पर्यावरण मुकदमों की डायरी: इन मामलों की हुई सुनवाई

अदालतों में पर्यावरण से संबंधित मामलों की सुनवाई का सार
पर्यावरण मुकदमों की डायरी: इन मामलों की हुई सुनवाई
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1-झगड़िया-कांतियाजाल एफ़्लुअन्ट पाइपलाइन की शर्तों का किया गया उल्लंघन

नर्मदा क्लीन टेक लिमिटेड (एनसीटीएल) के द्वारा झगड़िया-कांतियाजाल पुतली पाइपलाइन पर शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगा है। एनजीटी को दी गई अपनी रिपोर्ट में अंकलेश्वर के नर्मदा प्रदुषण निवारण समिति (एनपीएनएस) ने गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जीआईसीबी) और संयुक्त निरीक्षण समिति (जेआईसी) के एक सदस्य पर एनसीटीएल द्वारा सहमति शर्तों (वायलेशन्स ऑफ़ कंसेंट कंडीशंस (सीसीए)) के उल्लंघनों पर आंखें मूंद लेने का आरोप लगाया है।  

वायलेशन्स ऑफ़ कंसेंट कंडीशंस (सीसीए) के निरंतर उल्लंघन के बावजूद जीपीसीबी ने एनसीटीएल को 4 साल (दिसंबर 2016 - अप्रैल 2020) के लिए इफ़्लूअन्ट/एफ़्लुअन्ट पाइपलाइन को संचालित करने की अनुमति दी। पाइपलाइन बिना किसी सीईटीपी / अंतिम अपशिष्ट उपचार संयंत्र (एफईटीपी) के चल रही थी।

एनपीएनएस ने कहा कि यह संयुक्त निरीक्षण समिति ने अपनी रिपोर्ट में स्वीकार किया है कि पाइपलाइन पर हाइड्रो टेस्ट आयोजित किया जाना था, लेकिन यह इफ़्लूअन्ट/एफ़्लुअन्ट पाइपलाइन को चालू करने से पहले आयोजित नहीं किया गया।

इसके अलावा, झगडिय़ा-कांतियाजाल की पाइपलाइन में रिसाव और टूटने की 27 घटनाएं हुईं, जिससे पाइपलाइन के मार्ग में और उसके आसपास के क्षेत्र में औद्योगिक प्रदूषण फैल गया।

रिपोर्ट में एनपीएनएस ने निम्नलिखित किए जाने की बात कही

  1. सीसीए के अनुसार जीआईडीसी, झगड़िया में एफईटीपी का निर्माण
  2. 35 एमएलडी गार्ड तालाब का प्रावधान जिसमें 72 घंटे की क्षमता हो
  3. एक निर्दिष्ट समय अवधि के भीतर इफ़्लूअन्ट/एफ़्लुअन्ट पाइपलाइन के लिए हाइड्रो परीक्षण का संचालन
  4. जब तक उपरोक्त 3 शर्तों को पूरा नहीं किया जाता है, जीपीसीबी द्वारा उद्योग को स्थापित करने (सीटीई) के लिए कोई सहमति नहीं देनी चाहिए
  5. झगडिया-कांतियाजाल इफ़्लूअन्ट/एफ़्लुअन्ट पाइपलाइन के 9.37 किलोमीटर की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र विशेषज्ञ एजेंसी नियुक्त करने की दिशा
  6. 2016 से 2020 तक 27 जनवरी, 2017 को जारी सीसीए के उल्लंघन के लिए एनसीटीएल पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति।
  7. विशेषज्ञ सदस्यों से मिलकर एक समिति गठित करें जो पर्यावरण की बहाली के लिए एक योजना तैयार करे, लोग, आजीविका, पशुधन इत्यादि को जीपीसीबी द्वारा लगाए गए अंतर्राज्यीय पर्यावरण क्षतिपूर्ति को ध्यान में रखते हुए झगडिया-कांतियाजाल इफ़्लूअन्ट/एफ़्लुअन्ट पाइपलाइन से प्रभावितों को मुआवजा
  8. 27 जनवरी, 2017 को जारी सीसीए के उल्लंघन के लिए जल (रोकथाम और प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत एनसीटीएल के संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन शुरू करने के लिए जीपीसीबी को निर्देश दिया जाए।

