जनता को कचरा प्रबंधन परियोजना की आवश्यकता के बारे में किया जाना चाहिए जागरूक: कलकत्ता उच्च न्यायालय

अदालत ने अपने आदेश में यह भी सुझाव दिया गया है कि अधिकारियों द्वारा स्थानीय जनता को इस बारे में जागरूक करने की जरूरत है
जनता को कचरा प्रबंधन परियोजना की आवश्यकता के बारे में किया जाना चाहिए जागरूक: कलकत्ता उच्च न्यायालय
Published on

उत्तर 24 परगना के बोंगांव ब्लॉक में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र स्थापित करने के बाद अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि क्षेत्र को साफ रखा जाए और कचरे का पृथक्करण उचित तरीके से किया जाए।

इसके अलावा, यह भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि स्थानीय निवासी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र की स्थापना से किसी भी तरह प्रभावित न हों। यह बातें कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 28 अगस्त, 2023 को दिए अपने आदेश में कही हैं।

अदालत ने अपने आदेश में यह भी सुझाव दिया गया है कि अधिकारियों द्वारा स्थानीय जनता को इस बारे में जागरूक करने की जरूरत है। इसके लिए वो घर-घर जाकर और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र स्थापित करने के उद्देश्यों के बारे में पर्चे वितरित कर सकते हैं। इससे जनता के बीच विश्वास पैदा करने और परियोजना के महत्व के बारे में उनकी समझ बढ़ाने में मदद मिलेगी। उपरोक्त टिप्पणियों के साथ, कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की पीठ ने रिट याचिका का निपटारा कर दिया है।

गौरतलब है कि याचिकाकर्ताओं ने एक जनहित याचिका के माध्यम से आरोप लगाया था कि उत्तर 24 परगना के चिथलिया में जमीन के एक हिस्से को अवैध रूप से जैविक उर्वरक संयंत्र में तब्दील किया जा रहा है।

रिट के अनुसार, यह अत्यधिक घनी आबादी वाला क्षेत्र है, जिसमें उक्त भूमि के आसपास करीब 300 परिवार रहते हैं। उनका तर्क था कि यदि भूखंड को जैविक उर्वरक संयंत्र में बदला जाता है तो इससे आम जनता के लिए समस्याएं पैदा होंगी, जो उनके लिए खतरनाक भी हो सकता है। इसके अतिरिक्त, याचिकाकर्ताओं का यह भी दावा है कि इस जमीन पर मृत जानवरों को भी डाला जा रहा है।

इस बारे में पश्चिम बंगाल के वकील ने बोनगांव के ब्लॉक विकास अधिकारी के लिखित निर्देश प्रस्तुत किए थे, जिससे पता चलता है कि उक्त सुविधा कोई एक जैविक उर्वरक संयंत्र नहीं है, बल्कि वो एक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र है। जो केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन का हिस्सा है। दस्तावेजों से यह भी पता चला है कि यह संयंत्र मृत जानवरों का निपटान नहीं करती है।

राज्य के कानूनी प्रतिनिधि ने जानकारी दी है कि, "एकत्रित जैविक और प्लास्टिक कचरे को उपयोग जैविक उर्वरक और पुनर्चक्रण योग्य प्लास्टिक वस्तुओं के निर्माण में किया जाएगा। ऐसी कई सफल परियोजनाएं देश भर में चल रही हैं, जिनमें से कोई भी सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा नहीं हैं।“

सुप्रीम कोर्ट ने महेंद्रगढ़ में खनन के लिए पेड़ों को काटने पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने 28 अगस्त, 2023 को दिए अपने निर्देश में अगले आदेश तक पेड़ों के काटे जाने पर रोक लगा दी है। कोर्ट के अनुसार इस मामले में आठ अगस्त 2023 को राज्य विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (एसईआईएए) द्वारा दी गई पर्यावरण मंजूरी के आधार पर खनन कंपनी, एम/एस सतीश कुमार गर्ग एंड कंपनी को इसकी इजाजत दी थी।

मामला हरियाणा के नारनौल तहसील के महेंद्रगढ़ में मुसनोटा गांव का है। जहां क्वार्ट्ज, फेल्डस्पार, बैराइट्स, क्वार्टजाइट जैसे खनिजों के खनन से जुड़ा है, जिसके लिए 79.32 हेक्टेयर क्षेत्र में प्रस्तावित खनन परियोजना को पर्यावरण मंजूरी दी गई थी।

याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि यदि संबंधित क्षेत्र में पेड़ काटे जाते हैं, तो काटे जाने के बाद उसे पलटा नहीं जा सकता। वकील ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यदि खनन जारी रहता है तो करीब 46,226 पेड़ों पर गाज गिरेगी। इसके अलावा, वकील ने यह भी तर्क दिया है कि इच्छित खनन क्षेत्र अरावली पहाड़ियों का हिस्सा है, जो एक संरक्षित क्षेत्र है जहां खनन की अनुमति नहीं दी जा सकती।

जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने सोनमर्ग सेना प्रतिष्ठानों में आवश्यक रखरखाव और मरम्मत के लिए दी विशेष छूट

जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने सोनमर्ग सेना प्रतिष्ठानों में आवश्यक रखरखाव और मरम्मत के लिए विशेष छूट दे दी है। उच्च न्यायालय ने 24 अगस्त 2023 को निर्देश दिया है कि 27 मार्च, 2023 सहित विभिन्न तारीखों पर जारी निरोधक आदेश भवन संचालन और नियंत्रण प्राधिकरण द्वारा सेना को आवश्यक कार्यों के लिए अनुमति देने से नहीं रोकेगा। मामला सेना प्रतिष्ठानों में रखरखाव और मरम्मत कार्यों से जुड़ा है।

गौरतलब है कि लगाए गए मौजूदा प्रतिबंध के चलते अदालत में आवेदन दायर किया गया था। इन प्रतिबंधों के चलते सोनमर्ग में हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल (एचएडब्ल्यूएस) और अन्य शिविरों में संरचनाओं के रखरखाव और मरम्मत कार्य को रोक दिया गया था। आवेदक का कहना है कि सर्दी आने से पहले इन संरचनाओं को तत्काल रखरखाव और मरम्मत की आवश्यकता होती है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in