एनजीटी ने दिल्ली में ठोस कचरे की निगरानी के लिए समिति गठित करने का दिया निर्देश

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
एनजीटी ने दिल्ली में ठोस कचरे की निगरानी के लिए समिति गठित करने का दिया निर्देश
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने ठोस कचरे की निगरानी के लिए एक समिति गठित करने का निर्देश दिया है। इस समिति की अध्यक्षता दिल्ली के उपराज्यपाल करेंगें। यह समिति नई अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं की स्थापना, मौजूदा अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं को बढ़ाने और पुराने अपशिष्ट स्थलों के उपचार सहित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन से संबंधित सभी मुद्दों का निपटान करेगी।

कोर्ट ने समिति को 31 मार्च, 2023 तक पैदा हुए ठोस कचरे के आंकड़ों को संकलित करने के लिए कहा है। इसके बाद 1 जुलाई, 2023 तक "वर्षों से जमा कचरे में आई कमी और वर्तमान प्रसंस्करण में अंतर" के लक्ष्य के साथ त्रैमासिक आधार पर ग्राफ तैयार किया जाना है।

दिल्ली-हरियाणा में नजफगढ़ झील के कायाकल्प का मामला

एनजीटी ने 16 फरवरी को दिए अपने आदेश में कहा है कि यमुना को प्रभावित करने वाले नालों और जल निकायों के प्रदूषण और उनके नियंत्रण सम्बन्धी मुद्दे को दिल्ली में उपराज्यपाल की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा निपटाया जा रहा है।

ऐसे में जहां तक दिल्ली का संबंध है, नजफगढ़ झील के कायाकल्प संबंधी मुद्दे को भी यही समिति देखेगी। वहीं हरियाणा में इस मुद्दे का निपटान हरियाणा के मुख्य सचिव द्वारा किया जाएगा।

गौरतलब है कि नजफगढ़ झील हरियाणा में दिल्ली और गुड़गांव की सीमा पर एक ट्रांसबाउंड्री वेटलैंड है, जोकि यमुना के कायाकल्प का अभिन्न अंग है। इस झील को कचरे के निर्वहन और अतिक्रमण से नुकसान हो रहा है।

अगले छह महीनों में पूरा हो जाना चाहिए यमुना नदी के फ्लड प्लेन की सुरक्षा के सभी उपाय: एनजीटी

जस्टिस आदर्श कुमार गोयल, सुधीर अग्रवाल और अरुण कुमार त्यागी की पीठ का कहना है कि यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र की सुरक्षा संबंधी सभी उपायों को अगले  छह महीने के भीतर पूरा किया जाना चाहिए। गौरतलब है कि आवेदक बिहारी लाल चतुर्वेदी द्वारा एनजीटी के समक्ष यमुना डूब क्षेत्र में यमुना मिशन, मथुरा द्वारा किए जा रहे अतिक्रमण के खिलाफ एक आवेदन दायर किया गया था।

आवेदक का कहना है कि, "यद्यपि स्पष्ट रूप से यमुना नदी को संरक्षित और साफ करने के लिए काम किया जा रहा है और वृक्षारोपण अभियान भी चल रहा है। लेकिन इस तरह की गतिविधियों की आड़ में, यमुना बाढ़ के मैदान का अतिक्रमण भी किया जा रहा है।

8 जुलाई, 2022 को एनजीटी के आदेश पर संयुक्त समिति द्वारा दायर रिपोर्ट में कोर्ट को जानकारी दी गई थी कि कंस टीला, गौ घाट पर यमुना मिशन द्वारा बनाए गए पक्के निर्माण को हटा दिया गया है। वहीं यमुना नदी के पानी की गुणवत्ता की निगरानी मथुरा में 9 स्थानों पर हर महीने की जाती है।

अवलोकन से पता चला है कि मथुरा में प्रवेश करने के बाद नदी के पानी की गुणवत्ता कहीं ज्यादा खराब हो जाती है। वहीं मथुरा से गुजरने के बाद इसमें थोड़ा सुधार होता है।

हरियाणा में यमुना से जुड़े 11 नालों में 540 एमएलडी अनुपचारित अपशिष्ट का होता निर्वहन

एनजीटी ने हरियाणा के मुख्य सचिव को सीवेज के उत्पादन और उपचार के बीच की खाई को पाटने के लिए उठाए गए कदमों पर आगे की प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। हरियाणा सरकार द्वारा दायर रिपोर्ट से पता चला है कि हरियाणा में यमुना से जुड़े 11 नालों में करीब 540 एमएलडी अनुपचारित अपशिष्ट का निर्वहन होता है।

इसके अलावा जानकारी मिली है कि हरियाणा के 34 शहरों में यमुना जलग्रहण में सीवेज उत्पादन और उसके उपचार की अनुमान स्थापित क्षमता के बीच 240 एमएलडी का अंतर है। हरियाणा सरकार ने कहा है कि उक्त अंतर को पाटने के लिए एसटीपी के निर्माण का काम चल रहा है जो 31 दिसंबर, 2023 तक पूरा हो जाएगा।

ऐसे में 16 फरवरी, 2023 को एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि वहां सीवेज के उत्पादन और उपचार में एक बड़ा अंतर है जिसे युद्ध स्तर पर दूर किए जाने की आवश्यकता है। वहां 2027 तक लक्ष्यों को प्राप्त करने की योजना प्रस्तावित है लेकिन क्या इन चार वर्षों तक पर्यावरण को नुकसान जारी रहेगा।

कोर्ट का कहना है कि इसकी निगरानी हरियाणा के मुख्य सचिव द्वारा की जानी चाहिए और उन्हें 30 अप्रैल, 2023 तक आगे की प्रगति रिपोर्ट दायर करनी चाहिए। ट्रिब्यूनल ने इस बात पर नाराजगी जताई कि उत्तर प्रदेश ने इस मामले पर अपनी रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल नहीं की है और उसे 30 अप्रैल, 2023 तक आगे की प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है।

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