पर्यावरण मुकदमों की डायरी: गुजरात के अलंग में जहाज तोड़ने का क्या पड़ रहा है असर

देश की विभिन्न अदालतों में पर्यावरण से संबंधित मामलों की सुनवाई के दौरान क्या कुछ हुआ, यहां पढ़ें-
पर्यावरण मुकदमों की डायरी: गुजरात के अलंग में जहाज तोड़ने का क्या पड़ रहा है असर
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केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष गुजरात के अलंग में जहाज को तोड़ने (शिप ब्रेकिंग) के तरीकों के पर्यावरणीय प्रभाव पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। 17 सितंबर, 2020 की यह रिपोर्ट 19 अगस्त, 2019 के एनजीटी के आदेश के अनुपालन में प्रस्तुत की गई। अदालत ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को निर्देश दिया था कि वे अलंग में शिप रिसाइकिलिंग यार्ड में इस्तेमाल किए जा रहे जहाज तोड़ने की विधि के कारण पर्यावरणीय प्रभाव का पता लगाने के लिए एक ऑडिट करें, साथ ही तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) अधिसूचना के अनुपालन की जांच करें।

एनजीटी के आदेश के जवाब में, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने सीएसआईआर-नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ ओसेनोग्राफी  (एनआईओ) को ऑडिट करने के लिए कहा। सीएसआईआर-एनआईओ ने 'समुद्री पर्यावरणीय निगरानी और जांच के लिए अलंग शिप रिसाइकिलिंग यार्ड पर सीआरजेड अधिसूचना के अनुपालन के लिए एक रिपोर्ट प्रस्तुत की।

रिपोर्ट निम्नलिखित तीन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए फरवरी-मार्च 2020 के दौरान किए गए अध्ययन पर आधारित है:

  • पानी की गुणवत्ता, तलछट (सेडीमेंट) की गुणवत्ता और परियोजना क्षेत्र की वनस्पतियों और जीवों की मौजूदा स्थिति को विकसित करने के लिए
  • अलंग के तटीय पारिस्थितिकी पर जहाज तोड़ने की गतिविधियों के कारण प्रदूषण के प्रभाव का आकलन करने के लिए
  • सीआरजेड अधिसूचना के अनुपालन का आकलन करने के लिए

रिपोर्ट में कहा गया है कि सामान्य तौर पर, अलंग के तटीय जल की पारिस्थितिकी भावनगर और दहेज के आसपास के क्षेत्र के समान देखी गई और इसकी तुलना अलंग क्षेत्र में 2007-08 के पहले के अध्ययनों से की गई। पानी की गुणवत्ता, तलछट की गुणवत्ता और जैविक विशेषताओं पर जहाज तोड़ने की गतिविधियों का प्रतिकूल प्रभाव, पेट्रोलियम हाइड्रोकार्बन (पीएचसी) और कुछ धातुओं के उच्च सांद्रता को दर्शाने वाले एक निश्चित अंतर्ज्वारिय (इंटरडाइडल) क्षेत्र को छोड़कर अधिक नहीं था।

फाइटोप्लांकटन और ज़ोप्लांकटन में प्राकृतिक परिवर्तनशीलता दिखाई दी और जहाज तोड़ने की गतिविधियों से ये प्रभावित नहीं दिखे। इंटरटाइडल मैक्रोबॉन्थिक फॉना पर जहाज-ब्रेकिंग गतिविधियों का अलंग में स्थानीय प्रभाव देखा गया। जैव संचय के परिणाम बताते हैं कि लोहा (एफई ) को छोड़कर सभी धातुओं की एकाग्रता मानव उपभोग के लिए तय मानकों के अंदर पाए गए।

रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि अलंग की पारिस्थितिकी पर जहाज तोड़ने की गतिविधियों के प्रभाव की पुष्टि करने के लिए, दीर्घकालिक निगरानी आवश्यक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सुरक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण के संबंध में शिप रिसाइकिलिंग यार्ड में महत्वपूर्ण सुधार देखे गए।

