नर्मदा घाटी के विस्थापितों ने निकाली रैली

सरदार सरोवर बांध की वजह से विस्थापित लोग पुनर्वास के लिए 34 साल से संघर्षरत हैं
Photo: NBA
Photo: NBA
Published on

नर्मदा घाटी के विस्थापितों को अब तक न बसाए जाने के विरोध में एक रैली का आयोजन किया गया और आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया। इस मौके पर केंद्र सरकार द्वारा लाए नागरिकता बिल का भी विरोध किया गया और इसे मानवाधिकार के खिलाफ बताया।

रैली में शामिल कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने कहा कि नर्मदा घाटी के 34 सालों से चल रहे संघर्ष की मंजिल मानव अधिकार की स्थापना करना है। हजारों का पुनर्वास पाने के बाद भी आज नर्मदा घाटी में जिन गरीब किसान, मजदूरों का हक छीना गया है, प्रकृति का विनाश थोपा गया है, उन सबके लिए ही आंदोलन जीवित है। सरकार संवेदनशील नहीं है और नर्मदा को विनाश की ओर धकेला गया है और लोगों को विस्थापन की ओर। वहीं, दूसरी ओर जाति-धर्म के नाम पर विभाजन किया जा रहा है, जिसे स्वीकार नहीं किया जाएगा।

मेधा ने कहा कि सरकार नागरिकता बिल इसलिए ला रही है, ताकि लोगों का ध्यान असली मुद्दों से हट जाए और देश धर्म जाति के नाम पर बंट जाए। भारत के हर नागरिक को इसका विरोध करना चाहिए।

सभा को इंदौर के वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल त्रिवेदी, सनोबर बी मंसूरी, कमला यादव, वंदना बहन, रोहन गुप्ता, बड़वानी के भूतपूर्व नगराध्यक्ष राजन मंडलोई, कांग्रेस के वरिष्ठ कार्यकर्ता चंदू भाई यादव, सेंचुरी श्रमिक यूनियन के राजकुमार दुबे, जयस संगठन के सीमा वास्कले, वाहिद भाई मन्सूरी, शिवराम कृष्णा आदि ने संबोधित किया।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in