गोंदिया में अवैध खनन आरोपों की जांच के लिए चुनाव आयोग से मंजूरी की आवश्यकता क्यों: एनजीटी

ट्रिब्यूनल ने पूछा है कि अवैध खनन के मामले में ओडिशा स्पेस एप्लीकेशन सेंटर द्वारा किए जाने वाले सर्वेक्षण के लिए चुनाव आयोग से मंजूरी की आवश्यकता क्यों है
गोंदिया में अवैध खनन आरोपों की जांच के लिए चुनाव आयोग से मंजूरी की आवश्यकता क्यों: एनजीटी
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने  29 अप्रैल, 2024 को पूछा है कि अवैध खनन के मामले में ओडिशा स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (ओआरएसएसी) द्वारा किए जाने वाले सर्वेक्षण के लिए चुनाव आयोग से मंजूरी की आवश्यकता क्यों है। मामला ढेंकनाल में गोंदिया तहसील के निहालप्रसाद गांव की धातु खदान-1 में हुए अवैध खनन के आरोपों से जुड़ा है।

न्यायमूर्ति बी अमित स्टालेकर की बेंच ने कहा कि, "हम इस बात से हैरान हैं कि कथित आपराधिक गतिविधि की जांच में किए जाने वाले सर्वेक्षण के लिए चुनाव आयोग की मंजूरी की आवश्यकता क्यों है।" अदालत ने 22 अप्रैल, 2024 को ओडिशा स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (ओआरएसएसी) के एक पत्र की समीक्षा की, जिसमें कहा गया था कि उपग्रह के आंकड़े केवल आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के समापन के बाद ही उपलब्ध होंगें। इस मामले में 22 अक्टूबर, 2023 को नोटिस जारी किए गए थे, जब कोई आदर्श आचार संहिता या चुनाव नहीं थे।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि "हम यह नहीं समझ पा रहे कि ओआरएसएसी चुनाव आयोग की मंजूरी के बिना सर्वेक्षण क्यों नहीं कर सकता और ढेंकनाल के कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट को रिपोर्ट क्यों नहीं दे सकता है।"

एनजीटी ने ढेंकनाल के कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि ओआरएसएसी रिपोर्ट के साथ हलफनामा चार सप्ताह के भीतर दाखिल करे। यदि इसका पालन नहीं किया जाता तो ट्रिब्यूनल को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एक्ट, 2010 की धारा 26 के प्रावधानों को लागू करना होगा।

दरभंगा में तालाबों पर अतिक्रमण और प्रदूषण का मामला, कोर्ट ने अधिकारियों से चार सप्ताह में मांगा जवाब

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पूर्वी बेंच ने अधिकारियों को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि 23 मार्च, 2023 को एनजीटी ने दरभंगा में तीन तालाबों को प्रभावित करने वाले अतिक्रमण और प्रदूषण के स्रोतों को हटाने का आदेश दिया था।

ऐसे में इस हलफनामे में कोर्ट ने अधिकारियों से इस बात का जवाब मांगा है कि इस आदेश का पालन करने के लिए अधिकारियों ने क्या कदम उठाए हैं। बता दें कि 23 मार्च 2023 को अपने फैसले में एनजीटी ने बिहार पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन का निर्देश दिया था। इस समिति को दरभंगा के तीन तालाबों से अतिक्रमण हटाने का काम सौंपा गया था।

एनजीटी ने निर्देश दिया था कि बिहार के दरभंगा में दिघी, हरई और गंगा सागर तालाबों को उनकी मूल स्थिति में बहाल किया जाना चाहिए। वहां पर्यावरण-अनुकूल वातावरण तैयार करने के लिए घास, झाड़ियां और पेड़ लगाकर उनके किनारों को मजबूत किया जाना चाहिए। इसका उपयोग जनता अपने सार्वजनिक मनोरंजन के लिए कर सकती है।

समिति को इन तालाबों से नालियों को दूर करने और नगर निगम के कचरे को प्रदूषित करने से रोकने के लिए उचित सीवेज प्रबंधन लागू करने का भी काम सौंपा गया था। इसके अतिरिक्त, आदेश में कहा गया है कि इन तालाबों के पास सभी अनधिकृत निर्माण और अतिक्रमण को तीन महीने के भीतर हटाया जाना चाहिए।

वहीं तालाब बचाओ अभियान (टीबीए) की ओर से दायर आवेदन में कहा गया है कि कोर्ट के आदेश का आज तक पालन नहीं किया गया है।

नागालैंड की खदान में लगी आग में छह मजदूरों ने गंवाई थी जान, एनजीटी ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मांगा जवाब

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नागालैंड में एक रैट होल खदान में लगी आग के मामले में नागालैंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और खान सुरक्षा महानिदेशालय को अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है। गौरतलब है कि इस आग में छह मजदूरों की मौत हो गई थी। ट्रिब्यूनल ने हलफनामा दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है।

गौरतलब है कि 27 जनवरी, 2024 को ‘द हिंदू ब्यूरो’ में इस घटना को उठाया गया था। इस खबर के आधार पर एनजीटी की प्रधान बेंच ने स्वतः संज्ञान में लेते हुए कार्रवाई शुरू की थी। इस मामले को बाद में एनजीटी की पूर्वी बेंच के पास स्थानांतरित कर दिया गया है।

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