काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) ने ब्रह्मपुरम अपशिष्ट निपटान सुविधा के बारे में जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2019 में, इस सुविधा से करीब 72 मिलीग्राम डाइऑक्सिन मुक्त हुआ था। यह सुविधा केरल के कोच्चि में है।
सीएसआईआर की इस रिपोर्ट, 'ब्रह्मपुरम, अ डाइऑक्सिन बम' से पता चला है कि वहां प्रति घन मीटर हवा में औसतन 10.3 पिकोग्राम हानिकारक डाइऑक्सिन पाया गया था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक पिकोग्राम, एक ग्राम के दस लाखवें हिस्से के बराबर होता है। यह रिपोर्ट चार साल से भी ज्यादा समय से ठन्डे बस्ते में पड़ी थी, जिसपर संबंधित अधिकारियों की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।
यह बातें 20 मार्च, 2023 को पी एम करीम द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष दायर हलफनामे में कही गई हैं। पता चला है कि पी एम करीम ब्रह्मपुरम अपशिष्ट निपटान सुविधा के आसपास रहने वाले निवासियों में से एक हैं।
गौरतलब है कि ब्रह्मपुरम अपशिष्ट निपटान सुविधा को बंद करने के लिए 2012 से एर्नाकुलम जिले में ब्रह्मपुरम के निवासियों ने कई बार आवेदन दायर किए थे। साथ ही उन्होंने जहां तक संभव हो ब्रह्मपुरम अपशिष्ट निपटान सुविधा के आसपास के क्षेत्र को उसकी मूल स्थिति में बहाल करने के लिए जरूरी उपाय करने का भी अनुरोध किया था।
आवेदक का कहना है कि एनजीटी ने अपने 22 अक्टूबर, 2018 को दिए आदेश में कोच्चि नगर निगम को ब्रह्मपुरम में वर्षों से जमा कचरे का निपटान करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के तहत इस पर तुरंत कार्रवाई करने की बात कही थी। हालांकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और अन्य वैधानिक प्राधिकरणों के बार-बार निर्देशों के बावजूद, कोचीन नगर निगम, केरल उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त निगरानी समिति और राज्य स्तरीय निगरानी समिति की सिफारिशों और शर्तों के अनुसार कार्य करने में विफल रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार यह सुविधा, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 और पर्यावरण संबंधी अन्य कानूनों का घोर उल्लंघन करते हुए पाई गई थी। आवेदक ने कहा है कि कोचीन कॉर्पोरेशन जानबूझकर इसे अनदेखा कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप कई बार ब्रह्मपुरम में आग भड़क गई थी। गौरतलब है कि 2 मार्च, 2023 को ब्रह्मपुरम कचरा डंपिंग यार्ड में आग लगने की एक ऐसी ही भीषण घटना घटी थी, जो जल्द ही बेकाबू हो गई थी। इस घटना में जहरीली गैसों का रिसाव हुआ था।
मृगवानी नेशनल पार्क में इलेक्ट्रिक ट्रांसमिशन टावर लगाने के लिए ली गई थी जरूरी अनुमति: ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ऑफ तेलंगाना लिमिटेड
ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ऑफ तेलंगाना लिमिटेड ने एनजीटी के समक्ष दायर अपने हलफनामे में कहा है कि उसने मृगवानी नेशनल पार्क में इलेक्ट्रिक ट्रांसमिशन टावर लगाने के लिए जरूरी अनुमति ली थी। यह हलफनामा 20 मार्च 2023 को दायर किया गया है।
गौरतलब है कि ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ऑफ तेलंगाना लिमिटेड ने वन क्षेत्र से गुजरने वाली 1,458 किलोमीटर लंबी ट्रांसमिशन लाइन बिछाई थी। 400 केवी डीसी क्षमता की यह लाइन केथिरेड्डीपल्ली से रायदुर्ग को जोड़ती है। इसके लिए वन विभाग ने 1,458 किमी की लंबाई में 46 मीटर की चौड़ाई वाले गलियारे में पेड़ों को हटाने की अनुमति दी थी।
पता चला है कि ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ऑफ तेलंगाना लिमिटेड ने इस 6.7 हेक्टेयर वन क्षेत्र को हटाने के लिए आवश्यक राशि का भुगतान पहले ही कर दिया है। जानकारी दी गई है कि इसके लिए वन विभाग के साथ-साथ पर्यावरण मंत्रालय से भी आवश्यक अनुमोदन प्राप्त किए गए थे। उसके बाद ही कार्य शुरू किया गया था।
जानकारी मिली है कि हैदराबाद के चिलकुर में मृगावनी नेशनल पार्क से होकर जाने वाली हाई टेंशन इलेक्ट्रिक लाइन और ट्रांसमिशन टावर के खिलाफ महेश मामिन्डला ने एनजीटी में एक याचिका दायर की थी।
केरल में नियमों की अनदेखी करने वाले 167 अपार्टमेंट और रेस्तरां के खिलाफ जारी किए गए नोटिस
केरल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि नहरों और नालों के किनारे स्थित उद्योगों और प्रतिष्ठानों की पहचान के लिए कदम उठाए हैं। मामला पेरंदूर, एडापल्ली नहरों और उसकी और जाने वाले नालों के किनारे स्थित उद्योगों से जुड़ा है।
रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे 167 अपार्टमेंट और रेस्तरां की पहचान की गई है, जिनके पास एसपीसीबी से कोई वैध सहमति नहीं है। साथ ही उनके पास न तो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट है, और जिनके पास है वो भी चालू हालत में नहीं है। ऐसे में इनके खिलाफ जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 33ए के तहत नोटिस जारी किए गए हैं।
साथ ही एसपीसीबी ने कोच्चि नगर निगम को "कारण बताने नोटिस" जारी किया है। यह नोटिस जल स्रोतों में डाले जा रहे प्रदूषकों को रोकने और अपशिष्ट प्रबंधन नियमों को लागू करने में विफल रहने के साथ पर्यावरणीय मुआवजा न लेने के लिए जारी किया गया है।
इसके साथ ही एर्नाकुलम जंक्शन पर स्थित रेलवे स्टेशन की पहचान पेरंदूर नहर में प्रदूषण डालने वाले प्रमुख योगदानकर्ताओं में से एक के रूप में की गई है। हालांकि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने की शर्त के साथ 31 मार्च, 2023 को इस रेलवे स्टेशन को संचालित करने की सहमति दी गई थी, लेकिन वहां एसटीपी अब तक नहीं बना है। साथ ही दक्षिण रेलवे स्टेशन में स्थित लोको शेड के पीछे का क्षेत्र भी तेल प्रदूषण से ग्रस्त है।