

बाढ़ और बादल फटने की बढ़ती घटनाएं
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक, बादल फटने की घटनाएं छोटी अवधि के भीतर होती हैं और अत्यधिक स्थानीय होती हैं। दुनिया भर में बादल फटने की घटना का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। इसके अलावा, बादल फटने की घटनाओं के बारे में जानकारी बहुत सीमित है।
आईएमडी इसे तब बादल फटने के रूप में मानता है जब लगभग 20 से 30 वर्ग किमी के भौगोलिक क्षेत्र में 10 सेमी प्रति घंटा या उससे अधिक की दर से वर्षा होती है। हालांकि, ऐसे अन्य अध्ययन हैं जहां बादल फटने को परिभाषित करने के लिए विभिन्न मानदंडों पर विचार किया जाता है। संबंधित रूप से, सबूत बताते हैं कि हाल के वर्षों में भारी वर्षा की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है, यह आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में बताया।
हर घर जल योजना (एचजीजेवाई) के माध्यम से हर घर में पानी
पिछले 35 महीनों में अब तक 6.65 करोड़ परिवारों को नल के पानी के कनेक्शन दिए गए हैं। इस प्रकार, 25 जुलाई 2022 तक, देश के 19.14 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से, लगभग 9.88 करोड़ (51.61 फीसदी ) घरों में नल के पानी की आपूर्ति होने की जानकारी है, यह आज जल शक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने लोकसभा में बताया।
नमामि गंगे कार्यक्रम
नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत 31,098.85 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से कुल 374 परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें से 210 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत शुरू की गई परियोजनाओं में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) क्षमता के 5,015.26 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) के निर्माण और पुनर्वास और 5,134.29 किलोमीटर सीवरेज नेटवर्क बिछाने के लिए 24,581.09 करोड़ रुपये की स्वीकृत लागत वाली 161 सीवरेज इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं शामिल हैं।
इनमें से 92 सीवरेज परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जिसके परिणामस्वरूप 1,642.91 एमएलडी एसटीपी क्षमता का निर्माण और पुनर्वास हुआ है और 4,155.99 किलोमीटर सीवरेज नेटवर्क बिछाया गया है, इस बात की जानकारी आज जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने लोकसभा में दी।
गंगा नदी में बाढ़ के कारण गांवों के कटाव से निपटने के लिए उपाय
उत्तर प्रदेश सरकार ने जानकारी दी है कि गंगा नदी के दाएं और बाएं किनारे पर स्थित गांवों को कटाव से बचाने के लिए बिजनौर लोकसभा क्षेत्र में अलग-अलग सालों में कई कटाव रोकने वाले कार्य किए गए हैं।
बिजनौर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत मीरापुर, हस्तिनापुर, बिजनौर सदर, नजीबाबाद, चांदपुर और नगीना विधानसभा क्षेत्र आते हैं। मीरापुर में मुजफ्फरनगर जिले में गंगा नदी पर बिजनौर बैराज के दाहिने किनारे स्थित उजियाली खुर्द, इशाकवाला, अहमदवाला और अल्लुवाला गांवों की सुरक्षा के लिए 1.5 किलोमीटर का कटाव पर लगाम लगाने का कार्य पूरा कर लिया गया है, जिसकी अनुमानित लागत 3.71 करोड़ रुपये है।
हस्तिनापुर में पिछले तीन वर्षों में ग्राम फतेहपुर प्रेम, हरिपुर, हंसापुर, परसापुर, सिरजेपुर कुंडा, ऐदलपुर, निमका, खानपुर, गढ़ी, शिवनगर और सिकंदरपुर के संरक्षण के लिए 30.58 करोड़ रुपये की कुल लागत से कई कटाव रोधी परियोजनाओं का निर्माण किया गया है। यह आज जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने लोकसभा में बताया।
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स
कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन (अमृत) के तहत सीवरेज और सेप्टेज परियोजनाओं के लिए 32,456 करोड़ रुपये (42 फीसदी) आवंटित किए गए हैं और अब तक कुल 6,246 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) की क्षमता वाले 282 एसटीपी शुरू किए गए। इसमें से 2,740.7 एमएलडी की कुल क्षमता वाले 128 एसटीपी पहले ही पूरे हो चुके हैं, इस बात की जानकारी आज आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री कौशल किशोर ने लोकसभा में दी।
किशोर ने कहा 2025 में वार्षिक संसाधन जरूरतों की तुलना में, 2021 में पर्याप्त संसाधन उपलब्ध थे। इस क्षेत्र को सबसे कुशल हस्तक्षेपों के लिए आवंटन दक्षता पर जोर देना होगा, प्रमुख आबादी और कमजोर समूहों के लिए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्रोतों से संसाधन बढ़ाना होगा और उपलब्ध संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करने के लिए तकनीकी दक्षता प्रक्रियाओं को बढ़ाना होगा।
जलवायु कार्रवाई के लिए धन
वर्तमान में जलवायु वित्त की परिभाषा के संबंध में तथा अनुमानों की पारदर्शिता और की गई प्रगति के संबंध में कई मुद्दे हैं। लामबंदी लक्ष्य को किस हद तक हासिल किया गया है, इसके बहुत अलग-अलग अनुमान हैं। यूएनएफसीसीसी की वित्त पर स्थायी समिति के चौथे द्विवार्षिक मूल्यांकन ने 2018 तक जलवायु वित्त प्रवाह में एक अवलोकन और रुझान प्रस्तुत किया है। मूल्यांकन में कहा गया है कि अक्टूबर 2020 में विकसित देश पार्टियों द्वारा रिपोर्ट की गई कुल सार्वजनिक वित्तीय सहायता 45.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी। 2017 और 2018 में 51.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी, इस बात की जानकारी आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में दी।
नए वन संरक्षण नियम, 2022
वन (संरक्षण) नियम, 2022 को केवल वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के प्रावधानों को लागू करने के लिए प्रवर्तित किया गया है। अधिनियम में परिकल्पित प्रक्रिया और उसके तहत बनाए गए नियम अन्य वैधानिक प्रक्रियाओं के साथ समानांतर प्रक्रिया है।
नियम वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986, वन अधिकार अधिनियम, 2006, आदि जैसे अन्य कानूनों में परिकल्पित प्रक्रियाओं के प्रारंभ को बाधित नहीं करते हैं। संबंधित नोडल कार्यान्वयन एजेंसियां के द्वारा अन्य वैधानिक कानूनों में परिकल्पित प्रावधान एक साथ किए जा सकते हैं। ।
राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रदेश इस तरह के कानूनों का अनुपालन शुरुआती या किसी अन्य स्तर पर सुनिश्चित कर सकते हैं, क्योंकि वन (संरक्षण) नियम, 2022 के प्रावधान अधिकारियों को ऐसा करने से नहीं रोकते हैं, लेकिन किसी भी मामले में, यह वन भूमि को उपयोगकर्ता एजेंसी को सौंपने से पहले किया जाना चाहिए, यह आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में बताया।