ई-वेस्ट (प्रबंधन) नियम, 2016 के कार्यान्वयन की स्थिति पर रिपोर्ट सौंपी
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने ई-वेस्ट (प्रबंधन) नियम, 2016 को लागू करने के लिए कार्य योजना के कार्यान्वयन की स्थिति पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यून (एनजीटी) को एक रिपोर्ट सौंपी है।
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) / प्रदूषण नियंत्रण समितियों (पीसीसी) ने कार्य योजना को लागू करना शुरू कर दिया है। वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 के लिए ई-कचरे के उत्पादन पर राष्ट्रीय स्तर की सूची तैयार करने का काम पूरा हो गया है।
ई-कचरा नियमों के उल्लंघन के लिए पर्यावरण क्षतिपूर्ति (ईसी) शुल्क लगाने के लिए एक नियमावली पर काम किया जा रहा है जिसे जल्द ही अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
एसपीसीबी / पीसीसी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट की जांच के बाद सीपीसीबी पर्यावरण क्षतिपूर्ति (ईसी) शुल्क लगाने सहित अन्य कार्रवाई करेगा।
चीनी मिल प्रदूषण के तय मानकों का पालन कर रही है
उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूकेपीसीबी) ने लक्सर, जिला हरिद्वार में कृषि भूमि में अपशिष्ट बहाने के मामले में चीनी मिल (एम/एस आर.बी.एन.एस. सुगर मिल लिमिटेड और डिस्टिलरी यूनिट) पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट एनजीटी को सौंपी।
यूकेपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी द्वारा 20 फरवरी को मिल का निरीक्षण किया गया था। निरीक्षण रिपोर्ट के अनुसार चीनी मिल का एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) सही ढ़ग से काम कर रहा था। नमूने की विश्लेषण रिपोर्ट मानदंडों के साथ-साथ स्टैक निगरानी रिपोर्ट के तय मानको के अनुसार थी। इकाई उपचारित पानी का पुन: उपयोग ठंडा करने प्रक्रिया के लिए कर रही थी।
डिस्टिलरी इकाई जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) का रखरखाव कर रही थी। कंसंट्रेटेड वॉश को मल्टी इफेक्ट वाष्प (एमईई) में संग्रहित होने के लिए गड्ढे (लैगून) में डाला गया था ताकि बाद में इसका उपयोग बायो-कंपोस्टिंग के लिए किया जाय।
इकाई ने समेकित सहमति और प्राधिकरण (सीसीए) की शर्तों के अनुसार प्रदूषण नियंत्रण के उपाय किए थे और जेडएलडी का रखरखाव भी मानको के तहत पाया गया।
हालांकि, प्रदूषण नियंत्रण उपायों के उचित संचालन और सीसीए की शर्तों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए, एसपीसीबी ने मिल कोनिम्नलिखित निर्देश जारी किए:
रेलवे स्टेशनों का पर्यावरण मूल्यांकन
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) / प्रदूषण नियंत्रण समितियों (पीसीसी) की टीमों ने फरवरी-मार्च, 2020 के दौरान पर्यावरण का मूल्यांकन करने के लिए 36 रेलवे स्टेशनों का निरीक्षण किया।
सीपीसीबी को रेलवे अधिकारियों से पत्र प्राप्त हुआ था जिसका उद्देश्य रेलवे स्टेशनों को लाल / नारंगी / हरी श्रेणी में वर्गीकृत करने के बारे में जानकारी प्राप्त करना था, साथ ही इसको पूरा करने के लिए एसपीसीबी/ पीसीसी से सहमति प्राप्त करना था।
सीपीसीबी और रेलवे स्टेशनों की विशेषज्ञ समिति द्वारा रेलवे स्टेशनों की प्रदूषण क्षमता से संबंधित जानकारी का आकलन किया और उन्हें लाल / नारंगी / हरे रंग की श्रेणी में वर्गीकृत किया गया।
यह सारी जानकारी सीपीसीबी ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के अनुपालन में एक रिपोर्ट में संकलित की।
एनजीटी ने सीपीसीबी और संबंधित एसपीसीबी / पीसीसी की एक संयुक्त टीम को निर्देश दिया था। इन कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन में जल अधिनियम, वायु अधिनियम और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम और नियमों के प्रावधानों के अनुपालन के संदर्भ में प्रमुख रेलवे स्टेशनों का मूल्यांकन करना था। विशेष रूप से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016, खतरनाक और अन्य अपशिष्ट नियम 2016, जैव-चिकित्सा अपशिष्ट नियम 2016, निर्माण और तोड़ने संबंधित अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 शामिल थे।
राज्य पीसीबी / पीसीसी को जल अधिनियम 1974 की धारा 25 और रेलवे के वायु अधिनियम 1981 की धारा 21 के अनुपालन में सीपीसीबी के माध्यम से रिपोर्ट सौंपनी थी।
तब तक बायोडीजल प्लांट को बंद रखा जाय जब तक कि पर्यावरणीय मानदंडों का अनुपालन नहीं किया जाता
एनजीटी ने 15 जुलाई को निर्देश दिया कि राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (आरएसपीसीबी) द्वारा गांव अटुन, जिला भीलवाड़ा में वाशवेल बायोडीजल प्लांट के खिलाफ दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, प्लांट को तब तक बंद रखा जाय जब तक कि पर्यावरणीय मानदंडों का अनुपालन नहीं किया जाता है और मुआवजे की वसूली नहीं हो जाती है।
आरएसपीसीबी ने बिना किसी अनापत्ति प्रमाण पत्र (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) के बायोडीजल प्लांट के अवैध संचालन और क्षेत्र के निवासियों को प्रदूषण से प्रभावित करने के संदर्भ में संयंत्र पर अपनी रिपोर्ट एनजीटी को सौंपी थी।