दिल्ली: रोक के बावजूद अभी भी भलस्वा डंपसाइट में डाला जा रहा है कचरा: एनजीटी

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
दिल्ली: रोक के बावजूद अभी भी भलस्वा डंपसाइट में डाला जा रहा है कचरा: एनजीटी
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की पीठ ने 22 नवंबर, 2022 को दिए निर्देश में कहा है कि मौजूदा कचरे को भलस्वा डंप साइट पर नहीं डाला जाना चाहिए। साथ ही कचरे को अलग करके उसका निपटान किए जाने की आवश्यकता है।

अदालत ने कहा है कि एनजीटी के आदेशों के बावजूद अभी भी भलस्वा डंपसाइट में कचरा डंप किया जा रहा है। इसके अलावा, आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए कोई इंजीनियर सेनेटरी लैंडफिल स्थापित नहीं किया गया है। नरेला-बवाना में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) दस्तावेज 15 जुलाई, 2022 को तैयार कर दिया गया था।

हालांकि उसमें दी गई शर्तें सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2016 के अनुरूप नहीं हैं। कोर्ट का कहना है कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को यह सुनिश्चित करने के लिए जरूरी सावधानी बरतने की जरूरत है कि भलस्वा क्षेत्र से बगल के नाले में कोई रिसाव न हो और इसकी वजह से वो अवरुद्ध न हो।

कोर्ट के अनुसार लैंडफिल साइट के लिए सुल्तानपुर डबास में भूमि के एक और पार्सल की पहचान की गई है। साथ ही डब्ल्यूटीई के लिए बोली लगाने वाले को भलस्वा डंपसाइट में  कचरे के निपटान की अनुमति दी गई है, जोकि स्पष्ट तौर पर ट्रिब्यूनल द्वारा 11 अक्टूबर 2022 को दिए आदेश में पैरा 38 का उल्लंघन है।

इस मामले में गगन नारंग ने एनजीटी के समक्ष अपने आवेदन में दिल्ली के नरेला-बवाना में प्रस्तावित वेस्ट टू एनर्जी (डब्ल्यूटीई) परियोजना के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज की है। उनका कहना है कि दिल्ली में पैदा हो रहे कचरे के वैज्ञानिक निपटान के लिए एमसीडी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2016 के अनुरूप पर्याप्त कार्रवाई नहीं कर पाई है।

नियमों को ताक पर रख शामली में चल रहे हैं ईंट भट्ठे: सीपीसीबी रिपोर्ट 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में सबमिट अपनी रिपोर्ट में कहा है कि शामली के बमनोली गांव में दो ईंट भट्ठे जिग जैग तकनीक के बिना चल रहे हैं। जोकि राज्य और केंद्र द्वारा बनाए पर्यावरण नियमों, कानूनों और विनियमों के उल्लंघन के लिए जिम्मेवार हैं। मामला उत्तरप्रदेश के शामली जिले का है।

पता चला है कि नवभारत ब्रिक फील्ड और शिव ब्रिक फील्ड, दोनों उत्तर प्रदेश ईंट भट्ठा अधिनियम का उल्लंघन कर चलाए जा रहे हैं। जो हवा, पानी और मृदा प्रदूषण का कारण बन रहे हैं और इसके कारण स्वास्थ्य से जुड़े कई खतरे पैदा हो गए हैं।

सीपीसीबी ने 23 नवंबर को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेशों के माध्यम से स्पष्ट रूप से कहा है कि केवल उन ईंट भट्ठों को चलाने की अनुमति दी जाएगी, जिनके पास संचालन के लिए वैध सहमति (सीटीओ) है। साथ ही सीटीओ में वर्णित उत्पादन क्षमता, जिग जैग के आधार पर होनी चाहिए और उसके लिए पर्याप्त निगरानी सुविधाओं का होना भी अनिवार्य है।

ईंट भट्ठों के उत्सर्जन मानकों के लिए 22 जनवरी, 2022 को पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार साइटिंग मानदंड और शर्तों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नियामक एजेंसियां ​​हैं। ऐसे में एसपीसीबी को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को मानते हुए ईंट भट्ठों का नियमित निरीक्षण करना चाहिए और नियमों का पालन न करने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।

साहिबजादा अजीत सिंह नगर में समय-समय पर लगाए जाएंगे नए पौधे: पंजाब एसपीसीबी रिपोर्ट 

नगर निगम और ग्रेटर मोहाली एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (गमाडा) द्वारा रोपण सीजन के दौरान पंजाब के साहिबजादा अजीत सिंह नगर (एसएएस नगर) में समय-समय पर नए पौधे लगाए जाएंगे और पेड़ों के चारों ओर उचित जगह रखी जाएगी। साथ ही पेड़ों के चारों ओर डी-कंक्रीटाइजेशन का कार्य किया जाएगा और इंटरलॉकिंग टाइल्स के स्थान पर परफोरेटेड टाइल्स लगाई जाएंगी।

यह उपाय पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, गमाडा और एसएएस नगर के वन मंडल अधिकारी द्वारा कोर्ट में दायर रिपोर्ट में बताए गए हैं। यह रिपोर्ट एनजीटी द्वारा 5 जुलाई, 2022 को दिए आदेश पर सबमिट की गई है।

गौरतलब है कि मोहाली के रहने वाले साहिल गर्ग ने ट्रिब्यूनल के समक्ष अपने आवेदन में कहा था कि पार्किंग क्षेत्र और पैदल रास्ते के बहाने खुली जगह को पक्का किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि साथ ही खुले स्थानों और सड़क के किनारे हरित पट्टी विकसित करने के लिए कोई वृक्षारोपण कार्यक्रम भी नहीं चलाया जा रहा है। 

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