जलवायु परिवर्तन और बांधों के कारण पिछले चार दशकों में तेजी से बदली नदियों की सीमा

एक नए अध्ययन में कहा गया है कि ज्यादातर नए बांध एशिया और दक्षिण अमेरिका में बने हुए हैं, जिनकी वजह से नदियों की चौड़ाई में 32 फीसदी तक का इजाफा हुआ है
फोटो साभार : विकिमीडिया कॉमन्स
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पृथ्वी की सतह पर सबसे अधिक बदलाव नदियों की सीमा में होता है। हाल के दशकों में इसमें बहुत भारी बदलाव देखे गए हैं। मोटे तौर पर इस बदलाव के लिए नदियों के प्राकृतिक संतुलन को लोगों द्वारा बिगाड़ने एवं जलवायु परिवर्तन को जिम्मेवार माना जा रहा है।

इन बदलावों के पीछे और क्या-क्या कारण हैं? इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए, चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज के नानजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ जियोग्राफी एंड लिम्नोलॉजी के प्रो.सोंग चुनकियाओ के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन किया। 

शोधकर्ताओं ने अमेरिकी सहयोगियों के साथ मिलकर चार दशकों तक नदियों की सीमा में आ रहे बदलावों का विश्लेषण किया है। लैंडसैट इमेजरी की मदद से दुनिया भर की नदियों में हो रहे बदलावों को देखा गया।

उन्होंने स्थानीय आधार पर नदियों की सीमा में कई दशकों से बदलावों की संख्या को निर्धारित करने और इसकी व्याख्या करने के लिए, शोधकर्ताओं ने दो प्रमुख अत्याधुनिक सतही जल डेटाबेस से जानकारी का उपयोग किया, जिसमें भूतल जल और महासागरीय स्थलाकृति नदी डेटाबेस और वैश्विक सतही जल (जीएसडब्ल्यू) डेटाबेस शामिल है।

शोधकर्ताओं ने नए जलाशयों के प्रकार की नदियों की पहुंच को परिभाषित करने के लिए एक नई जलाशय सूची तैयार की। शेष बेसिन से संबंधित बदलावों को मशीन लर्निंग वर्गीकरण का उपयोग करते हुए दो प्रकारों में वर्गीकृत किया गया था, जो रूपात्मक गतिकी (टाइप-एम) और हाइड्रोलॉजिकल सिग्नल (टाइप-एच) हैं।

प्रो सोंग ने कहा, हम दुनिया भर में विभिन्न प्रकार के नदियों की सीमा में होने वाले बदलाव का पहला श्रेय प्रदान कर रहे हैं।

परिणामों से पता चला है कि दुनिया भर में नदियों के क्षेत्र के लगभग 20 फीसदी में आकर आधारित परिवर्तन तेजी से हुए हैं। इस प्रकार के नदी बेसिन में, नदी की पहुंच के विभिन्न किनारों के साथ संकीर्णता और चौड़ीकरण की अधिकता देखी गई, जो कि घुमावदार, गुंथे हुए और शाखाओं में बटने या भटकने वाले नदी चैनलों से जुड़े हैं।

दुनिया भर में बांध निर्माण नदियों के चौड़ीकरण में एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में उभर कर सामने आया है। प्रमुख अध्ययनकर्ता प्रोफेसर के लिंगहोंग ने कहा, नए बांध, ज्यादातर एशिया और दक्षिण अमेरिका में बने हुए हैं, इन्होंने ने नदियों को चौड़ा करने में 32 फीसदी तक का योगदान दिया है।

ऊंचे पहाड़ी इलाकों या अल्पाइन और पैन-आर्कटिक क्षेत्रों में प्रमुख नदियों के चौड़ीकरण और शुष्क या अर्ध-शुष्क महाद्वीपीय अंदरूनी हिस्सों में संकीर्णता वाले क्षेत्रों सहित, विपरीत हॉटस्पॉट में हाइड्रोलॉजिकल संकेतों के कारण बदलाव सामने आए हैं। अध्ययनकर्ता वू कियानहान ने कहा, ये घटनाएं जलवायु के दबाव, बढ़ते तापमान के लिए क्रायोस्फेरिक प्रतिक्रिया और मानव जल प्रबंधन के अलग-अलग कारणों से थीं।

यह अध्ययन सतत विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र 2030 एजेंडा के तहत भविष्य में नदियों के संरक्षण और बहाली के प्रयासों को बेहतर प्राथमिकता देने के लिए वैश्विक स्तर पर लेकिन स्थानिक रूप से स्पष्ट मार्गदर्शन प्रदान करता है। यह पानी से संबंधित पारिस्थितिकी तंत्र की स्थलीय सीमा और उनकी स्थिति पर नजर रखने  के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई करने पर जोर देता है। यह अध्ययन नेचर कम्युनिकेशंस नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

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