सीपीसीबी ने कचरे और डंप साइट पर आग की घटनाओं को रोकने के सम्बन्ध में कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
सीपीसीबी ने कचरे और डंप साइट पर आग की घटनाओं को रोकने के सम्बन्ध में कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट
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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने 1 नवंबर, 2022 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में सबमिट अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसके द्वारा वर्षों से जमा कचरे के साथ-साथ डंप साइट्स में आग पर नियंत्रण के लिए तीन निर्देश जारी किए हैं। इनके तहत:

  1. 27 जनवरी 2021 को सभी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और प्रदूषण नियंत्रण समितियों के अध्यक्षों को वर्षों से जमा कचरे के जैव खनन के संबंध में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (एसडब्ल्यूएम) नियम 2016 को लागू करने के निर्देश दिए गए थे।
  2. 23 अगस्त, 2022 को सभी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों/ प्रदूषण नियंत्रण समितियों को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के मामले में पत्र लिखे गए थे।
  3. वहीं 26 मई, 2022 को डंप साइटों पर आग लगने की घटनाओं के संबंध में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 1986 के कार्यान्वयन के लिए निर्देश जारी किए गए थे।

रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि इस बाबत सीपीसीबी को 10 राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और प्रदूषण नियंत्रण समितियों से जवाब में सूचना मिली है। गौरतलब है कि एनजीटी ने 25 जुलाई, 2022 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की राजधानियों में वर्षों से जमा कचरे और सक्रिय डंप साइटों की जानकारी तैयार करने के लिए कहा था। साथ ही उस कचरे के निपटान और आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए अग्नि प्रबंधन योजनाएं तैयार करने के लिए कहा था। 

पलक्कड़ में वर्षों से जमा कचरे के निपटान के लिए जोर-शोर से चल रहा है काम: रिपोर्ट

केरल के पलक्कड़ में ओट्टापालम नगर पालिका ने पनामा ट्रेंचिंग ग्राउंड से वर्षों से जमा कचरे को हटाने के लिए एक कार्य योजना और परियोजना रिपोर्ट तैयार की है। परियोजना रिपोर्ट को नगर परिषद द्वारा 6 अगस्त, 2021 को मंजूरी दे दी गई है और उसपर काम चल रहा है। यह जानकारी ओट्टापलम नगर पालिका द्वारा 31 अक्टूबर 2022 को एनजीटी में दाखिल एक रिपोर्ट में दी गई है।

इस परियोजना के पहले चरण में 980 टन कचरा पहले ही हटा दिया गया था और करीब 2,000 टन बाकी बचे कचरे का निपटान जल्द ही कर दिया जाएगा। इसके लिए 2.5 करोड़ रुपए की विस्तृत परियोजना अपने अंतिम चरण में है और उम्मीद है कि यह परियोजना 31 जून, 2023 तक पूरी हो जाएगी। जानकारी दी गई है कि उसके बाद कोई पुराना कचरा बाकी नहीं बचेगा।

साथ ही कचरे के भंडारण और छंटाई में सुधार के लिए सामग्री संग्रह सुविधा (एमसीएफ) और संसाधन रिकवरी सुविधाएं (आरआरएफ) स्थापित करने का भी निर्णय लिया गया है। सामुदायिक खाद (थंबूरमूझी मॉडल) दो स्थानों पर स्थापित किया गया है और कार्य कर रहा है। वहीं ओट्टापालम नगर पालिका ने जैव अपशिष्ट उपचार के लिए प्रति दिन एक टन प्रोसेसिंग क्षमता का एक जैव खाद संयंत्र भी वहां स्थापित किया है।

सोन नदी पर अवैध रेत खनन का मामला, संयुक्त समिति ने सबमिट की रिपोर्ट

संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में एनजीटी को जानकारी दी है कि आर के परिवहन और निर्माण द्वारा सोन नदी पर रेत खनन का प्रस्तावित स्थल सोन घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य के पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्रों (ईएसजेड) से केवल 1,138 मीटर की दूरी पर स्थित है।

वहीं राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण, मध्य प्रदेश द्वारा दी गई पर्यावरण मंजूरी (ईसी) में लिखा है कि इस खनन क्षेत्र के 10 किलोमीटर के दायरे में कोई राष्ट्रीय उद्यान/अभयारण्य अथवा जैव विविधता क्षेत्र नहीं है।

हालांकि, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ और सीसी) द्वारा 13 दिसंबर, 2016 को जारी गजट अधिसूचना के अनुसार उस क्षेत्र में सोन घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य एक अधिसूचित पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र है। इस फील्ड विजिट के दौरान सिंगरौली खनन विभाग के प्रभारी अधिकारी द्वारा खनन पट्टा क्षेत्र में रेत की वार्षिक बहाली के अध्ययन से संबंधित कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया था। यह जानकारी एनजीटी में 1 नवंबर, 2022 को सबमिट रिपोर्ट में कही गई है।

वहीं 17 अगस्त, 2022 को संजय टाइगर रिजर्व के उप निदेशक ने पत्र द्वारा दी जानकारी में कहा है कि सोन घड़ियाल अभयारण्य से थाटरा खदान की दूरी 1.950 किलोमीटर है जबकि थाटरा खदान से अभयारण्य की अधिसूचित पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र की दूरी 950 मीटर पाई गई है।

यह रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के द्वारा 20 जुलाई, 2022 को दिए आदेश के अनुपालन में थी। गौरतलब है कि मामला मैसर्स आर के ट्रांसपोर्ट एंड कंस्ट्रक्शन लिमिटेड द्वारा सिंगरौली, मध्य प्रदेश के थाटरा गांव में अवैध खनन से जुड़ा है। पता चला है कि सोन नदी की धारा में बाधा डालकर यह अवैध खनन किया जा रहा था।

इतना ही नहीं यह भी जानकारी मिली है कि इस परियोजना के लिए सोन घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य के पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र में  रेत खनन के लिए पर्यावरण मंजूरी (ईसी) दी गई है, जोकि निषिद्ध क्षेत्र है।

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