नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की सेंट्रल बेंच ने 15 फरवरी 2024 को दो सदस्यीय समिति से कचरा डंप किए जाने की शिकायत पर जांच करने को कहा है। गौरतलब है कि मामला इंदौर में एबी रोड पर संस्कृति रॉयल पार्क कॉलोनी के पास ट्रेंचिंग ग्राउंड में कचरे की डंपिंग से जुड़ा है।
समिति में इंदौर के जिला कलेक्टर और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि शामिल होंगें। समिति को छह सप्ताह के भीतर तथ्यों और की गई कार्रवाई पर एक रिपोर्ट कोर्ट को सौंपनी होगी। आरोप है कि इस स्थान पर मरे हुए जानवर फेंके जा रहे हैं। आवेदक ने यह भी आशंका जताई कि बरसात के दौरान ट्रेंचिंग ग्राउंड में कचरा की डंपिंग से भूजल प्रदूषित हो सकता है।
संयुक्त समिति ने छत्तीसगढ़ में अवैध खनन को रोकने के लिए पेश कीं सिफारिशें
संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसे जांच में सेलदीप में कोई अवैध रेत खनन या उसका भंडार नहीं मिला है। मामला छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले का है।
समिति ने एनजीटी में सौंपी अपनी रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी है कि नदी के उस पार एक अस्थाई रेत का बना रास्ता जरूर देखा गया है, जो मानसून के दौरान नदी के प्रवाह में बाधा बन सकता है।
ऐसे में संयुक्त समिति ने सिफारिश की है कि खनन विभाग को सेलदीप गांव में चेतावनी संकेत लगाने चाहिए, जिससे लोगों को अवैध रेत खनन और परिवहन के लिए जुर्माने की सूचना मिल सके। समिति का यह भी सुझाव है कि राज्य के जल संसाधन विकास विभाग को नदी पर निगरानी रखनी चाहिए। यदि उन्हें कोई अनधिकृत निर्माण या बाधा नजर आती है तो उन्हें तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।
समिति का यह भी कहना है कि यह सुनिश्चित करने के लिए सावधानी बरती जानी चाहिए कि जलधारा निर्बाध रूप से बहती रहे और नदी के प्राकृतिक बहाव में रूकावट न पड़े। स्थानीय प्रशासन को सेलदीप गांव के पास नदी पार बने रास्ते को हटाना चाहिए।
इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में सभी रेत खनन परियोजनाओं को जल अधिनियम 1974 और वायु अधिनियम 1981 के तहत सीईसीबी से स्थापना और सचांलन के लिए मंजूरी लेनी होगी।
समिति ने यह भी कहा है कि जिला अधिकारियों को राज्य सरकार के राजस्व और खनन विभाग के सहयोग से, खदानों और स्टॉकयार्डों का नियमित निरीक्षण करने की आवश्यकता है। खनन विभाग को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि 2016 से सतत रेत खनन दिशानिर्देश और 2020 से रेत खनन के लिए प्रवर्तन और निगरानी दिशानिर्देशों का पालन किया जाए।
कितनी बार आती है सोनाली नदी में बाद, पूरा हो चुका है इसके विश्लेषण का काम: उत्तराखंड सिंचाई विभाग
उत्तराखंड सिंचाई विभाग ने सोलानी नदी के किनारे बाढ़ क्षेत्र के सर्वेक्षण के लिए आंकड़ों को एकत्र करने का काम पूरा कर लिया है। इसके साथ ही आसपास के क्षेत्रों में कितनी बार बाढ़ आ सकती है, उसके विश्लेषण का काम भी पूरा हो चुका है। सीमांकन कार्य के बाद विभिन्न समयावधियों (पांच, 10, 25, 50, 100 वर्ष) के लिए बाढ़ आवृत्तियों का निर्धारण किया गया है। शेष सभी कार्य मार्च 2024 तक पूरे कर लिए जाएंगे।
यह जानकारी उत्तराखंड सिंचाई विभाग ने एनजीटी में सौंपे अपने हलफनामे में दी है। बता दें कि यह हलफनामा 29 जनवरी, 2024 को जारी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों का पालन करते हुए कोर्ट में सौंपा गया है। गौरतलब है कि सोनाली एक अंतरराज्यीय नदी है जो उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश दोनों से होकर होकर बहती है।