मुंबई में नमक के मैदानों से अतिक्रमण और निर्माण सम्बन्धी कचरे को हटाने के लिए उठाए गए हैं कदम: रिपोर्ट

मामले में मधुरा राजेश तावड़े का कहना है कि इस क्षेत्र में डाला जा रहा कचरा और किया जा रहा अवैध अतिक्रमण मैंग्रोव के पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा रहा है
मुंबई में नमक के मैदानों से अतिक्रमण और निर्माण सम्बन्धी कचरे को हटाने के लिए उठाए गए हैं कदम: रिपोर्ट
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महाराष्ट्र में उप नमक आयुक्त ने अपनी एक रिपोर्ट में जानकारी दी है कि 21 जून, 2023 तक नमक निर्माताओं ने साल्ट पैन डिवीजन के सीएस नंबर 145 से 20 डम्पर निर्माण और विध्वंस संबंधी कचरे (सी एंड डी) को हटा दिया था। बता दें कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा 28 सितंबर, 2022 और 15 मार्च, 2023 को दिए आदेशों के बाद, उप नमक आयुक्त कार्यालय ने इस मामले में आवश्यक कार्रवाई की है।

रिपोर्ट के मुताबिक इस क्षेत्र में अवैध निर्माण को हटाने के लिए एक अभियान चलाया गया था और करीब 60 अवैध संरचनाओं को तोड़ दिया गया है। इसके अलावा, भविष्य में अतिक्रमण नो हो इसे रोकने के लिए सीएस नंबर 144 की सीमा पर सुरक्षा के लिए एक दीवार बनाई गई है।

उप नमक आयुक्त ने नमक निर्माताओं, विशेष रूप से होर्मोज साल्ट वर्क्स को निर्देश दिया है कि वे नमक क्षेत्र में डंप किए गए निर्माण और विध्वंस संबंधी कचरे को तुरंत साफ करें। उन्हें जमीन पर बने किसी भी अनधिकृत निर्माण को हटाने के लिए भी कहा गया है। गौरतलब है कि नमक निर्माताओं द्वारा सी एंड डी कचरे को हटाने में विफलता पर, वडाला के नमक उपाधीक्षक ने 27 मार्च, 2023 को नमक निर्माताओं के खिलाफ एक पुलिस शिकायत दर्ज कराई थी।

वडाला के नमक उपाधीक्षक द्वारा सबमिट रिपोर्ट के मुताबिक, 22 जून, 2023 से मेसर्स होर्मोज साल्ट वर्क्स के तटबंधों से निर्माण और विध्वंस संबंधी कचरे (सी एंड डी) को हटाने, ले जाने या उसे प्रोसेस करने के लिए कदम नहीं उठाए गए हैं।

वहीं जून 2023 के अंत तक नमक निर्माताओं ने और अधिक कचरे को संभालने के लिए वाशी में एनएमएमसी से अनुमति मांगी थी। हालांकि, जब तक उन्हें इस बात की अनुमति मिली, तब तक बारिश का मौसम शुरू हो चुका था और लगातार बारिश के चलते कचरे को उठाने और परिवहन करने का काम रोक दिया गया था।

इस मामले में मधुरा राजेश तावड़े ने मुंबई में पर्यावरणीय क्षति को संबोधित करने के लिए एनजीटी में एक आवेदन दायर किया था। इसमें विशेष रूप से वडाला से माहुल तक तटीय सड़क के पास, जो चेंबूर से छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस फ्रीवे तक फैली हुई है, उसपर ध्यान आकर्षित कराया गया था।

इस आवेदन में मधुरा राजेश तावड़े ने एनजीटी से मुंबई में पर्यावरणीय को होते नुकसान का समाधान करने के लिए कार्रवाई करने की मांग की थी। इस मामले में उन्होंने कोर्ट का ध्यान नमक क्षेत्र में होते निर्माण और विध्वंस संबंधी कचरे (सी एंड डी मलबे) को डंप करने के साथ-साथ एक कृत्रिम द्वीप बनाने और क्षेत्र पर होते अवैध अतिक्रमण की और आकर्षित किया था। उनका कहना है कि यह सभी गतिविधियां मुंबई के लिए बेहद जरूरी मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा रही हैं।