2-एनजीटी के आदेश के अनुसार दिल्ली के लिए गठित हुई जैव विविधता प्रबंधन समिति

दिल्ली के उप वन संरक्षक, द्वारा दायर एक रिपोर्ट के माध्यम से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को सूचित किया है कि राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए) ने 31 दिसंबर 2019, को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के जैव विविधता परिषद को अपनी शक्तियां और कार्य सौंप दिए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली हेतु जैव विविधता परिषद के गठन की प्रक्रिया अभी भी जारी है।

रिपोर्ट के अनुसार, एनजीटी के आदेश का पालन करते हुए जैविक विविधता अधिनियम, 2002 की धारा 41 के अनुसार जैव विविधता प्रबंधन समितियों (बीएमसी) और मेंटेनेंस ऑफ पीपुल्स जैव विविधता रजिस्टरों (पीबीआर) का गठन करना था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिनियम के अनुसार, केंद्र शासित प्रदेशों के लिए, राज्य जैव विविधता बोर्ड का गठन नहीं किया जाएगा- लेकिन एनबीए अपनी शक्तियों का प्रयोग कर केंद्र शासित प्रदेशों के लिए राज्य जैव विविधता बोर्ड के कार्य करेगा। किसी भी केन्द्र शासित प्रदेश के संबंध में, एनबीए अपनी शक्तियों या कार्यों को इस उप-धारा के तहत ऐसे व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को सौंप सकता है जिसे केंद्र सरकार द्वारा चुना गया हो।

एनबीए द्वारा 30 सितंबर, 2019 को बुलाई गई एक बैठक में यह निर्णय लिया गया कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ और सीसी) और एनबीए, केन्द्र शासित प्रदेशों के संबंध में प्रतिनिधिमंडल निकाय जैसी परिषद की शक्तियों का कार्य करेंगे, ताकि वे सभी संपादित कार्यों का निर्वहन करने में सक्षम हों और राज्यों की तरह उद्देश्यों की पूर्ती करने के लिए कार्रवाई कर सकें। इससे जैव विविधता प्रबंधन समितियों (बीएमसी) और पीपुल्स जैव विविधता रजिस्टरों (पीबीआर) के गठन की तैयारी में मदद मिलेगी।  

3-एनजीटी के आदेश पर फरीदाबाद के जंगल में बने अवैध ढांचे को ध्वस्त किया गया

15 जून, 2020 को एक रिपोर्ट दर्ज की गई थी, जिसमें कहा गया था कि वन अपराध की रिपोर्ट दर्ज की गई है। इस पर वन विभाग द्वारा कार्रवाई की गई है और वहां बने अवैध ढांचे को ध्वस्त कर दिया गया है।

4-अवैध रेत खनन पर एनजीटी ने दिया रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश

एनजीटी ने 17 जून को एस.वी.एस. राठौर की अध्यक्षता वाली निरीक्षण समिति को अवैध रेत खनन पर एक रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया राठौर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हैं। उत्तर प्रदेश के औरैया जिले सहित इटावा और जालौन जिले के बीच नदी के तल पर अवैध रेत खनन जारी है।

यह तीन मार्च को अजय पांडे द्वारा दायर हलफनामे के जवाब में था, जिसमें कहा गया था कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दायर रिपोर्ट में कहा गया है कि मुरादगंज, बिजलपुर, अयाना और शेरगढ़ घाट में कोई भी खनन गतिविधि नहीं चल रही हैं, जो कि गलत है।

अपने दावे के समर्थन में, उनके द्वारा रेत से लदे अनगिनत ट्रकों की तस्वीरें खींची गईं थी जिसे उन्होंने दिखाया। उन्होंने 27 फरवरी को अमर उजाला में प्रकाशित समाचार लेख के बारे में बताया जिसमें कहा गया था कि अवैध खनन के लिए दस कांस्टेबलों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।

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