गंगा में कोरोना विषाणु का सर्वाइवल मुश्किल, नदी में महाजाल से डॉल्फिन को नुकसान का अंदेशा

बक्सर के रानीघाट पर 40 मीटर चौड़े तीन महाजाल बहते हुए शवों को रोकने के लिए लगाए गए थे। एनएमसीजी की बैठक में चिंता जताई गई है कि यह ध्यान रखा जाए कि कहीं डॉल्फिन इसमें न फंस जाएं।
फाइल फोटो: विकास चौधरी
फाइल फोटो: विकास चौधरी
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"गंगा से लिए गए नमूनों में कोरोना विषाणु की उपस्थिति की आशंका बहुत कम है। विषाणु का भी जीवन है और वह मृत हो चुका होगा, मेरा अनुमान है कि वह पानी में जीवित नहीं रह पाएगा। नमूनों का अभी एक स्तर का परीक्षण हो चुका है और आगे के लिए जांच जारी है, इसके निर्णायक परिणाम आना बाकी हैं। यह परिणाम केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के जरिए जारी किए जाएंगे।"

गंगा में कोरोना विषाणु की उपस्थिति को लेकर डाउन टू अर्थ को यह बयान प्रोफेसर एसके बारिक ने दिया। वह लखनऊ स्थित सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट फॉर टॉक्सिकोलॉजिकल रिसर्च (आईआईटीआर) के निदेशक हैं। एक जून से लेकर 5 जून के बीच बिहार में पटना, भोजपुर, सारण और बक्सर से गंगा के नमूने एकत्र किए गए हैं। गंगा नदी में कोरोना संक्रमण की पीक अवधि और उसके बाद मई, 2021 में अधजले और समूचे शरीर वाले करीब 71 संदिग्ध कोरोना पीड़ित शवों को प्रवाहित किया गया था। इसके बाद यह आशंका थी कि  गंगा नदी में भी कोरोना वायरस की उपस्थिति हो सकती है।

गंगा में कोरोना संक्रमण की उपस्थिति का पता लगाने के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमएसीजी) ने गंगा के नमूनों में कोरोना की उपस्थिति की जांच के लिए बिहार और उत्तर प्रदेश को जांच का आदेश दिया था। बहरहाल नमूनों की जांच लखनऊ स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट फॉर टॉक्सिकोलॉजिकल रिसर्च (आईआईटीआर) कर रही है। 

बिहार प्रदूषण नियंत्रण समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर एके घोष ने डाउन टू अर्थ से कहा कि बक्सर के साथ ही राज्य के अलग-अलग हिस्सों से गंगा के नमूनों को एकत्र किया गया है। इन्हें यूपी के लखनऊ में आईआईटीआर जांच के लिए भेजा गया है। बिहार में इसे जांचने की व्यवस्था नहीं थी। इसके परिणाम कब तक आएंगे यह नहीं बता सकता। 

एनएमसीजी ने 16 मई को अपनी बैठक में उत्तर प्रदेश और बिहार को यह आदेश दिया है कि वह पूर्व के आदेशों का पालन करते हुए यह सुनिश्चित करें कि गंगा में किसी भी तरह से शव प्रवाहित न होने पाए। बैठक में यह भी चिंता जताई गई है कि गंगा में प्रवाहित शवों की रोकथाम के लिए उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा पर लगाए गए महाजाल के कारण कहीं गंगा में मौजूद डॉल्फिन को नुकसान न होने पाए। 

उच्चस्तरीय बैठक में कहा गया "आवश्यकता है कि लोगों के बीच जागरुकता फैलाई जाए और संबंधित एजेंसियों को भी बताया जाए कि शवों को रोकने के लिए गंगा में लगाए गए महाजाल में वह फंसने न पाए। शहरों के साथ गांव क्षेत्रों में भी यह सुनिश्चित किया जाए।"

बक्सर के जिलाधिकारी अमन समीर ने डाउन टू अर्थ से कहा कि यूपी और बिहार की सीमा में महाजाल अभी लगा हुआ है। तीन महाजाल लगाए गए थे ताकि उत्तर प्रदेश की ओर से बहकर आने वाले शवों को सीमा पर ही रोक दिया जाए। बक्सर के रानीघाट पर इन महाजाल को लगाया गया था, इनकी चौड़ाई करीब 40 मीटर होगी। अभी तक कोई डॉल्फिन के फंसने का मामला सामने नहीं आया है। उन्होंने कहा कि अभी ऐसी कोई जानकारी उनके पास नहीं है फिर भी यदि कोई सूचना मिलती है तो तत्काल कदम उठाएंगे।" 

मई महीने में गंगा में शवों की खबरों के बाद नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन (एनएचआरसी) ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय, उत्तर प्रदेश और बिहार को नोटिस जारी किया था। 

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