'जारोसाइट' अपशिष्ट प्रबंधन के लिए नहीं है देश में कोई दिशानिर्देश: सीपीसीबी

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
'जारोसाइट' अपशिष्ट प्रबंधन के लिए नहीं है देश में कोई दिशानिर्देश: सीपीसीबी
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वर्तमान में 'जारोसाइट' के प्रबंधन के लिए खतरनाक और अन्य अपशिष्ट प्रबंधन नियमन 2016 के तहत कोई मौजूदा दिशानिर्देश नहीं हैं। हालांकि, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने जारोसाइट के संचालन और प्रबंधन के लिए दिशानिर्देश विकसित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

इसके लिए एक तकनीकी विशेषज्ञ समिति (टीईसी) का भी गठन किया गया है। यह जानकारी 15 फरवरी, 2023 को सीपीसीबी ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को सौंपी अपनी रिपोर्ट में दी है।

गौरतलब है कि सीपीसीबी की टीमों ने मौजूदा रूप से चल रही इकाइयों के साथ-साथ उन बंद औद्योगिक इकाइयों में भी इनके प्रबंधन का अध्ययन करने के लिए क्षेत्र का दौरा किया और नमूने लिए थे, जहां जारोसाइट को लैंडफिल में डंप किया गया था।

यह दिशा-निर्देश, क्षेत्र के दौरे, नमूनों के विश्लेषण और राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वर्तमान में इनका किस तरह प्रबंधन किया जा रहा है इसकी समीक्षा के आधार पर तैयार किए जा रहे हैं।

इन दिशानिर्देशों में पर्यावरण की दृष्टि से जारोसाइट के सुरक्षित संचालन, भंडारण, उपयोग और निपटान के प्रावधान शामिल होंगे। साथ ही इनमें सीमेंट, सड़क निर्माण, लोहे और अन्य भारी धातुओं की पुनःप्राप्ति आदि में उपयोग सम्बन्धी विकल्पों को शामिल किया जाएगा।

सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में एनजीटी को सूचित किया है कि प्रस्तावित दिशानिर्देश तैयार किए जा रहे हैं और इस बारे में आमलोगों और इससे सम्बन्ध रखने वालों से उनके विचार लिए जाएंगें, जिनके बाद इन दिशानिर्देशों को जारी किया जाएगा। गौरतलब है कि जारोसाइट, जिंक निर्माण उद्योग द्वारा पैदा होने वाला एक अपशिष्ट पदार्थ है।

सीवेज प्रबंधन से संबंधित नए नियमों और दिशानिर्देशों को समाचार पत्रों में प्रकाशित करे तमिलनाडु सरकार: एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने तमिलनाडु सरकार को सीवेज प्रबंधन से संबंधित नए नियमों और दिशानिर्देशों को समाचार पत्रों में प्रकाशित करने का निर्देश दिया है,  जिससे लोगों को इस बारे में जागरूक किया जा सके। यह नए नियम जनवरी 2023 से लागू हुए हैं।

कोर्ट का कहना है कि संबंधित विभाग अवैध तरीके से किए जा रहे सीवेज की समस्या को हल करने के लिए नियमों का सख्ती से लागु और पालन करे। गौरतलब है कि मल कीचड़/सेप्टेज के संग्रह, परिवहन और निपटान और उससे जुड़े मामलों को नियमित करने के लिए यह नया नियम जारी किया गया है।

तमिलनाडु नगरपालिका कानून और चेन्नई महानगर जल आपूर्ति और सीवरेज (संशोधन) नियम, 2022 को नगर निगमों और नगर पालिकाओं के साथ-साथ चेन्नई महानगर जल आपूर्ति और सीवेज अधिनियम 1978 से संबंधित कानूनों में संशोधन करने के लिए अधिनियमित किया गया था।

इस संबंध में तमिलनाडु सरकार ने भी सेप्टेज प्रबंधन विनियम और परिचालन दिशानिर्देश जारी किए थे, जो बिना सीवर वाले क्षेत्रों से सेप्टेज को हटाने, स्थानीय निकायों में चल रहे सीवेज टैंकर लॉरियों के विनियमन, सीवेज के अवैध निर्वहन की रोकथाम से जल निकायों की रक्षा के लिए दिनांक 2 जनवरी 2023 को जारी किए गए थे।

कोर्ट के अनुसार यदि संबंधित विभाग यानी ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन, चेन्नई मेट्रोपॉलिटन वाटर सप्लाई और सीवरेज बोर्ड के साथ नगरपालिका, जल आपूर्ति विभाग और नगर पंचायत के निदेशक भी अपने संबंधित अधिकार क्षेत्र में उपरोक्त दिशानिर्देशों को यदि सख्ती से लागू करते हैं, तो वहां सीवेज और सेप्टेज को नियंत्रित किया जा सकेगा। इससे जल निकायों को इस सीवेज प्रदूषण के खतरे से बचाया जा सकता है। यह कुछ बाते हैं जो एनजीटी ने अपने 15 फरवरी, 2023 को दिए आदेश में कहीं हैं।

चेन्नई में रिहायशी इलाके के पास अवैध रूप से चल रही है केमिकल यूनिट जीएमआर

एनजीटी ने तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जीएमआर केमिकल के संचालन के सम्बन्ध में एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है और पूछा है कि क्या यह केमिकल यूनिट खतरनाक रसायनों के निर्माण, भंडारण और आयात नियम, 1989 के अनुरूप है या नहीं।

मामला चेन्नई के चेट्टियार आगाराम गांव में रिहायशी इलाके के पास चल रही केमिकल यूनिट से जुड़ा है जो विभिन्न प्रकार के एसिड और औद्योगिक रसायनों से सम्बन्ध रखती है।

गौरतलब है कि तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने यूनिट जीएमआर केमिकल द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर एक रिपोर्ट सबमिट की थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक यह यूनिट अपने गोदाम में सात हजार किलोग्राम से ज्यादा विभिन्न प्रकार के केमिकल्स को स्टॉक कर रही है। एसपीसीबी ने अदालत को सूचित किया है इसके लिए उन्होंने मंजूरी नहीं दी थी।

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