
यूरोप में नदियों पर बने बाधाओं को तोड़ने की होड़ लगी हुई है। वर्ष 2030 तक 25,000 किलोमीटर नदियों को बाधारहित बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए इसे और तेजी से करना होगा।
यूरोप में नदियों पर बनी बाधाओं को तोड़ने की मुहिम तेजी से चल रही है। वर्ष 2030 तक 25,000 किलोमीटर लंबी नदियों को बाधारहित बनाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए इस प्रयास को और अधिक गति देनी होगी।
डैम रिमूवल यूरोप द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, 2024 में 23 देशों ने 542 बाधाओं को हटाया। यह गठबंधन वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ), द रिवर्स ट्रस्ट, द नेचर कंजरवेंसी और यूरोपियन रिवर्स नेटवर्क जैसे छह संगठनों से मिलकर बना है।
हर एक किलोमीटर नदी पर एक बांध होने के चलते यूरोपीय देश इस अभियान से तेजी से जुड़ रहे हैं ताकि नदियों को मुक्त रूप से बहने दिया जा सके और उनके मूल जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल किया जा सके।
2020 में अभियान की शुरुआत के बाद से 2024 में हटाई गई बाधाओं की संख्या अब तक की सबसे अधिक है। इस वर्ष 11 देशों ने नदियों से बांध, वीयर (छोटे बांध), कलवर्ट और स्लूइस जैसी 101 बाधाएं हटाईं। इससे पूर्व 2023 तक 15 देशों ने कुल 487 बाधाएं हटा दी थीं।
यूरोप में चल रही यह मुहिम दरअसल वैश्विक स्तर पर नदियों के बढ़ते बांधों और अवरोधों के पारिस्थितिकीय प्रभावों को लेकर जताई जा रही चिंताओं के संदर्भ में हो रही है।
नदियों पर बनाए गए मानव निर्मित अवरोध प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र में मानवीय हस्तक्षेप के शुरुआती प्रयासों में से एक रहे हैं, जिनका उद्देश्य मानव समाज के लाभ के लिए संसाधनों का दोहन करना रहा है।
10 जुलाई को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) ने अपनी रिपोर्ट "फ्रंटियर्स 2025: द वेट ऑफ टाइम" जारी की, जो नियमित रूप से उभरते पर्यावरणीय मुद्दों को चिन्हित करती है। इस रिपोर्ट में 'पुनर्स्थापना के लिए अवरोधों को हटाना' को प्रमुख मुद्दों में से एक बताया गया है।
यूएनईपी की इस प्रमुख रिपोर्ट में कहा गया है, "जहां एक ओर बांधों से कई लाभ मिले हैं, वहीं उन्होंने आदिवासी और मछुआरा समुदायों को प्रभावित किया है और नदी पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुंचाया है।" यह रिपोर्ट नदियों को मुक्त रूप से बहने देने के लिए वैश्विक स्तर पर एकजुट प्रयास की मांग करती है।
रिपोर्ट में कहा गया है, "नदियों के स्वास्थ्य को बहाल करने के लिए बांधों और अवरोधों को हटाना अब एक तेजी से स्वीकार किया जा रहा उपाय बन चुका है, और इसमें खास तौर पर यूरोप और उत्तर अमेरिका में तेजी आई है, जहां पुराने, असुरक्षित, अनुपयोगी या आर्थिक रूप से अलाभकारी बांधों को हटाया जा रहा है।"
दुनिया भर में नदियों पर अब तक 62,000 बड़े बांध और लाखों छोटे अवरोध बनाए जा चुके हैं। अनुमान है कि केवल यूरोप की नदियों में ही 12 लाख से अधिक इन-स्ट्रीम (जलधारा के भीतर) अवरोध मौजूद हैं।
यूएनईपी रिपोर्ट के अनुसार एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि "2030 तक विश्व की 89 प्रतिशत नदी जलधारा मध्यम से लेकर गंभीर स्तर तक अवरुद्ध हो जाएगी, जो कि 2010 में 43 प्रतिशत थी।"
नदियों को खंडित करने या उनकी धारा रोकने से पारिस्थितिक तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ते हैं, जिनमें सबसे अहम है मछलियों की स्वतंत्र आवाजाही का रुकना।
रिपोर्ट के अनुसार, "जहां एक ओर मानव समाज को इन सेवाओं से काफी लाभ मिला है, वहीं लगभग हर अवरोध जल प्रवाह और तापमान, आवास की गुणवत्ता और मात्रा, निचले इलाकों में तलछट के प्रवाह और मछलियों की आवाजाही को प्रभावित करता है। खासकर बड़े बांध बनने के बाद, जिन समुदायों की आजीविका अंतर्देशीय मत्स्य पालन पर निर्भर होती है, उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है।"
साल 2000 में यूरोपीय संघ ने नदियों पर बने अवरोधों को मानवजनित दबाव के रूप में मान्यता दी थी, जब अध्ययनों से पता चला कि संघ के एक-पांचवें सतही जल स्रोतों पर बांधों और वीयर (छोटे बांधों) जैसे अवरोधों का प्रभाव पड़ा है। इसके जवाब में यूरोपीय संघ ने "वाटर फ्रेमवर्क डायरेक्टिव" लागू किया।
जुलाई 2023 में यूरोपीय संसद ने "नेचर रिस्टोरेशन लॉ" पारित किया, जिसके तहत 2030 तक 25,000 किलोमीटर लंबी नदियों को बाधारहित बनाना अनिवार्य कर दिया गया है।
वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) नीदरलैंड्स के मुख्य कार्यकारी जेले डे योंग ने यूरोप में हो रही इस प्रगति का स्वागत करते हुए कहा, "अवरोधों को हटाने में बढ़ोतरी यह दर्शाती है कि समुदाय और सरकारें नदियों को फिर से जोड़ने और बहाल करने के फायदों को तेजी से समझ रही हैं।" डब्ल्यूडब्ल्यूएफ, डैम रिमूवल यूरोप गठबंधन के छह भागीदार संगठनों में से एक है।
जैसे-जैसे अमेरिका जैसे अन्य देशों में भी नदी अवरोधों को हटाने की प्रक्रिया शुरू हो रही है, इससे यह समझने का मौका मिलता है कि 40–50 सालों तक बने रहने वाले ये मानव हस्तक्षेप स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर किस तरह असर डालते हैं।
दूसरी ओर, जब इन अवरोधों को हटाया जाएगा, तो यह जानने का भी मौका मिलेगा कि प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र किस प्रकार खुद को पुनर्स्थापित करता है और किस गति से जीवन लौटता है।
यूएनईपी की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि "अफ्रीका, एशिया और दक्षिण अमेरिका के अधिकांश हिस्सों में, जहां नदियों पर अवरोधों का निर्माण उनकी हटाने की तुलना में कहीं अधिक तेजी से हो रहा है, वहां हाइड्रोपावर (जलविद्युत) बांधों को बढ़ती जनसंख्या की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए एक हरित विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।"