बातचीत सकारात्मक, लेकिन डूब प्रभावित क्षेत्रों पर 24 घंटे नजर रखने की जरूरत- मेधा पाटकर

मध्य प्रदेश सरकार, नर्मदा बचाओ आंदोलन और सरदार सरोवर बांध के बढ़ते जल स्तर से डूब प्रभावितों की इंदौर में बैठक के बाद मेधा पाटकर ने कहा कि बैठक के नतीजे सकारात्मक निकलने की संभावना है
डूब पीड़ितों से बात करती मेधा पाटकर। फोटो: रहमत
डूब पीड़ितों से बात करती मेधा पाटकर। फोटो: रहमत
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नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार के साथ प्रदेश के डूब प्रभावितों की चर्चा सकारात्मक रही है। उन्होंने कहा कि अभी भी 15 हजार ऐसे लोग हैं जिसे किसी प्रकार का मुआवजा नहीं मिला है। कई ऐसे गांव है जो डूब से बाहर है लेकिन उनमें पानी घुस गया है। चूंकि इसके पहले तो पिछले 15 सालों से सरकार ने हमसे पूरी तरह से संवादहीनता की स्थिति पैदा कर दी थी। कागजी आंकड़ों के आधार पर शपथ पत्र दिए गए और डूब का आंकलन ऐसा किया कि डूब आने के बाद पता चल रहा है। यही कारण कि पिछली सरकार ने आंकलन किया था उसमें 30 फीसदी से अधिक हिस्सा डूब में आ रहा है। आंदोलन के नेताओं व मध्य प्रदेश के डूब प्रभावितों के साथ मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री व अधिकारियों के साथ हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि  डूब प्रभावितों को तत्काल राहत शुरू किया जाए। और साथ नया सर्वे शुरू किया जाए जिससे नए डूब प्रभावितों को शामिल किया जाए। इसके अलावा अब तक पात्र प्रभावितों के बकाया शीघ्र भुगतान किया जाएगा साथ उनका पुनर्वास पूरे नियम कायदे के तहत किया जाएगा। मेधा ने कहा कि एनवीडीए को लगातार डूब प्रभावित क्षेत्र की निगरानी करनी चाहिए। 

इंदौर में हुई बैठक में प्रदेश सरकार की तरह से नर्मदा घाटी विकास मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल ने गुजरात सरकार पर आरोप लगाया कि वह हमारी सहमित के बिना ही सरदार सरोवर बांध में पानी लगातार भरते जा रही है। उन्होंने कहा गुजरात सरकार और नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण मध्य प्रदेश से बातचीत के बिना ही बांध का जलस्तर बढ़ाते जा रही है। उन्होंने चेतावनी लहजे चेताया कि यदि समय रहते उनकी मनमानी बंद नहीं हुई तो हमारी सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। साथ उन्होंने पिछली सरकार पर आरोप लगाया कि उसने जो शपथ पत्र प्रभावितों से भरवाए थे वे गलत थे। क्योंकि अभी वर्तमान में 172 ऐसे डूब प्रभावित गांव हैं जिनमें कुछ न कुछ पुनर्वास को लेकर विवाद है। हमारी सरकार इसकी जांच शीघ्र ही कराएगी।

बघेल ने कि शेडयूल के अनुसार बांध में जल स्तर अक्टूबर में 138 तक पानी भरा जाना है लेकिन वर्तमान जिस गति से जल स्तर बढ़ रहा ऐसे में वह सीमा एक-दो दिन में पूरी हो जाएगी। हम इसके खिलाफ अपना विरोध जून से जता रहे हैं कि लेकिन इसके बावजूद पानी लगातार भरा जा रहा है। गुजरात के मंत्री इस संबंध में बात करना मुनासिफ नहीं समझ रहे हैं। नर्मदा में जल स्तर सोमवार को 136.42 मीटर जा पहुंचा है।

आंदोलन के प्रवक्ता रहमत ने बताया कि बैठक में अधिकतर मुद्दों पर बातचीत हो गई है लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे है जिस पर अधिकाकारियों ने कहा हम इस पर मिलकर और बातचीत करेंगे। राहत और पुनर्वास वाले सभी मुद्दों पर शीघ्र की कार्रवाई की जाएगी। हां सरकार ने कोई समय सीमा अवश्य नहीं बांधी कि कब तक करेंगे। इसके अलावा कुल 33 मुद्दों पर आंदोलन, प्रभावितों और प्रदेश सरकार के साथ बातचीत हुई। जिन मुद्दों पर प्रमुखरूप से चर्चा  हुई , उनमें डूब प्रभावितों की संख्या का आंकलन करना, टापू जमीन की समस्या, हर गांव में शिविर, फर्जी वाड़े में शामिल लोगों पर कार्रवाई, प्रभावितों का पंचनामा बनाना, गांव के पास प्लॉट देने , किसानों की जमीन पर हो चुके अतिक्रमण को हटाना, जलाशय पर अधिकार आदि शामिल हैं। इन पर आगे भी बातचीत जारी रहेगी। 

उल्लेखनीय है कि सरदार सरोवर बांध के डूब प्रभावित लगभग 178 गांवों को अब तक पुनर्वास नहीं किया गया है। वहीं, पिछले दिनों हुई बारिश के कारण सरदार सरोवर बांध का जलस्तर क्षमता के बेहद नजदीक पहुंच चुका है, लेकिन जिस कारण इन गांवों में पानी भर गया है। इसके विरोध में मेधा पाटकर ने अनशन किया और नौ दिन बाद मध्य प्रदेश सरकार के आग्रह पर मेधा पाटकर ने अनशन वापस ले लिया और अब मध्य प्रदेश सरकार के साथ बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया है। 

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