पिछले करीब तीन महीने के लाॅकडाउन में उत्तराखंड में बेशक मंदिरों के कपाट से लेकर पर्यटन स्थल तक लाॅक रहे हों, लेकिन इस दौरान यहां की नदियों में अवैध खनन खूब जोरों पर रहा। कहीं नदी की बीच धारा में बिना इजाजत पोकलैंड और अर्थमूवर जैसी बड़ी मशीनें से उतार दी गई तो कहीं अवैध खनन की रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकारों पर जानलेवा हमले हुए। हालात ये हैं कि नैनीताल हाईकोर्ट को इस मसले में राज्य सरकार और कई दूसरे संस्थानों से रिपोर्ट तलब करनी पड़ी है।
राज्य सरकार ने लाॅकडाउन से पहले राज्यभर में विभिन्न नदियों में रेत-बजरी चुगान के ठेके दिये थे। केन्द्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार खनन में मशीनों की इस्तेमाल संबंधित जिला अधिकारी की इजाजत के बगैर नहीं किया जा सकता। लाॅकडाउन शुरू हो जाने के कारण सब कुछ बंद हो गया। नियमानुसार नदियों में इस दौरान खनन कार्य भी बंद हो जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। खनन लाइसेंसधारियों ने कई जगहों पर लाॅकडाउन के दौरान ही जेसीबी और पोकलैंड मशीनें नदियों में उतार दी और आवंटित पट्टे की आड़ में कई बड़े क्षेत्र में रेत-बजरी का चुगान शुरू कर दिया गया। खास बात यह है कि 24 मार्च को ही नैनीताल हाई कोर्ट में बागेश्वर में अवैध खनन संबंधी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए खनन कार्य में बड़ी मशीनों का इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी थी।
हाईकोर्ट के आदेशों और लाॅकडाउन के बावजूद मार्च के आखिरी सप्ताह में ही राज्यभर में कई जगहों पर खनन-चुगान शुरू कर दिया गया। चमोली जिले के थराली में तो रिवर ट्रेनिंग के नाम पर पिण्डर नदी की जलधारा में ही पोकलैंड मशीन उतार दी गई। इस अवैध खनन की देखरेख करने वाले जिला खनन अधिकारी का कहना है कि वे लाॅकडाउन के कारण बाहर निकल नहीं पा रहे हैं, इसलिए बाद में जबाव देंगे। हालांकि फिलहाल यहां काम बंद है, लेकिन देवलग्वाड़ निवासी देवकी नन्दन पुरोहित और व्यापार संघ कुलसारी के अध्यक्ष महिपाल सिंह भंडारी बताते हैं कि अब तब यहां बहुत कुछ खोदा जा चुका है और खनन सामग्री का स्टोरेज इजाजत से कई गुना ज्यादा है।
पौड़ी जिले के कोटद्वार में तो खनन ठेकेदारों ने न सिर्फ नियम विरुद्ध बड़ी मशीनें खनन कार्य में लगाई, बल्कि उनकी इस कारगुजारी को सोशल मीडिया पर प्रसारण कर रहे दो स्थानीय पत्रकारों मुजीब नैथानी और राजीव गौड़ पर हमला कर दिया गया। ये दोनों पत्रकार कई दिनों से इस खोह और सुसवा नदी में हो रहे खनन को लाइव प्रसारित कर रहे थे। मुजीब नैथानी का कहना है कि इस बारे में उन्होंने स्थानीय प्रशासन को भी शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उनका आरोप है कि यहां तीन मीटर गहराई तक खनन की अनुमति है, लेकिन जेसीबी मशीनें लगातर 5 से 6 मीटर गहराई तक खनन किया जा रहा है।
उधर हल्द्वानी की गौला, नंधौर और कोसी नदियों के खनन पट्टेदारों ने बड़ी मशीनें इस्तेमाल करने के लिए एक नया पैंतरा अपनाया है। इन ठेकेदारों का कहना है कि पहले लाॅकडाउन के कारण खनन बंद था और अब मजदूर वापस चले गये हैं, ऐसे में उन्हें जेसीबी और पोकलैंड जैसी बड़ी मशीनों की जरूरत है।
इस बीच नैनीताल हाई कोर्ट ने अवैध खनन की शिकायतों पर गंभीर रुख अपनाया है। इस मामले में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और वन निगम को रिपोर्ट देने के लिए कहा है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने भारतीय सर्वेक्षण विभाग के उपनिदेशक और देहरादून स्थित वन निगम के केन्द्रीय उपनिदेशक से पूछा है कि खनन में बड़ी मशीनों के इस्तेमाल से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करने के लिए क्या कोई कमेटी बनाई गई है। कोर्ट ने सभी पक्षों को तीन सप्ताह में जवाब देने के लिए कहा है।