भोपाल के गांधी भवन में शुक्रवार को कार्यक्रम के बारे में बताते हुए सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि इसमें नर्मदा, गंगा, गोदावरी, यमुना, कृष्णा, पोलावरम, सिंगरी, बारू, रेवा, कावेरी, कोसी, विश्वामित्र, साबरमती, गोसीखुर्द, हलोन सहित तमाम नदी घाटी के विभिन्न पहलुओं पर काम करने वाले लोग आएंगे।