उत्तरप्रदेश के गाजियाबाद में लोनी में अंसल एस्टेट के पास हरित पट्टी में सीवेज का पानी घुस रहा है, क्योंकि वहां जल निकासी की व्यवस्था नहीं है। साथ ही लोनी नगर पालिका परिषद द्वारा भी इस हरित पट्टी पर कूड़ा फेंका गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में सुनवाई के दौरान संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी।
गौरतलब है कि 11 मार्च, 2022 को एनजीटी के आदेश पर एक ज्वाइंट कमेटी गठित की गई थी। इस समिति ने ग्रीन बेल्ट का निरीक्षण किया था, जिसमें पावी सड़कपुर, पूजा कॉलोनी से अंसल, सेक्टर सी-1, गाजियाबाद तक जलभराव पाया गया था। इस बारे में नगर परिषद के प्रतिनिधि का कहना है कि पूजा कॉलोनी से सीवेज आता है, क्योंकि वहां पानी की निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है।
वहीं नगर पालिका परिषद द्वारा डंप किए जा रहे कचरे के संबंध में उसके प्रतिनिधि ने संयुक्त समिति को अवगत कराया है कि ''स्क्रीनिंग के बाद कूड़ा निचले क्षेत्र को भरने के काम में लाया जा रहा है।'' कमेटी ने पाया कि वहां लंबे समय से जलभराव की समस्या बनी हुई है। एनएच-709 के दोनों किनारों से सीवर और भूजल के नमूने एकत्र किए गए हैं और उन्हें उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक क्षेत्रीय प्रयोगशाला में जमा किया गया है।
इस मामले में संयुक्त समिति ने सिफारिश की है कि आवासीय क्षेत्रों से आने वाले इस सीवेज का निपटान पास के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों की मदद से किया जाना चाहिए। साथ ही म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट को ग्रीन बेल्ट पर नहीं फेंका जाना चाहिए और जिस कचरे को पहले से डंप किया गया है उसे म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट रूल्स, 2016 के अनुसार किसी अन्य सुरक्षित स्थान पर डिस्पोज किया जाना चाहिए।
साथ ही समिति का कहना है कि आवासीय क्षेत्र से आने वाले सीवेज के निपटान के लिए उचित सीवर लाइन स्थापित की जानी चाहिए, ताकि क्षेत्र में सीवरेज व जलभराव न हो। एनजीटी को जानकारी दी गई है कि इस मामले में जरुरी कदम उठाने के लिए यूपीपीसीबी, गाजियाबाद के क्षेत्रीय अधिकारी ने एक पत्र के माध्यम से 27 जून, 2022 को नगर पालिका परिषद, लोनी, को अवगत कराया गया था।
इस बारे में हरिओम गुप्ता ने एनजीटी को दिए अपने आवेदन में कहा है कि सीवेज ग्रीन बेल्ट में भर जाता है और जब वो ओवरफ्लो होता है तो अंसल स्टेट और आसपास के इलाकों में प्रवेश कर जाता है। जानकारी मिली है कि सीवरेज के इस जहरीले पानी के कारण सैकड़ों पेड़ मर चुके हैं। आवेदक हरिओम गुप्ता का कहना है कि यह खतरनाक सीवेज भूमिगत जल धाराओं में भी प्रवेश कर रहा है, जिससे भूजल प्रदूषित हो रहा है। साथ ही इसकी वजह से बड़े पैमाने पर पर्यावरण को नुकसान हो रहा है।
मैली हो चुकी है लुधियाना में सिधवां नहर, एनजीटी ने मांगी रिपोर्ट
एनजीटी ने 25 नवंबर, 2022 को एक समिति को निर्देश दिया है कि वो लुधियाना में सिधवां नहर की स्थिति पर एक रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करे। मामला पंजाब के लुधियाना का है।
गौरतलब है कि आवेदक कुलदीप सिंह खैरा ने एनजीटी में दर्ज अपनी शिकायत में कहा था कि लुधियाना से गुजरने वाली सिधवां नहर प्लास्टिक की थैलियों, पॉलिएस्टर कपड़ों और अन्य नॉन-बायोडिग्रेडेबल सामग्री की डंपिंग के कारण अत्यधिक प्रदूषित हो चुकी है।
साथ ही इसके किनारों पर होते भारी अतिक्रमण पर न तो पंजाब सिंचाई विभाग और न ही अन्य अधिकारियों ने कोई कार्रवाई की है। ऐसे में एनजीटी ने समिति से एक तथ्यात्मक रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। जो नहर के किनारे पड़े कचरे, अतिक्रमण की सीमा और नहर के दोनों किनारों पर नो एक्टिविटी जोन के रूप में सीमांकित क्षेत्रों और संबंधित अधिकारियों द्वारा यदि कोई कार्रवाई की गई है तो उसकी तथ्यात्मक स्थिति को उजागर करेगी।
अवैध है नांदे ग्राम पंचायत द्वारा बनाया सेप्टिक टैंक, समिति ने की ध्वस्त करने की सिफारिश
पुणे में नांदे ग्राम पंचायत द्वारा बनाया सेप्टिक टैंक मुला नदी के किनारे और बाढ़ रेखा के बीच स्थित है, जोकि एक निषिद्ध क्षेत्र है। यह जानकारी 25 नवंबर, 2022 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के समक्ष दायर रिपोर्ट में सामने आई है। मामला महाराष्ट्र के पुणे की मुलशी तहसील का है। अपनी रिपोर्ट में समिति ने इस अवैध सेप्टिक टैंक को ध्वस्त करने की सिफारिश की है।
इसके अलावा आवासीय परियोजना की ओर जाने वाले एक प्रस्तावित एप्रोच रोड की ऊंचाई भी बैकफिलिंग द्वारा बढ़ाई गई है। समिति ने निरीक्षण में पाया कि यह रोड मानसून में कृषि भूमि से नदी प्रणाली को होने वाली सतही अपवाह को प्रभावित कर रहा है, जिसके चलते कृषि भूमि तालाब बन जाती है।
ऐसे में समिति ने सिफारिश की है कि पुणे मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी की देखरेख में परियोजना प्रस्तावक द्वारा नाले के निचले इलाकों वाले हिस्से में उचित स्थानों पर क्रॉस ड्रेनेज स्ट्रक्चर का निर्माण किया जाना चाहिए, जिससे सतह का पानी नदी में जा सके।
गौरतलब है कि एनजीटी ने 7 जुलाई, 2022 को एक संयुक्त समिति निर्देश दिया था कि वो मुला नदी की ब्लू लाइन पर कथित तौर पर किए जा रहे अवैध निर्माण के मामले में रिपोर्ट प्रस्तुत करे, जहां कोई निर्माण कानूनी रूप से स्वीकार्य नहीं है।