एनजीटी ने 9 अक्टूबर, 2020 को मध्य प्रदेश में हो रहे अवैध खनन के मामले में आदेश जारी कर दिया है| इस आदेश में कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना और मध्य प्रदेश में अवैध रेत खनन को नियंत्रित करने के लिए एक नियामक प्राधिकरण होने के बावजूद वहां सरकारी उद्देश्यों की पूर्ति के लिए रेत खनन किया जा रहा था|
अपने आदेश में एनजीटी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि चाहे किसी भी उद्देश्य के लिए रेत खनन किया जा रहा हो, उसके लिए पर्यावरणीय मंजूरी लेना जरुरी है| ऐसे में कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि यदि वहां अवैध रेत खनन होता है तो स्थानीय प्रशासन और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) ने एनजीटी को जो अपनी रिपोर्ट सबमिट की है उसमें जानकारी दी है कि सोनीपत जिले के गांव तिकोला, मुरथल में किसी तरह का खनन नहीं हो रहा है| मानसून के कारण वहां पर सभी खनन गतिविधियां बंद हैं|
गौरतलब है कि हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा यह रिपोर्ट एनजीटी के आदेश पर जारी की गई है| एनजीटी द्वारा यह आदेश मेसर्स डीएसपी एसोसिएट्स, सोनीपत द्वारा बनाए जा रहे एक अस्थायी पुल के मामले में दिया गया है, जिसका निर्माण खनन के लिए किया जा रहा था| इस पल के निर्माण में पर्यावरण मंजूरी से जुड़ी शर्तों का उल्लंघन भी किया गया है|
इस मामले में मैसर्स डीएसपी एसोसिएट्स को हरियाणा के खनन और भूविज्ञान विभाग द्वारा लेटर ऑफ इंटेंट भी जारी किया गया था। इसके साथ ही इस यूनिट ने तिकोला की रेत खदानों से रेत खनन के लिए पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी भी प्राप्त की हुई है।
इस मामले में मैसर्स डीएसपी एसोसिएट्स को हरियाणा के खनन और भूविज्ञान विभाग द्वारा लेटर ऑफ इंटेंट भी जारी किया गया था। इसके साथ ही इस यूनिट ने तिकोला की रेत खदानों से रेत खनन के लिए पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी भी प्राप्त की हुई है। जब जांच टीम ने टिकोला में रेत खनन यूनिट का निरिक्षण किया तो यह देखा गया कि वहां मानसून के कारण खनन कार्य नहीं किया जा रहा था| साथ ही यमुना नदी का पानी नदी तल से होता हुआ बह रहा था| न ही नदी के प्राकृतिक प्रवाह में रूकावट पैदा करने के लिए किसी तरह के बांध का निर्माण किया गया था|
इसके साथ ही रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि इस यूनिट ने खनिजों के परिवहन के लिए एक अलग सड़क का निर्माण किया था और वो सिंचाई विभाग द्वारा निर्मित नदी तटबंध का उपयोग नहीं कर रहा था|
एनजीटी ने 7 अक्टूबर को डॉ धर्मेंद्र सिंह द्वारा दायर आवेदन को खारिज कर दिया है| मामला दिल्ली के नजफगढ़ इलाके के न्यू गोपाल नगर का है| जहां कुछ लोगों द्वारा रेत और मिट्टी से एक नाले को भरा जा रहा था, जिससे मलेरिया और डेंगू फैलने का खतरा पैदा हो गया है।
गौरतलब है कि इस मामले में एनजीटी ने 2 जुलाई को एक आदेश जारी किया था, जिसमें दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति और दक्षिण दिल्ली नगर निगम से कार्रवाई रिपोर्ट मांगी थी| दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति और दक्षिण दिल्ली नगर निगम ने कोर्ट को सूचित किया है कि उसने इस मामले में जरुरी कार्रवाई की थी| इस रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने इस मामले को खारिज कर दिया है और कहा है कि इसमें आगे कोई और आदेश जारी करने की जरुरत नहीं है|
एनजीटी ने 7 अक्टूबर को राजस्थान नगर निगम के मुख्य सचिव को 21 जनवरी 2021 से पहले अपनी रिपोर्ट सबमिट करने का आदेश दिया है| मामला अजमेर के कुंदन नगर का है| जहां अनधिकृत कॉलोनी से सीवेज का पानी खुले में बह रहा था| इस मामले में नगर निगम अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने में असमर्थ रहा था|
गौरतलब है कि इस मामले में एनजीटी ने 24 जुलाई, 2019 को अजमेर नगर निगम से एक तथ्यात्मक और कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी थी। जिसे नगर निगम ने सबमिट नहीं किया था| इसके बाद कोर्ट ने नगर निगम को 26 फरवरी, 2020 तक का वक्त दिया था| साथ ही यह भी चेतावनी दी थी कि यदि नगर निगम रिपोर्ट सबमिट नहीं करता है तो कोर्ट के पास अजमेर नगर निगम के आयुक्त के खिलाफ कार्रवाई करने के अलावा कोई विकल्प शेष नहीं है| जिसमें उसका वेतन तक रोका जा सकता है|