दामोदर नदी: सहायक नदियों में फेंका जा रहा है मलबा, एनजीटी ने जांच समिति गठित की

पश्चिम बंगाल की गरुई और नुनिया नदियों में मलबा फेंकने और आसपास के इलाकों में निर्माण परियोजनाओं की शिकायत एनजीटी से की गई है
फोटो: विकास चौधरी
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की पूर्वी पीठ ने पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्दवान में गरुई और नुनिया नदियों में मलबा फेंके जाने के आरोपों की जांच के लिए एक जांच समिति गठित करने का निर्देश दिया है।

2 जनवरी 2025 को जारी अपने आदेश में एनजीटी ने कहा है कि जांच समिति में पश्चिम बर्दवान के जिला मजिस्ट्रेट, पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण, पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ वैज्ञानिक शामिल होंगे।

समिति संबंधित स्थानों का दौरा करेगी और चार सप्ताह के भीतर हलफनामे के साथ अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। समिति को यदि पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघन पाए जाते हैं, तो वह सुधारात्मक उपाय और आगे की कार्रवाई का प्रस्ताव भी देगी।

आवेदक अशिष कुमार ने नुनिया नदी में मलबा फेंकने के अलावा, तीन निर्माण परियोजनाओं- तरंग, टाउन हाउस और संगति- के खिलाफ भी शिकायत की है।

ये तीनों परियोजनाएँ लगभग 89.67 एकड़ क्षेत्र में स्थापित श्रीष्टि नगर टाउनशिप परियोजना के लिए आसनसोल दुर्गापुर विकास प्राधिकरण की दी गई भूमि पर बन रही हैं। यह आरोप लगाया गया कि इन परियोजनाओं के पास राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण द्वारा जारी होने वाली पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं है।

अपील में कहा गया कि इन अवैध निर्माण कार्यों ने गरुई नदी के लंबे हिस्से पर अतिक्रमण कर लिया है, जिससे यह नदी एक संकरी नाली में बदल गई है।

गरुई नदी नुनिया नदी की सहायक नदी है, और नुनिया नदी दामोदर नदी की सहायक नदी है। इन दोनों नदियों पर औद्योगिक और निर्माण गतिविधियों का भारी प्रभाव पड़ा है।

जलपाईगुड़ी में बायोमेडिकल कचरे की डंपिंग

एनजीटी ने पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जलपाईगुड़ी के मालबाजार सुपर फैसिलिटी अस्पताल के पीछे बायोमेडिकल और अन्य सामान्य कचरे के डंपिंग के आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया है।

साथ ही, सभी प्रतिवादियों को चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामे दाखिल करने का आदेश दिया गया। मामले की अगली सुनवाई 21 फरवरी 2025 को होगी।

आवेदक सुभाष दत्ता ने अपने आवेदन में कहा कि 11 अप्रैल 2024 को उत्तर बंगाल के दौरे के दौरान वह जलपाईगुड़ी के मालबाजार शहर में गए, जहां उन्होंने देखा कि मालबाजार सुपर फैसिलिटी अस्पताल के पीछे बायोमेडिकल कचरे और सामान्य कचरे को एक साथ फेंका गया था।

अपील के साथ अस्पताल की स्थिति को दर्शाने वाली तस्वीरें भी प्रस्तुत की गई हैं, जिनमें दिखाया गया है कि कचरा खुले में पड़ा हुआ है और उसकी हालत दयनीय है।

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