मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब 280 किलोमीटर दूर धार जिले में कोठिदा गांव के पास कारम नदी पर निर्माणाधीन कारम बांध से पैदा होने वाले खतरा फिलहाल टल गया है, लेकिन अभी भी कई सवाल ऐसे हैं, जिसका जवाब ढूंढ़ा जाना जरूरी है।
निर्माणाधीन कारम बांध में ग्रामीणों ने 10 अगस्त 2022 को को एक हिस्से में रिसाव देखा था। 12 अगस्त को मिट्टी के इस बांध का बाहरी हिस्सा ढह भी गया, जिसके बाद 304.44 करोड के इस बाँध के टूटने की आशंका बढ़ने लगी थी।
नर्मदा की सहायक कारम नदी पर बने इस बांध से 18 गांवों पर खतरा मंडराता देख उन्हें आननफानन में खाली कराया गया। बांध को टूटने से बचाने के लिए अधिकारियों ने पहले मरम्मत की कोशिश की, लेकिन बढ़ते जलस्तर को देखते पहाड़ से सटे एक हिस्से में कच्ची नहर बनाकर पानी को धीरे-धीरे छोड़ा जाने लगा।
13 अगस्त की रात से पानी निकलना शुरु हुआ, जिसके बाद नहर को धीरे-धीरे आगे बढ़ाया गया और 50 घंटे से ज्यादा समय के बाद 14 अगस्त की शाम 5.30 बजे से इस नहर से पानी का बहाव बढ़ा दिया गया।
बांध में पानी कम होने के बाद निकलने के बाद अधिकारियों ने राहत की सांस ली। जिसके कुछ देर बाद मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने कहा कि खतरा टल गया।
हालांकि ग्रामीण अभी भी सहमे हुए हैं। गुजरी गांव के राजू वासकेल (21 वर्ष) बताते हैं कि 4-5 दिन हो गए हैं हम लोग डरे हुए हैं। सो तक नहीं पाए हैं। डर रहता है कि बांध कहीं टूट न जाए.. क्योंकि अगर बांध टूटा तो हम सब डूब जाएंगे।”
राजू बांध से करीब 5 किलोमीटर पीछे गुजरी गांव में हाईवे के किनारे चाय की दुकान चलाते हैं। 15 अगस्त की सुबह राजू ने फोन पर बताया कि खतरा टल गया है। पानी गांवों की तरफ बहुत तेज आया था, तब हम लोग गांव के बाहर ही है.. पीछे के गांव के लोग बता रहे हैं कि कोठिदा के कुछ हिस्से समेत तीन गांवों में पानी घुसा था। घर में क्या नुकसान हुआ ये पता नहीं लेकिन हम लोगों की सोयाबीन, कपास और मक्का की अच्छी फसल थी जो चौपट हो गई।
मौके पर मौजूद- राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव (धार जिले के प्रभारी मंत्री) ने कहा कि 5.5 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) पानी रिलीज हो चुका है। उम्मीद है कि कुछ घंटों में पानी निकल जाएगा। बांध के लीक होने की जांच के लिए कमेटी का गठन कर दिया गया है।
कोठिदा गांव के रहने वाले बिटटू ब्रह्मभट्ट (27 वर्ष) कहते हैं कि तीन दिन से पानी का रिसाव हो रहा था, डरे हुए लोग नजदीक के जंगल में चले गए हैं। जब हमें लगा कि बांध से पानी रिस रहा है तो हमने अधिकारियों को सूचना दी थी। लेकिन उस वक्त अधिकारी नहीं आए, लेकिन जब हालात काबू से बाहर हो गए, तब अधिकारी व नेता पहुंच गए।
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि 15-20 दिन पहले ये बांध इतना ऊंचा नहीं था। अचानक इसकी ऊंचाई बढ़ाने का काम शुरू किया गया। बांध तीन से चार साल बन रहा है, लेकिन कुछ दिन पहले तक इतनी ऊंचाई नहीं थी, जो 15-20 दिन में अचानक बढ़ गई। लोगों ने कहा कि काली मिट्टी का उपयोग अगर ज्यादा किया जाता था तो ये नौबत नहीं आती, लेकिन लाल मिट्टी भरी गई, जो पानी को रोक नहीं पाई। सरकार को सीमेंट का ही बांध बनावाना चाहिए.. वर्ना हम लोगों के सिर पर मौत नाचती रहेगी।
उधर शासन और प्रशासन बांध में पानी बढ़ने की वजह भारी बारिश को बता रहा है। "अत्यधिक बारिश हो जाने के कारण जैसे ही निर्माणाधीन बांध में पानी रिसने की जानकारी 11 अगस्त को धार जिला प्रशासन को मिली, जिला प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए संबंधित विभागों को बांध की स्थिति से अवगत करवाया," यह बात सरकार ने अपने एक प्रेस विज्ञप्ति में लिखी है।
हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि उनके इलाके में भारी बारिश नहीं हुई। गुजरी गांव के 52 वर्षीय विजय कुमार सिंघल कहते हैं कि उनके इलाके में भारी बारिश नहीं होगी। वहीं, मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 12 अगस्त को जिले ने .6 मिमी और 13 अगस्त को 9.2 मिमी बारिश दर्ज की है। अभी तक इस सीजन में जिले में कुल 158.8 मिमी बारिश हुई है। जिसे सामान्य बताया जा रहा है।
लेकिन बांध के डिजाइन को लेकर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं। मार्च के महीने में सरकार ने बांध परियोजना के टेंडर में गड़बड़ी की बात भी मानी थी। विधान सभा में एक सवाल के लिखित जवाब में जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने 10 मार्च 2022 को गड़बड़ी की बात स्वीकार की थी और इसकी जांच आर्थिक अपराध शाखा से कराए जाने की बात कही थी।
2018 के टेंडर शर्तों के अनुसार 36 महीने में इस बांध का निर्माण कार्य पूरा होना था, लेकिन कोरोना के चलते दो साल से काम लगभग ठप रहा। शायद इसी वजह से शासन - प्रसाशन, कंपनी - कांट्रेक्टर - पेटी कांट्रेक्टर सभी मिलकर बांध को रातो रात खड़ा करने का मन बना चुके थे। और शायद इसी वजह से पहली बारिश में ही बांध में पानी को भरने दिया गया।