गोदावरी-कावेरी लिंक परियोजना धन के अभाव में बीच में ही रुकी

गोदावरी-कावेरी लिंक परियोजना सहित नदी (आईएलआर) परियोजनाओं की कोई इंटर-लिंकिंग नहीं हुई, क्योंकि इस परियोजना के लिए अभी तक कोई धनराशि आवंटित नहीं की गई है
Photo : Wikimedia Commons
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भारत की नदियों का अधिकतम पानी समुद्र में जाने से बर्बाद हो जाता है, इसे यदि रोक लिया जाए तो जिन नदियों में पानी की अधिकता है उनमें से पानी की कमी वाली जगहों में इसे पहुंचाया जा सकता है। जिससे देश के हर हिस्से में पानी की कमी को पूरा किया जा सकता है।

लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री रतन लाल कटारिया ने बताया कि नदियों को जोड़ने की परियोजना की शुरुआत वर्षों पहले ही हो गई थी। राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (एनपीपी) को अगस्त 1980 में तत्कालीन सिंचाई मंत्रालय के द्वारा इसकी नींव रखी गई थी, अब वह मंत्रालय जल शक्ति मंत्रालय के नाम से जाना जाता है। इसका उद्देश्य अतिरिक्त पानी को कम पानी वाले जलाशयों के माध्यम से जल संसाधनों का विकास करना था।

एनपीपी के तहत, राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (एनडब्ल्यूडीए) ने नदियों को जोड़ने वाली परियोजनाओं को अमल में लाने के लिए एक रिपोर्ट तैयार की, जिसमें 30 जगहों पर इन्हें जोड़ने की पहचान की गई। इसमें 16 प्रायद्वीपीय के तहत और 14 हिमालयी क्षेत्रों के तहत आते हैं।

गोदावरी-कावेरी लिंक परियोजना की ड्राफ्ट विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) जिसमें तीन जगहों पर नदियों को जोड़ने की बात कही गई, जिनमें गोदावरी (इन्चम्पल्ली, जनमपेट) - कृष्णा (नागार्जुनसागर), कृष्णा (नागार्जुनसागर) - पेन्नार (सोमाशिला), पेन्नार (सोमाशिला) -कावेरी (ग्रैंड एनीकट) है।

परियोजनाएं राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (एनडब्ल्यूडीए) द्वारा पूरी की गई हैं। इस विषय पर 18 सितंबर 2020 को हुई एक वर्चुअल बैठक में सभी राज्यों से विचार-विमर्श किया गया।

कटारिया ने बताया कि चूंकि गोदावरी-कावेरी लिंक परियोजना सहित नदी (आईएलआर) परियोजनाओं की कोई इंटर-लिंकिंग नहीं हुई, क्योंकि इस परियोजना के लिए अभी तक कोई धनराशि आवंटित नहीं की गई है।

नदियों को जोड़ने (आईएलआर) के कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए सितंबर 2014 में  एक विशेष समिति का गठन किया गया। समिति की अब तक अठारह बैठकें हो चुकी हैं।

गोदावरी-कावेरी लिंक परियोजना दो चरणों में बनाई गई है। पहला चरण - राज्यों के हितों का ध्यान रखते हुए गोदावरी बेसिन में अतिरिक्त जल की पहचान कर उसे गोदावरी-कावेरी लिंक परियोजना के माध्यम से कावेरी तक पहुंचाने से संबंधित है। दूसरा चरण  ब्रह्मपुत्र-गंगा-सुवर्णरेखा-महानदी-गोदावरी नदियों को जोड़ने से संबंधित है, इस प्रकार पहले चरण में आवश्यकता के अनुसार बदलाव किए गए हैं।

तमिलनाडु सरकार ने गोदावरी-कावेरी लिंक परियोजना के अंतिम चरण, अर्थात् पेन्नार-पलार-कावेरी लिंक नहर में बदलाव करने का अनुरोध किया है। इसके अलावा, तमिलनाडु सरकार ने यह भी अनुरोध किया है कि पूंडरी जलाशय को अरनियार जलाशय से जोड़ा जाए ताकि 15 थाउजेंड मिलियन क्यूबिक (टीएमसी) की क्षमता वाले 609 टैंक भरे जा सकें। हालांकि, पूंडरी जलाशय के साथ अरनियार जलाशय को जोड़ने का प्रस्ताव दूसरे चरण में रखा गया है।  

पहले चरण के तहत कुल 247 थाउजेंड मिलियन क्यूबिक (टीएमसी) पानी को पहुंचाया जाएगा, जिसमें से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के रास्ते में पड़ने वाली जगहों की आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद, केवल 83 टीएमसी आंध्र प्रदेश-तमिलनाडु सीमा के लिए होगा। तमिलनाडु सरकार ने परियोजना के पहले चरण में अपनी पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए 200 टीएमसी पानी उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है। हालांकि, तमिलनाडु को अतिरिक्त मात्रा में पानी मुहैया कराने की संभावना परियोजना के दूसरे चरण के माध्यम से लाए जाने वाले पानी से जुड़ी है।

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