साल 2100 तक डेल्टा के क्षेत्र के जल स्तर में 85 से 140 सेमी तक की वृद्धि हो सकती है। फ्रांस की सीएनआरएस, आईआरडी, बीआरजीएम, ला रोचेल्ले यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी देस एंटिलेस, और बांग्लादेश यूनिवर्सिटी ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए गए एक अध्ययन के बाद यह दावा किया गया है। अध्ययन में शोधकर्ताओं ने जल-स्तर में वृद्धि, भूमि के जल में समाने के बेहतर अनुमान लगाकर भविष्य में पड़ने वाले प्रभावों से निपटने के बारे में बताया है। यह अध्ययन पीएनएएस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना डेल्टा, विश्व में सबसे बड़ा और सबसे घनी आबादी वाला डेल्टा है। ये डेल्टा जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे अधिक संवेदनशील स्थानों में से एक है। यहां जल स्तर के बढ़ने की सीमा और प्रभाव को खराब रूप में देखा जाता है। यह क्षेत्र, जो बांग्लादेश के दो तिहाई हिस्से और पूर्वी भारत का हिस्सा है, पहले से ही नियमित रूप से बाढ़, तीव्र मानसून वर्षा, समुद्र के बढ़ते स्तर, नदी के प्रवाह और यहां भूमि पानी में समाने के कारण घट रही है। हालांकि, इन विभिन्न कारकों को अलग करना मुश्किल है। इसके अलावा, जल स्तर के अब तक लगाए गए पूर्वानुमान स्थानीय माप पर आधारित हैं।
इन कठिनाइयों को दूर करने के लिए, शोधकर्ताओं ने डेल्टा के चारो ओर पानी और समुद्र के स्तर को मापने के लिए 101 गेजों से ली गई मासिक रीडिंग का विश्लेषण किया। स्थानीय प्रभावों को अलग करने और गेज के बीच गुणवत्ता के अंतर को पूरा करने के लिए भौगोलिक क्षेत्रों के आंकड़े एकत्र करके, उन्होंने जल-स्तर में बदलाव के लिए सटीक अनुमान लगाए है। 1968 से 2012 के बीच, जल स्तर में औसतन 3 मिमी प्रति वर्ष की वृद्धि हुई, वैश्विक समुद्री स्तर में औसत वृद्धि इसी अवधि के दौरान 2 मिमी प्रति वर्ष रही।
इसके बाद उन्होंने भूमि के घटने का अनुमान लगाया, जिसे समुद्र के समतल स्तर से घटाकर प्राप्त किया गया, जो पहले प्राप्त सापेक्ष जल स्तर का माप था। उनकी गणना के अनुसार, 1993 और 2012 के बीच डेल्टा में अधिकतम भूमि में 1 से 7 मिमी / वर्ष का घटाव था। ये मान कुछ स्थानीय मापों (जैसे ढाका में 1-2 सेंटीमीटर / वर्ष) से कम हैं, जिनका उपयोग अब तक एक संदर्भ के रूप में किया गया है।
यदि इसी दर से भू-स्तर में घटाव जारी रहा, और ग्रीनहाउस गैस में कमी के परिदृश्य के तहत, क्षेत्र के आधार पर, डेल्टा में जल-स्तर में वृद्धि, 1986-2005 की अवधि की तुलना में सदी के अंत तक 85 से 140 सेमी तक पहुंच सकती है। यह नवीनतम आईपीसीसी रिपोर्ट के अनुमानों से दोगुने से अधिक है, इसमें भूमि के घटाव को ध्यान में नहीं रखा गया था।
इस अध्ययन से गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना डेल्टा में जल स्तर के पूर्वानुमानों में सुधार करने में मदद मिलेगी, और इसके निकट रहने वाले 20 करोड़ लोगों को इससे प्रभावित होने से बचाया जा सकता है।