ओंकारेश्वर बांध: प्रभावितों ने पानी में खड़े होकर मनाए सभी त्यौहार

ओंकारेश्वर बांध के कारण प्रभावित होने वाले लोग पानी में खड़े होकर विरोध कर रहे हैं। वे पानी में खड़े होकर ही सारे त्यौहार भी मना रहे हैं
पानी में खड़े होकर ओंकारेश्वर बांध का विरोध कर रहे आंदोलनकारियों को उनकी बहनों ने पानी में घुसकर भैया दूज मनाया। फोटो: एनबीए
पानी में खड़े होकर ओंकारेश्वर बांध का विरोध कर रहे आंदोलनकारियों को उनकी बहनों ने पानी में घुसकर भैया दूज मनाया। फोटो: एनबीए
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आंकारेश्वर बांध प्रभावितों का जल सत्याग्रह का आज पांचवा दिन है। सभी जल सत्याग्रही पानी में ही दिवाली से लेकर आज मानए जा रहे भाई दूज त्यौहार मनाने पर विवश हैं। इस संबंध में नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता आलेक अग्रवाल ने डाउन टू अर्थ को बताया कि बांध में  पानी भरने के कारण कम से कम तीन गांव की बिजली काट दी गई है। और इन ग्रामीणों को अपने गांव से बाहर निकलने के लिए कोई रास्ता नहीं बचा है।  उन्होंने कहा कि यह कितनी बड़ी विडंबना हैकि यह बांध बिजली बनाने के लिए बनाया गया है और जिन लोगों ने इस बांध के लिए अपनी अपनी जमीन दी है उन्हीं के घर आज बिजली काट दी गई है।  

अग्रवाल ने बताया कि हमारा संषर्ष बारह वर्षोँ से चल रहा है। और यह तीसरा जल सत्याग्रह है। राज्य सरकार ने इमानदारी से पुनर्वास नीति का पालन नहीं किया और इस बांध से विस्थापितों को अब तक जमीन के बदले जमीन दी है। जबकि इस संबंध  में देश की सर्वोच्च अदालत ने फैसला दे दिया है कि हर विस्थापित को जमीन के बदले जमीन दी जाए।

अग्रवाल ने बताया कि इतना ही नहीं अदालत ने मार्च, 2019 में पुनर्वास पैकेज को दुगना कर दिया और इसके बाद राज्य सरकार ने 19 अक्टूबर, 2019 को अचानक ही फैसला लिया हैकि बांध में पानी 193 की जगह 196 मीटर तक भरा जाएगा। ऐसे में विस्थापित लगभग दो हजार परिवारों के सामने संकट की स्थिति पैदा होगई। उनका कहना था कि देश कानून कहता हैकि जब तक किसी भी बांध  में तब तक पानी पूरा पानी नहीं भरा जा सकता जब कि उस बांध से विस्थापितों को पुनर्वास नहीं हो जता है। यहां पूरी तरह से राज्य सरकार कानून का उल्लंघन कर रही है। पुनर्वास पूरा होने के छह माह तक पानी नहीं भरा जाना चाहिए।  गत 21 अक्टूबर से राज्य सरकार ने इस बांध का पानी भरना शुरू कर दिया। इसके खिलाफ 25 अक्टूबर, 2019 से जल सत्याग्रह शुरू हुआ।

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