वाराणसी में मैली होती गंगा को बचाने के लिए एनजीटी ने सिफारिशें लागू करने का दिया निर्देश

एनजीटी ने निर्देश दिया है कि गंगा में छोड़े जा रहे दूषित पानी को रोकने के लिए संयुक्त समिति की सिफारिशों को लागू किया जाना चाहिए
मैली होती गंगा; फोटो: विकास चौधरी/ सीएसई
मैली होती गंगा; फोटो: विकास चौधरी/ सीएसई
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने निर्देश दिया है कि वाराणसी में गंगा में छोड़े जा रहे दूषित पानी को रोकने के लिए संयुक्त समिति की सिफारिशों को लागू किया जाना चाहिए। यह रिपोर्ट उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रस्तुत की गई है। मामला वाराणसी में घरेलू सीवेज और उद्योगों से निकलने वाले दूषित पानी को गंगा में छोड़े जाने से जुड़ा है।

इस मामले में एनजीटी ने वाराणसी नगर निगम के आयुक्त और चंदौली के जिला पंचायत राज अधिकारी से भी समिति के सुझावों के आधार पर की गई कार्रवाई के बारे में जवाब मांगा है।

यूपीपीसीबी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में अन्य बातों के अलावा, रामनगर औद्योगिक क्षेत्र से पैदा हो रहे औद्योगिक कचरे के निर्वहन के लिए एक अलग नाली बनाने की भी सिफारिश की गई है। साथ ही इसमें राम नगर औद्योगिक क्षेत्र में उद्योगों द्वारा डिस्चार्ज दूषित पानी के लिए मानकों का सख्ती से पालन करने पर जोर दिया गया है। समिति के मुताबिक उद्योगों को चरणबद्ध तरीके से अपने साफ किए अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण करने के लिए भी निर्देश दिया जाना चाहिए।

इसके साथ ही रिपोर्ट में चंदौली के जिला पंचायत राज्य अधिकारी को घुरहा नाले के पास की बस्तियों से पैदा हो रहे सीवेज के उपचार के लिए मल कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन प्रणाली विकसित करने का भी निर्देश देने को कहा है।

कानपुर में गंगा के बाढ़ के मैदान पर अवैध बसावट का मामला: एनजीटी ने रिपोर्ट पर मांगा जवाब

28 अगस्त, 2023 को एनजीटी ने शहरी विकास विभाग के सचिव और कानपुर नगर निगम के आयुक्त को एक संयुक्त समिति की रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देने को कहा है। मामला उत्तरप्रदेश के कानपुर का है। इस रिपोर्ट में रानीघाट के निचले हिस्से में गंगा के बाढ़ क्षेत्र में अवैध बसावट को लेकर चिंता जताई गई है, जिससे नदी में प्रदूषण हो रहा है।

ट्रिब्यूनल द्वारा 17 मई, 2022 को दिए दिशानिर्देशों के मुताबिक संयुक्त समिति ने 10 अगस्त, 2022 को रिपोर्ट दायर की थी। इसमें शहरी विकास विभाग को जलग्रहण क्षेत्रों के आसपास 100 मीटर के दायरे में बफर जोन की पहचान करने और उसे चिह्नित करने के लिए कहा गया था। रिपोर्ट के अनुसार नदी के बाढ़ तट से 100 मीटर के दायरे में निर्माण को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।

रिपोर्ट में गंगा के बाढ़ तट या तटबंध का निर्माण भी समयबद्ध तरीके से पूरा करने की बात कही गई है। साथ ही घाट के आसपास अधूरे नाले का निर्माण भी पूरा कराने की सिफारिश की गई है।

इसके साथ ही घाटा के पास कॉलोनी से निकलने वाले ठोस कचरे के उचित निपटान को समय पर करने के लिए कहा गया है। रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि अधिकृत विभाग को नदी के बाढ़ क्षेत्र के 100 मीटर के दायरे में हुए अवैध नए निर्माणों को तुरंत सील करने के लिए कदम उठाने चाहिए।

अंबाला में खनन के मामले में एनजीटी ने संयुक्त समिति से मांगी रिपोर्ट

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने खनन के मामले में जांच के लिए एक संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह आदेश इस बात की जांच के लिए दिया है कि क्या अंबाला में जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट (डीएसआर) के नियमों की अवहेलना कर तीन इकाइयों को खनन की मंजूरी दी गई थी।

कोर्ट ने समिति को स्थिति की जांच करने, सम्बंधित रिकॉर्डों की समीक्षा करने और चार सप्ताह के भीतर ट्रिब्यूनल के समक्ष अपनी रिपोर्ट सौपने को कहा है।

आवेदक के वकील ने दावा किया है कि जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट (डीएसआर) के मुताबिक अंबाला में 38.29 लाख मीट्रिक टन खनिजों का खनन किया जा सकता है। हालांकि वहां करीब 71 लाख मीट्रिक टन खनिजों को निकालने की अनुमति दी गई है, जो स्पष्ट तौर पर जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट का उल्लंघन है।

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