अरुणाचल प्रदेश में इनर लाइन परमिट के जरिए पर्यटकों की संख्या पर निगरानी : एनजीटी में राज्य सरकार

रिपोर्ट के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश सरकार ने ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं
अरुणाचल प्रदेश के तवांग में पहाड़ी दर्रे के पास हवा में लहराते बौद्ध प्रार्थना झंडों से सजा प्रवेश द्वार; फोटो: आईस्टॉक
अरुणाचल प्रदेश के तवांग में पहाड़ी दर्रे के पास हवा में लहराते बौद्ध प्रार्थना झंडों से सजा प्रवेश द्वार; फोटो: आईस्टॉक
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अरुणाचल प्रदेश में बाहर से आने वाले पर्यटकों के लिए अनिवार्य रूप से 'इनर-लाइन परमिट' जारी करने की व्यवस्था की गई है। इसके जरिए सरकार पर्यटकों की संख्या को नियंत्रित करने के साथ उनकी निगरानी भी कर रही है। यह जानकारी अरुणाचल प्रदेश सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को सौंपी अपनी रिपोर्ट में दी है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार ने ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। अरुणाचल प्रदेश तेरह शहरों में कचरे से काम लायक सामग्री को पुनः प्राप्त करने संबंधी सुविधाओं (एमआरएफ) के निर्माण के लिए परियोजनाएं शुरू कर रहा है। इसके अतिरिक्त, विभिन्न योजनाओं के माध्यम से चिम्पू, ईटानगर (यागमसो नदी), नाभरलागुन, पासीघाट और नामसाई में सीवेज उपचार संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं।

अपशिष्ट प्रबंधन में मौजूद अंतराल को पाटने के लिए कार्य योजनाएं तैयार की गई हैं और उन्हें कार्यान्वित किया जा रहा है। इसके अलावा, संबंधित जिलों के उपायुक्तों द्वारा विकसित जिला पर्यावरण योजनाओं के माध्यम से स्थानीय पर्यावरणीय मुद्दों की पहचान की जा रही है और उन्हें कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

जहां तक अरुणाचल प्रदेश में संरक्षित क्षेत्रों के पर्यावरण को बचाने का सवाल है,  राज्य सरकार ने मौलिंग नेशनल पार्क, दिबांग वन्यजीव अभयारण्य और केन वन्यजीव अभयारण्य के लिए इको सेंसिटिव जोन (ईएसजेड) पहले ही अधिसूचित कर दिया है।

शेष संरक्षित क्षेत्रों के लिए, ईएसजेड प्रस्ताव पांच मामलों में अंतिम अधिसूचना जारी करने के लिए वर्तमान में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) द्वारा समीक्षाधीन है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ईएसजेड की अधिसूचना प्रक्रिया में प्रगति हो रही है।

गौरतलब है कि यह मामला 27 फरवरी, 2022 को द हिन्दू में प्रकाशित एक खबर में प्रकाश में आया था। इस खबर में कहा गया था कि पर्यटन ने हिमालयी क्षेत्र में आर्थिक समृद्धि ला दी है लेकिन इसका खामियाजा पर्यावरण को उठाना पड़ रहा है।

बारासात नगर पालिका में क्यों नहीं हो सका अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्र का निर्माण, हलफनामे में दी गई जानकारी

बारासात नगर पालिका में जमीन की कमी और निर्माण संबंधी बोली प्रक्रिया में किसी भी बोलीदाता के भाग न लेने की वजह से प्रस्तावित अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्र का निर्माण नहीं हो सका है। इसके चलते बारासात नगर पालिका में पैदा हो रहा ताजा कचरा प्रमोदनगर डंप साइट पर जमा हो गया है जो "प्रशासन के नियंत्रण से परे" है।

यह जानकारी पश्चिम बंगाल के शहरी विकास और नगरपालिका मामलों के विभाग ने एनजीटी को सौंपे अपने हलफनामे में दी है।

हलफनामे में यह भी कहा गया है कि प्रमोदनगर/राजीवनगर साइट पर कुल 11 लाख मीट्रिक टन कचरा संसाधित किया जाएगा। इस बीच पुराने कचरे का प्रबंधन करके करीब 7000 वर्गमीटर भूमि को पुनः प्राप्त किया गया है। इस साइट पर दो नगर पालिकाओं  उत्तरी दम दम और न्यू बैरकपुर के ताजा कचरे का अंतरिम प्रसंस्करण शुरू हो गया है।

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