एक ओर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बृहस्पतिवार को बनारस में गंगा की आरती कर रहे थे तो दूसरी ओर हरिद्वार में गंगा के लिए जल त्याग की घोषणा कर चुके ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद को मनाने की कोशिश की जा रही थी। आखिरकार आत्मबोधानंद मान गए, लेकिन केवल एक सप्ताह के लिए। आत्मबोधानंद ने कहा कि एक सप्ताह के भीतर उनको लिखित आश्वासन नहीं दिया तो वे 3 मई से जल त्याग देंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को बनारस संसदीय क्षेत्र से नामांकन भरा और उससे पहले बृहस्पतिवार को उन्होंने बनारस में रोड शो और शाम को गंगा आरती की। उधर, स्वच्छ और अविरल गंगा की मांग को लेकर लगभग 184 दिन से अनशनरत ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद को मनाने के लिए नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा स्वयं हरिद्वार मातृसदन पहुंचे और उनसे अपील की कि वह 27 अप्रैल से जल त्याग की घोषणा को वापस ले लें।
आत्मबोधानंद नहीं माने तो मिश्रा ने उनकी दो मांगें मानने का आश्वासन दिया कि एनएमसीजी अपने अक्टूबर 2018 के फैसले को लागू कराएगी। इसके तहत हरिद्वार में रायवाला से भोगपुर तक गंगा में खनन बंद होगा और गंगा के पांच किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी स्टोन क्रशर और खनन पट्टे बंद किये जाएंगे।
इसके अलावा तीन निर्माणाधीन बांधों सिंगोली-भटवारी (99 मेगावाट), तपोवन-विष्णुगाड (520 मेगावाट), विष्णुगाड – पीपलकोटी (444 मेगावाट) को भी निरस्त करने की अधिसूचना जारी करने का आश्वासन दिया।
दरअसल केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 6 दिसंबर 2016 को गंगा में खनन बंद करने का आदेश जारी किया था, लेकिन राज्य सरकार ने इसे लागू नहीं किया। इसके बाद 9 अक्टूबर 2018 को एनएमसीजी ने पहले की व्यवस्था को लागू करने का आदेश जारी किया। इस दौरान केंद्रीय प्रदूषण नियंत्र बोर्ड (सीपीसीबी) ने 6 दिसंबर के आदेश में बदलाव कर दिये और स्टोन क्रशर के संचालन का रास्ता खोल दिया गया। इसके नतीजे के तौर पर गंगा में स्टोन क्रशर और खनन पट्टों का धंधा फलता-फूलता रहा।
22 मार्च 2019 को एनएमसीजी ने भी अपना आदेश वापस ले लिया था, लेकिन आत्मबोधानंद के जलत्याग के फैसले के बाद यह आदेश दोबारा लागू हो गया है। जिसके तहत गंगा में अवैध खनन अब नहीं हो सकेगा। गंगा के किनारे सुरक्षित रहेंगे और पांच किलोमीटर तक के दायरे में किसी भी तरह की कोई गतिविधि नहीं होगी।
मातृसदन के स्वामी दयानंद ने बताया कि मातृसदन अब इन आश्वासनों को लिखित में देने और इन्हें लागू किये जाने का इंतज़ार कर रहा है। यदि सरकार की ओर से कोई लिखित आश्वासन नहीं आता है तो आत्मबोधानंद 3 मई से जल त्याग देंगे।