दुनिया भर में पिछले दो दशकों में लगभग 1,000 जलविद्युत बांध बनाए गए हैं। जबकि ये बांध किसानों, वन्यजीवों और जलवायु को कई फायदे पहुंचाते हैं, लेकिन अब तक स्थानीय समुदायों को उनके निर्माण से पड़ने वाले प्रभावों से बाहर रखा गया है।
डॉ. पेइली फैन के नेतृत्व में, मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के छह सामाजिक वैज्ञानिकों की एक टीम ने जलविद्युत बांध के प्रभाव का पता लगाया है।
उन्होंने पाया कि जलविद्युत बांधों का दुनिया और देशों पर समग्र सकारात्मक प्रभाव होने के बावजूद, बांधों के आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अक्सर बहुत खराब अनुभवों का सामना करना पड़ता है। इसमें आर्थिक स्थिति, लोगों का विस्थापित होना, बांध निर्माण के कारण जंगल और जैव विविधता का नुकसान आदि होता है।
इस शोध के लिए टीम ने 631 जलविद्युत बांधों का विश्लेषण किया, जो सभी 2001 से बन रहे थे और 2015 से पहले उन्होंने काम करना शरू कर दिया था। ये बांध अफ्रीका, एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका में हैं।
इस शोध में आसपास के क्षेत्रों में स्थानीय समुदायों को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए इन असमानताओं को दूर करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
डॉ. फैन ने कहा कि दो अलग-अलग इलाकों जहां हाल ही में बांध बनाए गए थे और आसपास के स्थानीय लोगों पर अचानक हुए बदलाव को देखकर मुझे इस शोध का नेतृत्व करने के लिए प्रेरित किया। जिसमें 2015 की कंबोडिया के टोनले सैप झील की यात्रा भी शामिल थी। वहीं दूसरी ओर लाओस में मेकांग नदी बेसिन की 2018 की यात्रा भी की गई थी।
डॉ. फैन ने बताया कि ऐसा लग रहा था कि कई साल पहले विस्थापित हुए निवासियों का जीवन पहले की तुलना में बेहतर है, लेकिन वे अभी भी अपने भविष्य को लेकर चिंतित और अनिश्चित थे। बांध निर्माण के कारण जिन लोगों का जीवन बदल गया है, उनसे बात करने से मुझे एहसास हुआ कि छोटे और मध्यम आकार के बांधों से प्रभावित होने वालों के बारे में वैश्विक स्तर पर व्यापक विश्लेषण की कमी है।
अध्ययन से पता चला कि बांधों के आसपास के 50 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले इसके निर्माण से प्रभावित होते हैं । इसके अतिरिक्त, बांधों का निर्माण अक्सर बांध के 50 किलोमीटर के भीतर स्थानीय ग्रीन स्पेस को नष्ट कर देता है। बांध के निर्माण के लिए वनों की कटाई के परिणामस्वरूप या कृषि भूमि के निर्माण के लिए जिसे बांध के निर्माण के बाद सींचा जा सकता है।
डॉ. फैन के लिए, ये निष्कर्ष स्थानीय समुदायों को नुकसान से बचाने के लिए और विशेष रूप से विस्थापन से बचाने और अधिक शोध और नीतिगत सिफारिशों की आवश्यकता को उजागर करते हैं।
डॉ फैन ने कहा आम तौर पर, विस्थापित आबादी की सहायता के लिए एक मानवीय दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। यह बांधों के निर्माता के साथ अपने हितों की बातचीत करने के लिए स्थानीय समुदायों की क्षमता में सुधार कर सकता है।
बांध का निर्माण करने वाली एजेंसी या कंपनी ऐसे इंतजाम कर सकती है कि बांध से विस्थापित लोग एक साथ एक समूह के रूप में साथ रहें, ताकि उनका सामाजिक दायरा बना रहे। साथ ही, विस्थापतिों की भूमि और आजीविका के स्रोत के नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए नए रोजगार के अवसर पैदा करने चाहिए।
डॉ. फैन ने भविष्य में जलविद्युत बांधों के निर्माण को चलाने वाली राजनीतिक और आर्थिक ताकतों के साथ-साथ वैकल्पिक ऊर्जा समाधानों की खोज करके इस शोध को और आगे बढ़ाने की उम्मीद करते हैं जो इन बांधों से जुड़े नकारात्मक परिणामों के बिना भी समान लाभ पैदा कर सकते हैं।
डॉ फैन ने कहा बांध निर्माण की राजनीतिक पारिस्थितिकी, वैश्विक निवेशकों के प्रभाव और बांध निर्माण, जलवायु परिवर्तन और भूमि उपयोग में बदलाव के संयुक्त प्रभावों को समझने की भी आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि मैं भी उत्सुक हूं कि क्या वैश्विक दक्षिण के विभिन्न क्षेत्रों के लिए जल विद्युत के बजाय ऊर्जा उत्पादन के वैकल्पिक या बेहतर तरीके हैं। यह अध्ययन प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (पीएनएएस) में प्रकाशित हुआ है।