हालांकि जहाज तोड़ने वाले अधिकांश श्रमिकों की क्षेत्र में रहने की सुविधा, बुनियादी ढांचे और स्वच्छता के संबंध में ठीक नहीं थे।

हालांकि लगभग 70 फीसदी रीसाइक्लिंग यार्डों ने ग्रीन श्रेणी के प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए हांगकांग कन्वेंशन (एचकेसी) के अनुपालन को अपनाया है, प्रदूषण को कम करने और सुरक्षा को बढ़ाने के लिए कई यार्डों को अपग्रेड करने की आवश्यकता है।

बैंगलोर के अश्वत्तनगर में हाई टेंशन लाइन के पास इमारतें

बृहत बेंगलुरु महानगर पालिक (बीबीएमपी) द्वारा अश्वत्तनगर, बैंगलोर में हाई टेंशन लाइन के नीचे बने अवैध इमारतों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।

रिपोर्ट के माध्यम से अदालत को सूचित किया गया कि थानीसांद्रा मुख्य सड़क के पश्चिमी हिस्से में दो सड़कों से गुजरने वाली हाई टेंशन (एचटी) लाइनें अबुबकर मस्जिद रोड, बलून फैक्ट्री रोड और पूर्वी हिस्से में थानीसांद्रा मुख्य सड़क के सादिक लेआउट मेन रोड और मारुति सॉमिल रोड में हैं।

हाई टेंशन (एचटी) लाइनों वाली इन सड़कों के किनारे कई मकान, दुकानें और छप्पर मौजूद हैं। इस क्षेत्र को बीबीएमपी में शामिल करने से पहले इनमें से कई भवनों का निर्माण जनवरी 2007 से पहले किया गया था। इन संपत्तियों में घरों / दुकानों / छप्पर को मंजूरी की योजना नहीं थी। खाता प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं होने के कारण क्षेत्र को बीबीएमपी के तहत शामिल किए जाने के बाद कुछ इमारतों को बिना किसी योजना, मंजूरी के शामिल किया गया था। इन घरों / दुकानों / छप्परों को गैरकानूनी इमारतों के रूप में माना जाता है। इन इमारतों में बैंगलोर विद्युत आपूर्ति कंपनी लिमिटेड (बीईएससीओएम) द्वारा बिजली की आपूर्ति की जा रही है।

कार्यकारी अभियंता, बैंगलोर विद्युत आपूर्ति कंपनी लिमिटेड (बीईएससीओएम), शिवाजीनगर डिवीजन, बैंगलोर को केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सुरक्षा और बिजली आपूर्ति से संबंधित उपाय) विनियम 2010 को लागू करने के लिए तत्काल कदम उठाने का अनुरोध किया गया था, ताकि बीबीएमपी द्वारा एचटी लाइनों के नीचे मौजूद सार्वजनिक भवनों को हटाया जा सके।

उत्तराखंड में डोलोमाइट का अवैध खनन

एनजीटी ने 16 सितंबर को निर्देश दिया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट में गांव डंडू, तहसील डीडीहाट, जिला पिथौरागढ़, उत्तराखंड में डोलोमाइट के खनन से होने वाली क्षति को रोकने के लिए दी गई सिफारिशों पर कार्रवाई करे।

रिपोर्ट में निम्नलिखित सिफ़ारिशें की गई थी:

  • निर्धारित पर्यावरणीय मानदंडों और दिशानिर्देशों के अनुपालन तक किसी को भी खनन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
  • खदान से सामग्री के रिसाव के कारण पट्टा क्षेत्र और इसके आसपास के प्रभावित क्षेत्र का भू-संदर्भित ड्रोन सर्वेक्षण करना
  • गुरुत्वाकर्षण या बारिश या अन्य  द्वारा पट्टे क्षेत्र के बाहर लुढ़कने / बहने से सामग्री को रोकने के लिए सभी उचित, तत्काल कार्रवाई करें
  • वचन दें कि भविष्य में खनन पट्टे क्षेत्र के बाहर अपशिष्ट पदार्थ / कूड़ा-कर्कट को नहीं फेंका जाएगा।

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