पर्यावरण नियमों को ताक पर रख जलगांव में चल रही बायोमेडिकल वेस्ट फैसिलिटी

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
पर्यावरण नियमों को ताक पर रख जलगांव में चल रही बायोमेडिकल वेस्ट फैसिलिटी
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जलगांव में चल रही जैव चिकित्सा सुविधा के संचालन में पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के आरोपों की जांच के निर्देश दिए हैं। मामला महाराष्ट्र के जलगांव का है। ट्रिब्यूनल ने एसपीसीबी को बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2016 का पालन सुनिश्चित करने के लिए जरूरी उपचारात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने 16 मार्च 2023 को दिए अपने आदेश में कहा है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि जलगांव में पैदा हो रहे बायो-मेडिकल कचरे की मात्रा और कचरे के प्रबंधन के लिए बनाई गई सुविधाओं के संदर्भ में फैसिलिटी के प्रदर्शन का सही तरीके से मूल्यांकन किया जाए। कोर्ट ने कहा है कि "प्रदूषण नियंत्रल बोर्ड इंसीनरेटर की स्थापना और प्रदर्शन के संबंध में ईसी शर्तों के अनुपालन और बीएमडब्ल्यू नियमों के नियम 5 (क्यू) के अनुपालन की भी जांच कर सकता है।"

आवेदन में मसाई बायोमेडिकल वेस्ट एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा जलगांव में संचालित बायोमेडिकल वेस्ट फैसिलिटी के खिलाफ थी। बताया है कि यह फैसिलिटी पर्यावरण नियमों का उल्लंघन कर रही है।

आवेदक डॉक्टर तुषार चंद्रकांत नेहेते के मुताबिक इस बायोमेडिकल वेस्ट फैसिलिटी को दिए गए लाइसेंस की अवधि समाप्त हो गई है लेकिन यह अभी भी कचरा डालने वालों से पैसा वसूल रही है। इसके वाहन दिशा-निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं।

साथ ही 95 फीसदी पंजीकृत केंद्रों विशेष रूप से गांवों और अन्य दूरदराज के क्षेत्रों में कचरा एकत्र नहीं किया जा रहा है। वहीं केवल कुछ स्थानों पर वैकल्पिक दिनों में ही बायो मेडिकल वेस्ट एकत्र किया जाता है।

इसके लिए हर नर्सिंग होम से डीजल खर्च के रूप में 200 से 500 रुपए वसूल किए जाते हैं। इसकी रसीद भी नहीं दी जाती। वहीं बायो मेडिकल प्लास्टिक बैग के लिए भी चार्ज वसूला जाता है। और ग्राहकों से अतिरिक्त पैसा लिया जाता है। आवेदक के अनुसार प्रत्येक चिकित्सक से 25,000 से 30,000 रुपए एकत्र किए जाते हैं और उसका कोई रिकॉर्ड नहीं रखा जाता।

कचरे का उचित प्रबंधन न करने के मामले में एनजीटी ने दिए जांच के निर्देश

एनजीटी ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और शाहजहांपुर के जिलाधिकारी को शाहजहांपुर में सूखे कचरे के कुप्रबंधन को देखने का निर्देश दिया है। मामला शाहजहांपुर में तिलहर ब्लॉक की गुड़गांव ग्राम पंचायत का है।

इस मामले में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मामले की जांच के लिए नोडल एजेंसी होगी। आरोप है कि इस तरह के कचरे को जलाया गया था जोकि पर्यावरण के लिए खतरा है।

एनजीटी ने पश्चिम बंगाल में जल निकाय को भरने के मामले में दिए जांच के आदेश

एनजीटी ने हावड़ा जूट मिल्स परिसर में स्थित जल निकाय को कथित तौर पर भरने के मामले में जांच के निर्देश दिए हैं। इस मामले में कोर्ट ने पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण, मंडल वन अधिकारी, कोलकाता और जिला मजिस्ट्रेट, हावड़ा दक्षिण की एक टीम गठित की है।

इस मामले में आवेदक, एसके मुजीबर रहमान, जोकि श्रमिकों के एक संघ का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने अपने आवेदन में कहा है कि जल निकाय पिछले सौ वर्षों से अस्तित्व में था। साथ ही, वहां निर्माण के लिए पूरी तरह से विकसित एक हजार से ज्यादा पेड़ों को भी अवैध रूप से काटने का आरोप लगाया है।

प्लास्टिक कचरे की अवैध डंपिंग के खिलाफ कोर्ट ने दिए जांच के आदेश

गुरुग्राम के बजघेड़ा गांव में प्लास्टिक और अस्पताल से निकलने वाले कचरे की अवैध डंपिंग की शिकायत मिली थी। इस शिकायत पर एनजीटी ने अधिकारियों को मामले की जांच करने और कानून को ध्यान में रखते हुए जरूरी कार्रवाई करने का आदेश दिया है।

आवेदक ने मुख्य रूप से प्रतिबंधित पॉलिथीन के अवैध व्यापार के खिलाफ शिकायत की थी। इस मामले में एनजीटी ने हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, गुरुग्राम नगर निगम और जिला मजिस्ट्रेट, गुरुग्राम को आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

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