सिंधु जल समझौते में बदलाव के लिए भारत ने पाकिस्तान को क्यों दिया नोटिस ?

2017 से 2022 तक हुई सभी पांच बैठकों में पाकिस्तान ने भारत की जलविद्युत परियोजनाओं पर आपत्ति जाहिर की है।
सिंधु जल समझौते में बदलाव के लिए भारत ने पाकिस्तान को क्यों दिया नोटिस ?
Published on

भारत ने जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा और रातले जलविद्युत परियोजना विवाद को न सुलझाने पर अड़े  पाकिस्तान को नोटिस जारी कर सिंधु जल समझौते, 1960 में संशोधन करने की जरूरत बताई है।    

मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि भारत ने 25 जनवरी को सिंधु जल समझौते के अनुच्छेद XII (3) के तहत नियुक्त कमिश्नर्स के जरिए यह नोटिस जारी किया गया।इस नोटिस का मकसद पाकिस्तान को 90 दिनों के भीतर सिंधु जल संधि के उल्लंघन को सुधारने के लिए अंतर-सरकारी वार्ता में प्रवेश करने का अवसर प्रदान करना है। साथ ही यह प्रक्रिया पिछले 62 वर्षों में स्थिति बदलने के अनुसार सिंधु जल संधि को अपडेट भी करेगी।

समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के मुताबिक "भारत की ओर से कहा गया है कि वह सिंधु जल समझौते, 1960 का अनुपालन पूरी दृढ़ता, जिम्मेदारी और भागीदारी के साथ  कर रहा है। हालांकि, पाकिस्तान की कार्रवाइयों के कारण सिंधु जल समझौते के प्रावधानों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है । इस कारण भारत को सिंधु जल समझौते में संशोधन के लिए नोटिस भेजने पर मजबूर होना पड़ा है।"  

19 सितंबर, 1960 को भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सिंधु जल समझौते के तहत सिंधु जल प्रणाली में पूर्वी नदियों (रावी, बेसिन, सतलज व उसकी सहायक नदियों) का पानी भारत को आवंटित किया गया जबकि भारत को समझौते के प्रावधानों के तहत पाकिस्तान की तरफ पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम और चेनाब व उसकी सहायक नदियों) के जल प्रवाह को जारी रखना है। भारत के जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा और रातले जल विद्युत परियोजना इन्हीं पश्चिमी नदियों पर है, जिस पर पाकिस्तान को आपत्ति है। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2015 में भारत ने पाकिस्तान से एक निष्पक्ष एक्सपर्ट को नियुक्त कर किशनगंगा और रातले जल विद्युत परियोजना का परीक्षण कर तकनीकी खामियों को बताने का अनुरोध किया था। हालांकि, 2016 में, पाकिस्तान ने एकतरफा रूप से इस अनुरोध को वापस ले लिया और यह प्रस्तावित किया कि एक मध्यस्थता अदालत उसकी आपत्तियों पर फैसला सुनाए।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक मुद्दे और एक ही सवाल पर दो प्रक्रियाओं के शुरु होने से न सिर्फ विवादास्पद परिणाम सामने आ सकते हैं बल्कि इससे सिंधु जल समझौते को भी क्षति पहुंच सकती है। 2016 में विश्व बैंक ने इसका संज्ञान लेते हुए दोनों तरफ की प्रक्रिया को रोककर सौहार्दपूर्ण रास्ता निकालने की सिफारिश की थी।    

वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि पाकिस्तान की तरफ से जल विद्युत परियोजनाओं के लिए लिया गया एक तरफा फैसला सिंधु जल समझौते के अनुच्छेद IX का उल्लंघन करता है। इस अनुच्छेद में विवाद सुलझाने के लिए ग्रेडेड मैकेनिज्म को सुझाया गया है। इसी लिए भारत ने इस मामले में पाकिस्तान से एक निष्पक्ष एक्सपर्ट नियुक्त करने का अनुरोध किया था। 

.1 अप्रैल, 1960 से प्रभावी हुए सिंधु जल समझौते में भारत और पाकिस्तान दोनों तरफ कमिश्नर्स नियुक्त किए गए हैं। वहीं दोनों देशों को बारी-बारी अपने यहां मुद्दों को लेकर बैठक करनी है। 2017 से 2022 तक पांच बार दोनों देशों के बीच बैठक हुई और इन सभी बैठकों में पाकिस्तान ने पश्चिमी नदियों पर भारत की जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर आपत्ति की है। 

सिंधु जल समझौते के तहत भारत-पाकिस्तान की हालिया बैठक 30-31 मई, 2022 को नई दिल्ली में  आयोजित हुई थी। इस बैठक को दोनों देशों ने सौहार्दपूर्ण बताया था। साथ ही दोनों देशों ने बाढ़ से पूर्व की स्थितियों और संबंधित जानकारियों को साझा करने का अनुरोध किया था। हालांकि, इस बैठक में भी पाकिस्तान ने भारत की जलविद्युत परियोजनाओं पर आपत्ति जाहिर की थी।  

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in