बांध सुरक्षा विधेयक, 2018 सदन में पेश किया गया है। लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल है कि क्या यह विधेयक मलसीसर (राजस्थान) बांध जैसी दुर्घटनाओं को रोक सकेगा? हालांकि सदन में विधेयक पेश होते ही बीजू जनता दल के सदस्य सहित तमिलनाडु की राज्य सरकार ने इस विधेयक का विरोध है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने तो ने तो सीधे प्रधानमंत्री से अनुरोध कर डाला कि आप इस विधेयक कि प्रक्रिया को और आगे न बढ़ाएं। ध्यान रहे कि सदन में केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 12 दिसंबर, 2018 को बांध सुरक्षा विधेयक पेश किया था।
देश में बांधों की सुरक्षा, समुचित निगरानी, निरीक्षण और प्रचालन सुनिश्चित करने के लिए बांध सुरक्षा विधेयक लोकसभा में पेश किया गया। विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि बांध एक महत्वपूर्ण आधारभूत संरचना है जिसका निर्माण, सिंचाई, विद्युत उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण, पेयजल और औद्योगिक प्रयोजन के लिहाज से जल के बहुद्देश्यीय उपयोगों के लिए बड़े पैमाने पर निवेश किया जाता है। कोई असुरक्षित बांध मानव जीवन, पारिस्थितकी एवं सार्वजनिक एवं निजी संपत्तियों के लिए खतरनाक हो सकता है, ऐसे में बांध की सुरक्षा एक मुख्य चिंता का विषय है और यह राष्ट्रीय जिम्मेदारी है। विधेयक में कहा गया है कि आपदाओं से संबंधित बांध से जुड़ी समस्याओं के निवारण और बांध सुरक्षा मानकों को बनाए रखने के लिए संबंधित नीति विकसित करने तथा आवश्यक नियमों की सिफारिश करने के लिए राष्ट्रीय बांध सुरक्षा समिति के गठन का भी प्रस्ताव किया है।
इस बिल के पेश होते ही बीजू जनता दल के सदस्य भर्तृहरि महताब ने विधेयक पेश किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि यह विषय इस सदन के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता क्योंकि यह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र का विषय है। इस पर मेघवाल ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 252 के तहत दो राज्यों की सहमति हो तो विधेयक लाया जा सकता है। उनका तर्क था कि इस विधेयक को आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल की राज्य सरकारों ने इसके लिए सहमति दी है। इसलिए यह विषय संसदीय अधिकार क्षेत्र में आता है। वहीं दूसरी ओर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई. पलानीस्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध करते हुए कहा- मैं एक बार फिर आपसे अनुरोध करता हूं कि आप बांध सुरक्षा विधेयक, 2018 को वापस लेने के लिए जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय को कृपया निर्देश दें। उन्होंने कहा,यह भी अनुरोध है कि जब तक तमिलनाडु की वास्तविक चिंताओं को नहीं समझा जाता है और सभी राज्यों में सर्वसम्मति विकसित नहीं होती है तब तक आप बांध सुरक्षा पर कानून की प्रक्रिया के साथ आगे न बढ़ें।
बांधों के मामले में भारत में दुनिया में तीसरे नंबर पर है। पहले व दूसरे नंबर पर क्रमश: अमेरिका और चीन है।
भारत में वर्तमान में 5,254 बड़े बांध हैं। इसके अलावा 447 बांध निर्माणधीन हैं। बड़े बांधों से चिंता का मुख्य कारण है बांधों का रख-रखाव ठीक से नहीं किया जाता है। जिससे मानव जीवन, वन्य जीवप्राणी और पर्यावरण के लिए वे मुसीबत बनते जा रहे हैं। अब तक भारत में कई बांध असफल हुए हैं। इसके कारण बड़े पैमाने पर जनहानि होने के साथ-साथ संपत्ति का भी नुकसान हुआ है। भारत में अब तक 36 बड़े बांध असफल हुए हैं।
ध्यान रहे कि गत वर्ष राजस्थान झुंझनूं जिले के मलसीसर गांव में 31 मार्च, 2017 की दोपहर ऐसा ही नजारा था। गांव में तब अचानक हाहाकार मच गया जब पास में बना बांध भरभराकर टूट गया और उसका पानी गांव में तेजी से घुस आया। मलसीसर के पास बना यह बांध 2017 के जनवरी में 588 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हुआ था। मात्र तीन माह में ही यह टूट गया।