प्रशासन की लापरवाही से जा रही है मासूमों की जान: उड़ीसा उच्च न्यायालय

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
प्रशासन की लापरवाही से जा रही है मासूमों की जान: उड़ीसा उच्च न्यायालय
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उच्च न्यायालय ने ओडिशा के सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि वो सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का कड़ाई से पालन करे, जिससे बोरवेल, ट्यूबवेल आदि के गड्ढों में गिरने जैसी दुर्घटनाओं में किसी बच्चे की जान न जाए।

गौरतलब है कि उच्च न्यायालय का यह फैसला सात साल की एक बच्ची के पिता माधव सोरेन द्वारा दायर याचिका के जवाब में था, जिसकी क्योंझर के घासीपुरा ब्लॉक में कोल्हाबेड़ा आश्रम स्कूल परिसर की दीवार गिरने से कुचलकर मौत हो गई थी।

कोर्ट का कहना है कि ओडिशा के स्कूलों में कई मासूमों की जान इसी तरह गई है, जोकि एक पैटर्न में प्रतीत होती हैं। गौरतलब है कि इससे पहले भी 09 जुलाई 2012 को नयागढ़ के रणपुर प्रखंड में सुआंसिया स्थित नेलिया उच्च प्राथमिक केंद्र में मौजूद आंगनबाडी की दीवार गिरने से सात मासूमों की मौत हो गई थी। जिनको न्याय दिलाने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा था।

इसी तरह एक अन्य मामले में, कटक शहर के सुताहाट इलाके में मुख्य जल चैनल में गिरने से 7 सितंबर, 2011 को एक चार साल की बच्ची की जान चली गई थी। 

मद्रास हाईकोर्ट ने प्लास्टिक पैकेजिंग के मामले में खाद्य निर्मातों के लिए जारी किए दिशा निर्देश

मद्रास उच्च न्यायालय ने प्लास्टिक पैकेजिंग के मामले में खाद्य निर्मातों के लिए कई दिशा निर्देश जारी किए हैं। जिनसे उत्पादों की पैकेजिंग में बढ़ते प्लास्टिक के उपयोग को सीमित किया जा सके। इस मामले में न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन और न्यायमूर्ति पी टी आशा की बेंच ने तमिलनाडु सरकार को एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या उपरोक्त के संबंध में रिकॉर्डस का रखरखाव किया जाता है:

(ए) पीने का पानी कैसे तैयार किया जाता है।

(बी) पानी के डिब्बे कैसे साफ किए जाते हैं।

(सी) पानी के डिब्बे का जीवन काल कितना होता है। 

(डी) पानी के डिब्बे में पानी कितने दिनों तक रहता है और

(ई) पानी के डिब्बों के निपटान के लिए अपनाई जाने वाली व्यवस्था क्या है।

इसके अलावा न्यायलय ने राज्य सरकार को आविन जोकि तमिलनाडु में प्रमुख दूध आपूर्तिकर्ता है, उसके सुझाव पर बोतल/टेट्रापैक में दूध की आपूर्ति के संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट भी दाखिल करने के लिए कहा है। साथ ही हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से सभी सार्वजनिक स्थानों पर पानी की प्लास्टिक की बोतलों का एक प्रभावी विकल्प खोजने को कहा है।

हरियाणा चंडीगढ़ में बड़े पैमाने पर कचरा पैदा कर रही 807 इकाइयों को करना होगा वेस्ट प्रोसेसिंग सुविधा का निर्माण: रिपोर्ट

एनजीटी गठित निगरानी समिति ने अपनी 7वीं रिपोर्ट में सिफारिश की है कि हरियाणा और चंडीगढ़ में बड़े पैमाने पर गीला कचरा पैदा कर रही 807 इकाइयों को अपने परिसर में वेस्ट प्रोसेसिंग सुविधा का निर्माण करना चाहिए। गौरतलब है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर इस समिति को हरियाणा और चंडीगढ़ में म्युनिसिपल सॉलिड वेस्ट रूल्स 2016 के तहत कचरे का निपटान हो रहा है या नहीं यह देखने के लिए गठित किया गया था। 

रिपोर्ट का कहना है कि हरियाणा के सभी शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) को बड़े पैमाने पर कचरा पैदा करने वाली सभी इकाइयों को आवश्यक निर्देश जारी करना चाहिए। साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन यूएलबी को एमआरएफ साइटों पर वैज्ञानिक रूप से सूखे कचरे के संग्रहण, परिवहन और प्रसंस्करण के लिए इकाइयों के साथ समझौता करना चाहिए।

रिपोर्ट के अनुसार ठोस कचरे के प्रबंधन के लिए हरियाणा को दो दृष्टिकोण अपनाने चाहिए। जानकारी मिली है कि क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण के तहत 13 क्लस्टरों में सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना के लिए 14 उपयुक्त स्थलों की पहचान की गई है, जिनमें कचरे से ऊर्जा तैयार करने वाले दो क्लस्टर सोनीपत-पानीपत (700 टीपीडी) और गुरुग्राम-फरीदाबाद (2300 टीपीडी) हैं।

वहीं एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (आईएसडब्ल्यूएम) दृष्टिकोण के तहत 13 क्लस्टरों में सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग सुविधाओं और लैंडफिल की स्थापना के लिए 13 उपयुक्त स्थानों की पहचान की गई है।

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