैदा हो सकता है, आशंका है कि यह कचरा 2016 में 17.4 करोड़ टन से बढ़कर 2050 तक 52.2 करोड़ टन पर पहुंच जाएगा।
मौजूदा समय में इस कचरे का करीब 70 फीसदी हिस्सा बिना निपटान के ऐसे ही खुले में फेंका जा रहा है। इससे न केवल पर्यावरण को गंभीर तौर पर नुकसान हो रहा है, साथ ही आर्थिक समस्याएं भी पैदा हो रही हैं। ऐसे में इससे निपटने के लिए सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इसके तहत न केवल कचरे को कम किया जाता है साथ ही इसका दोबारा उपयोग भी किया जाता है।
सीएसई के कार्यक्रम प्रबंधक सिद्धार्थ जी सिंह का कहना है कि, "फोरम के सदस्य प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी वैश्विक संधि विकसित करने के लिए अंतर-सरकारी वार्ता समिति में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। भारत प्रतिबंधों को लागू करने के बारे में पूर्वी अफ्रीकी देशों से सीख सकता है, वहीं अफ्रीकी देश भी सिंगल यूज प्लास्टिक के लिए नियम बनाने के भारत के दृष्टिकोण से सीख सकते हैं।"
गौरतलब है कि जीएफसीसीई ने सदस्य देशों के बीच ज्ञान को साझा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 2023 में दक्षिण के 18 देशों से जुड़े प्रतिनिधियों ने अपशिष्ट प्रबंधन में अनौपचारिक क्षेत्र को शामिल करने के तरीके सीखने के लिए पुणे का दौरा किया।
सीएसई की कार्यक्रम प्रबंधक माउ सेनगुप्ता ने कहा, "जीएफसीसीई के माध्यम से हमारा लक्ष्य ऐसी नीतियां बनाना है, जो कचरा बीनने वालों को औपचारिक प्रणालियों में शामिल कर सकें, ताकि निष्पक्ष और समावेशी बदलाव सुनिश्चित हो सके। यह अफ्रीका के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहां अनौपचारिक क्षेत्र कचरा प्रबंधन में बड़ी भूमिका निभाता है। अकेले दक्षिण अफ्रीका में, लगभग 60,000 से 90,000 अनौपचारिक कचरा बीनने वाले हैं।"
जीएफसीसीई समुदाय इस बात पर जोर देता है कि कचरा प्रबंधन में तकनीकी चुनौतियां शामिल हैं, लेकिन असल में यह लोगों के इर्द-गिर्द घूमता है। एक सफल कचरा प्रबंधन प्रणाली में सभी की भागीदारी होनी चाहिए।
इस फोरम के माध्यम से, सीएसई ने सदस्य देशों के साथ मिलकर उनकी अपशिष्ट प्रबंधन आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित किया है। सातवीं बैठक का उद्देश्य इन आवश्यकताओं की समीक्षा करना और यह पता लगाना है कि देश अपशिष्ट प्रबंधन चुनौतियों को हल करने के लिए किस तरह आपस में मिलकर काम कर सकते हैं।