गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए लगातार प्रयास कर रहा हरिद्वार का मातृसदन अपनी मांगें पूरी न होती देख एक बार फिर अनशन की राह पर है। इस बार गंगा पुत्री साध्वी पद्मावती अनशन करेंगी। मातृसदन की ओर से बताया गया है कि यहां रह रही साध्वी पद्मावती 15 दिसंबर से अनशन शुरू करेंगी।
चार दिसंबर को साध्वी पद्मावती ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा, जिसमें कहा गया कि सरकार की ओर से लिखित और मौखिक आश्वासन के बाद भी उन्हें पूरा नहीं किया गया। इसलिए वे 15 दिसंबर से तपस्या शुरू करेंगी। पद्मावती नालंदा विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र से ग्रेजुएट हैं। वर्ष 2018 में वह मातृसदन की संत परंपरा में शामिल हुईं। इस तपस्या में वे नींबू, नमक, पानी और शहद लेंगी।
मातृसदन के स्वामी शिवानंद का कहना है कि नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के डायरेक्टर जनरल राजीव रंजन मिश्रा के आश्वासन के बाद मई में अनशन को विराम दे दिया गया था। उसके बाद गंगा से जुड़ी मांगों को लेकर आश्रम लगातार संबंधित अधिकारियों के संपर्क में है और बातचीत की जा रही है। एनएमसीजी के डायरेक्टर जनरल ने खुद बताया था कि गंगा से जुड़ी मांगों की जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को है। लेकिन इस दरमियान कुछ भी ठोस पहल नहीं हुई। अब भी गंगा के किनारे स्टोन क्रशर लगे हुए हैं। स्थानीय प्रशासन भी खनन माफिया से मिला हुआ है और सानंद जी की मांगें वैसी की वैसी पड़ी हुई हैं।
मातृसदन आश्रम के स्वामी दयानंद बताते हैं कि मई-जून में चुनाव के चलते अनशन को टाल दिया गया। 13-16 जून को मातृसदन में हुई गोष्ठी में देशभर से गंगा से जुड़े लोग आए थे। तब ये तय किया गया कि सरकार को अपने वादे को पूरा करने के लिए थोड़ा समय दिया जाए। जून में ही साध्वी पद्मावती ने अनशन पर बैठने की बात कही गई थी।
इसके बाद सितंबर में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और अधिकारियों के साथ मातृसदन के पांच सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल की दिल्ली में बैठक हुई। दयानंद बताते हैं कि तब गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा था कि खनन रोकने के लिए हम कार्रवाई शुरू कर चुके हैं । गंगा का पर्यावरणीय प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए दिसंबर तक का समय दिया गया था। गंगा पर निर्माणाधीन बांधों को बंद करने के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री ने अपना वादा पूरा करने का आश्वासन दिया था।
स्वामी दयानंद कहते हैं कि उत्तराखंड सरकार एनजीटी में कमिश्नर की गलत रिपोर्ट के आधार पर खनन पर लगी रोक हटाने की पूरी कोशिश कर रही है। गंगा में जब खनन पर रोक लगी है तो वहां स्टोन क्रशर क्यों नहीं हटे। यानी सरकार की मंशा साफ नहीं है। वह ये भी कहते हैं कि कई बार अवैध खनन की सूचना हम पुलिस तक पहुंचाते हैं लेकिन पुलिस मौके पर पहुंचने में इतनी देर करती है कि तब तक माफिया वहां से भाग चुके होते हैं।
उन्होंने कहा कि गंगा एक्ट में स्वामी सानंद की मांगों को शामिल नहीं किया गया। संभव है कि इसी सत्र में गंगा एक्ट सदन में पेश किया जाए। जबकि कोई भी कानून बनाए जाने से पहले लोगों के बीच लाया जाना चाहिए। कम से कम सरकार को गंगा से जुड़े लोगों के विचार तो जानने चाहिए।
मातृसदन की छह प्रमुख मांगों में गंगा पर प्रस्तावित और निर्माणाधीन सभी बांधों को सरकार निरस्त करना शामिल है। चाहे उसमें कितना भी निर्माण किया जा चुका हो। इसमें सिंगोली भटवारी, फाटाब्यूंग, तपोवन-विष्णुगाड, विष्णुगाड-पीपलकोटी प्रमुख बांध हैं। साथ ही आईआईटी कंटोर्टियम के मानकों के अनुसार नदी का पर्यावरणीय प्रवाह सुनिश्चित करने की मांग शामिल है।
इससे पहले वर्ष 2018 में स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद ने गंगा से जुड़ी मांगों को लेकर 111 दिन अनशन किया था। जिसके बाद उनकी मृत्यु हो गई। फिर आत्मबोधानंद ने 194 दिन की तपस्या की। वर्ष 2011 में आश्रम के स्वामी निगमानंद ने भी गंगा को लेकर अनशन किया था, जिसके बाद उनकी भी मौत हो गई थी।