मेचाकी में तेल और गैस ड्रिलिंग के लिए एनजीटी से मिली हरी झंडी

20 अक्टूबर, 2023 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने मेचाकी क्षेत्र में तेल एवं गैस की ड्रिलिंग और उत्पादन को मंजूरी दे दी है। मामले में कोर्ट ने नौ मार्च, 2020 को ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) के पक्ष में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा दी गई पर्यावरणीय मंजूरी के खिलाफ दायर अपील को भी खारिज कर दिया है।

गौरतलब है कि यह परियोजना असम के तिनसुकिया जिले में मेचाकी, मेचाकी एक्सटेंशन, बागजान और तिनसुकिया एक्सटेंशन पेट्रोलियम माइनिंग लीज (पीएमएल) को कवर करेगी।

कोर्ट को जानकारी दी गई है कि प्रस्तावित परियोजना डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान और मगुरी-मोटापुंग वेटलैंड परिसर के पास स्थित है, जो देहिंग पटकाई हाथी रिजर्व का हिस्सा है। यह क्षेत्र पारिस्थितिक रूप से बेहद संवेदनशील है। यह सही है कि भारत को कहीं ज्यादा कच्चे तेल का उत्पादन करने की आवश्यकता है, लेकिन तेल समृद्ध क्षेत्रों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में स्थित है। इससे पर्यावरण के संरक्षण में अत्यधिक सावधानी बरतना महत्वपूर्ण हो जाता है।

वैश्विक स्तर पर, 2030 तक सतत विकास के 15 लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल किया जाना है, जिनमें ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना ही एक है। एनजीटी की पूर्वी बेंच के न्यायमूर्ति बी अमित स्टालेकर के अनुसार, भारत इस लक्ष्य की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहा है, जो देश के सतत विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

ऐसे में अदालत ने निर्देश दिया है कि परियोजना प्रस्तावक को पर्यावरण मंजूरी और जैव विविधता प्रभाव आकलन अध्ययन में बताई सिफारिशों और सभी पर्यावरण संरक्षण उपायों का सख्ती से पालन करना होगा। कोर्ट ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को, डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान के आसपास पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र की देखरेख के लिए जिम्मेवार निगरानी समिति के साथ मिलकर काम करने को कहा है। कोर्ट के निर्देशानुसार परियोजना स्थल पर पर्यावरण को होने वाले किसी भी नुकसान को रोकने के लिए नियमित रूप से जांच के साथ आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए।

साहिबगंज में गंगा को दूषित कर रहीं हैं स्टोन क्रशर इकाइयां

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने साहिबगंज में स्टोन क्रशर इकाइयों द्वारा गंगा के किनारे पर किए जा रहे अतिक्रमण के दावों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति को निर्देश दिया है। मामला झारखंड का है। कोर्ट के आदेशानुसार यह समिति साइट का दौरा करेगी और तीन सप्ताह के भीतर रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करेगी।

साथ ही यदि वहां कोई उल्लंघन पाया जाता है, तो समिति इसके लिए दंड और पर्यावरणीय मुआवजे की भी सिफारिश करेगी। कोर्ट ने समिति से इसके सुधार के लिए आवश्यक कार्रवाई का भी सुझाव देने को कहा है।

शिकायत दर्ज कराने वाले अरसद नसर ने आरोप लगाया है कि खननकर्ता अवैध रूप से स्टोन चिप्स को गंगा नदी में डंप कर रहे हैं। यह भी बताया गया कि इन पत्थर के चिप्स और बोल्डर को ले जाने वाली नावें मिलावटी तेल का उपयोग कर रही हैं, जिससे प्रदूषण हो रहा है और नदी के जलीय जीवन को नुकसान हो रहा है।

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