कचरे को अंबाला भेज रहे हैं पंचकुला और कालका पिंजौर: एनजीटी ने कहा 'सस्टेनेबल' नहीं यह कदम

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
कचरे को अंबाला भेज रहे हैं पंचकुला और कालका पिंजौर: एनजीटी ने कहा 'सस्टेनेबल' नहीं यह कदम
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और सुधीर अग्रवाल की बेंच ने 3 मई 2023 को दिए अपने आदेश में कहा कि झूरीवाला गांव या सेक्टर 23 में लंबे समय से जमा कचरे के निपटान में कोई प्रगति नहीं हुई है। कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि पंचकुला और कालका पिंजौर नगर निगम कचरे को अंबाला  ट्रांसपोर्ट कर रहे हैं। कोर्ट के अनुसार यह कदम लंबे समय के लिए सस्टेनेबल नहीं है और कुप्रबंधन का कारण बन सकता है।

कोर्ट का कहना है कि, "अब तक लगातार विफलताओं को देखते हुए इस स्थिति को मिशन मोड में संभालने की जरूरत है।" ऐसे में कोर्ट ने पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए हरियाणा के मुख्य सचिव को इसके लिए प्रभावी रोड मैप तैयार करने और इस मामले में क्या प्रगति हुई उसकी  व्यक्तिगत रूप से समीक्षा करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि वर्षों से जमा कचरे के उपचार और वेस्ट टू एनर्जी प्लांट के कामकाज में क्या प्रगति हुई साथ ही इस बारे में की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट कोर्ट में सबमिट की जानी चाहिए।

गौरतलब है कि यह मामला हरियाणा के पंचकुला में झुरीवाला गांव का है। जहां ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना के लिए आवंटित भूमि पर अवैज्ञानिक तरीके से कचरा डंप किया जा रहा था। आवेदक संजय कुमार के अनुसार यह साइट अपने आप में एक बड़ा सवाल है क्योंकि यह खोल ही-रायतन वन्यजीव अभयारण्य  से केवल 140 मीटर दूर है। इस मामले में 21 जनवरी, 2022 को दिए अपने आदेश में एनजीटी ने क्या कदम उठाए गए इस बारे में स्थिति रिपोर्ट मांगी थी।

इस बाबत समिति ने 15 नवंबर, 2022 को सबमिट अपनी रिपोर्ट में माना की यहां नियमों का उल्लंघन किया गया है। साथ ही समिति ने पर्यावरण को हुए नुकसान की बहाली के लिए जरूरी कदम उठाने का सुझाव दिया था।

कोर्ट ने रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए आगे की कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इस मामले में एनजीटी ने पंचकुला और कालका नगर निगम को 10 करोड़ रुपये का मुआवजा भरने का निर्देश दिया था जिसमें एक करोड़ रुपए बहाली पर खर्च किए जाने थे।

इस मामले में पंचकूला नगर निगम के आयुक्त ने 02 मई 2023 को रिपोर्ट सबमिट की है, जिसमे जानकारी दी गई है कि निगम ने मुआवजे की राशि को जमा कर दिया है। साथ ही सुझावों को अमल में लाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक उस साइट पर अभी भी वर्षों पुराना 3.5 लाख मीट्रिक टन कचरा जमा है, जिसका दिसम्बर 2023 तक निपटान कर दिया जाएगा।

लुधियाना में ठोस कचरे के अवैज्ञानिक निपटान के मामले में एनजीटी ने दिए जांच के निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने लुधियाना में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के हुए उल्लंघन के मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। मामला पंजाब के लुधियाना में ठोस कचरे के अवैज्ञानिक प्रबंधन से जुड़ा है। इस बारे में कपिल देव और अन्य ने एनजीटी में आवेदन दायर किया था।

यह आदेश दो मई, 2023 को दिया गया है। इस जांच समिति में पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, लुधियाना के जिलाधिकारी और नगर निगम के सदस्य शामिल होंगे। इस मामले में पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुख्य नोडल एजेंसी होंगे।

कोर्ट द्वारा दिए इस निर्देश के मुताबिक इस बाबत की जाने वाली कार्रवाई में सम्बंधित स्थानों से कचरे को उठाना और उसे वहां पहुंचाना शामिल होगा जहां इसे प्रोसेस किया जाएगा। साथ ही समिति को यह सुनिश्चित करना होगा कि निर्धारित स्थानों के अलावा अन्य किसी स्थान पर डंपिंग न हो और कचरे का हर रोज प्रोसेस किया जाए, जिससे कचरा जमा न हो। 

जानिए क्यों एनजीटी ने एनसीएल पर लगाया करोड़ का जुर्माना

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नॉर्दर्न कोलफील्ड्स को 10 करोड़ रुपए का मुआवजा भरने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने नॉर्दर्न कोलफील्ड्स पर यह जुर्माना अपनी जमीन पर भारी मात्रा में किए जा रहे कोयले की डंपिंग के लिए लगाया है। कोयला डम्पिंग की यह साइट उत्तरप्रदेश के सोनभद्र में कृष्णाशिला रेलवे साइडिंग के पास है।

पता चला है कि वहां करीब तीन लाख टन कोयला डंप किया गया था, जिसमें से करीब 50 फीसदी उठा लिया गया है, जबकि बाकी अभी भी पड़ा है। कोर्ट ने 2 मई, 2023 को अपने आदेश में कहा है कि अगर कोयले की कीमत 10,000 रुपए प्रति टन के हिसाब से जोड़ी जाए तो इसकी कुल कीमत करीब 30,000 करोड़ रुपए बैठती है।

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