नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने लुधियाना नगर निगम को निर्देश दिया है कि वर्षों से जमा 30 लाख मीट्रिक टन पुराने कचरे के उपचार के साथ-साथ मौजूदा कचरे के भी वैज्ञानिक प्रबंधन को सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2016 के तहत सख्ती से पूरा किया जाना चाहिए।
कोर्ट का कहना है कि इसमें यदि किसी भी प्रकार की चूक होती है तो इसके लिए पंजाब के मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से जवाबदेह ठहराया जाएगा। एनजीटी का यह आदेश, 1 नवंबर, 2022 को आया है। इस आदेश में कहा गया है कि लैंडफिल के पास किसी भी व्यक्ति और श्रमिकों के अनावश्यक प्रवेश पर रोक होनी चाहिए। साथ ही लैंडफिल में आग की रोकथाम पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि इस मामले की कार्रवाई एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर शुरू की गई थी, जिसमें लुधियाना के ताजपुर रोड में एक कचरा डंप साइट पर आग लगने में हुई सात लोगों की मौत के मुद्दे को उठाया गया था। जानकारी मिली है कि इस आग में मरने वालों में ज्यादातर कूड़ा बीनने वाले परिवार के सदस्य थे, जो पिछले दस वर्षों से इस 20 लाख टन कचरे के विशाल पहाड़ के आसपास रह रहे थे।
इस बाबत लुधियाना नगर निगम द्वारा 21 सितंबर, 2022 को सबमिट रिपोर्ट में कहा गया था कि इसमें से 5 लाख मीट्रिक टन कचरे के निपटान के लिए जैव-उपचार का काम शुरू कर दिया गया है, जबकि शेष 19.6 लाख टन कचरे के जैव-उपचार का काम शुरू होना अभी बाकी है।
इतना ही नहीं इस पुलिस जांच पूरी होने के बाद मुआवजे के रूप में 57.5 लाख रुपए अलग खाते में जमा करा दिए गए हैं। एनजीटी ने नगर निगम के इस प्रयास को काफी नहीं माना था।
पुराने डीजल जेनरेटरों को बदला जाना चाहिए: एनजीटी
एनजीटी ने 1 नवंबर, 2022 को निर्देश दिया है कि 15 साल से पुराने डीजल जनरेटरों को हटाकर वहां नए साफ सुथरे ईंधन पर चलने वाले उपकरणों को लगाना चाहिए। साथ ही स्टैक की ऊंचाई के मामले में मानदंडों का पालन किया जाना चाहिए।
एनजीटी का कहना है कि आदेश का पालन हो रहा है यह उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और गाजियाबाद जिला मजिस्ट्रेट द्वारा सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि अदालत का यह आदेश सतीश गोविंद द्वारा 11 मार्च, 2022 को दायर आवेदन के जवाब में आया है, जिसमें उन्होंने गाजियाबाद के उत्तर में विंडसर पार्क रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रबंधन बोर्ड द्वारा डीजल जनरेटर के उपयोग में वायु गुणवत्ता मानदंडों के उल्लंघन की बात की गई थी। इस विंडसर पार्क सोसाइटी में 10 से 23 मंजिलों के 12 टावर हैं, लेकिन सभी डीजल जनरेटर सेटों की चिमनियां सेट के ठीक ऊपर समाप्त होती हैं और इस तरह सभी जनरेटर भूतल पर उत्सर्जन का रहे हैं। आवेदक ने कहा कि यह चिमनियां टावरों की छत की ऊंचाई से ऊपर तक नहीं हैं।
प्लास्टिक कचरे प्रबंधन के मामले में आंध्र प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एनजीटी को सौंपी रिपोर्ट
आंध्र प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एपीपीसीबी) ने 2 नवंबर, 2022 को एनजीटी में सबमिट अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आंध्र प्रदेश में कोई भी ऐसा पैकेजिंग उत्पादक मौजूद नहीं हैं जो ऐसे बहु-स्तरित प्लास्टिक पाउच या पैकेजिंग का उपयोग कर रहा है, जिसमें गैर-पुनर्नवीनीकरणीय प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है। ऐसे में यदि राज्य में कोई उत्पादक एपीपीसीबी से पंजीकरण के बिना संचालन करता पाया जाता है, तो उसपर प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी।
यहां बहु-स्तरित पैकेजिंग का अर्थ है कि पैकेजिंग के लिए उपयोग की जाने वाली किसी भी सामग्री में मुख्य घटक के रुप में प्लास्टिक की कम से कम एक परत हो। इस मामले में नगरीय स्थानीय निकायों को गैर-पुनर्नवीनीकरण प्लास्टिक कचरे को पास के सीमेंट संयंत्रों में भेजने के लिए निर्देश दिए गए हैं।
जानकारी दी गई है कि शहर में लगभग 19 शहरी स्थानीय निकायों ने पास के सीमेंट संयंत्रों के साथ करार किया है और वहां सड़क निर्माण के लिए करीब 920 मीट्रिक टन गैर-पुनर्नवीनीकरण प्लास्टिक कचरे का उपयोग किया जा रहा है। इस बारे में वेस्ट से एनर्जी पैदा करने वाले संयंत्रों के 100 किमी के दायरे में आने वाले 41 शहरी स्थानीय निकायों को भी निर्देश जारी किए गए हैं कि वो जलने वाले कचरे को इन ऊर्जा संयंत्रों में भेजें।