प्रकाश कब बनता है प्रदूषण?

प्रकाश वांछित स्थान से अन्यत्र चला जाता है तब प्रदूषण कहलाता है। यह ग्लेयर, ट्रेसपास और स्काईग्लो के रूप में होता है
स्रोत: जर्नल ऑफ अर्बन मैनेजमेंट में प्रकाशित आरिफ अहमद का अध्ययन “स्टडिंग लाइट पॉल्यूशन एज ए इमर्जिंग एनवायरमेंट कन्सर्न इन इंडिया”
स्रोत: जर्नल ऑफ अर्बन मैनेजमेंट में प्रकाशित आरिफ अहमद का अध्ययन “स्टडिंग लाइट पॉल्यूशन एज ए इमर्जिंग एनवायरमेंट कन्सर्न इन इंडिया”
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इस कड़ी में समझिए कि आखिर प्रकाश प्रदूषण किसे कहते हैं और यह कितने प्रकार का होता है?

ट्रेसपास : जब प्रकाश तयशुदा स्थान से अन्यत्र चला जाता है तब उसे ट्रेसपास या स्पिलओवर कहते हैं। उदाहरण के लिए जब अवांछित प्रकाश किसी घर या इमारत में प्रवेश करता है, तब ट्रेसपास होता है। हम अक्सर देखते हैं कि सड़कों पर होने वाली रोशनी दरवाजों या खिड़कियों के जरिए लोगों के घरों में प्रवेश कर जाती है और नींद में खलल या अनिद्रा का कारण बनती है।

स्काईग्लो : स्काईग्लो का मतलब है- आसमान की चमक में वृद्धि। यह वृद्धि शहरी क्षेत्रों के आसमान में छाए रोशनी के गुबार के रूप में दिखती है। स्काईग्लो से प्रभावित इलाकों का आसमान काले के बजाय सफेद-मटमैला या नारंगी रंग का दिखाई देता है। अत्यधिक चमक होने पर यह हल्का पीला भी दिखाई दे सकता है। इस चमक के कारण तारों और ग्रहों को पहचानने में मुश्किलें आती हैं। हो सकता कि ये बिलकुल भी दिखाई न दें। अंतरराष्ट्रीय गैर लाभकारी संगठन डार्क स्काई के अनुसार, दुनिभया का 23 प्रतिशत भूमिक्षेत्र स्काईग्लो से प्रभावित है। इसके कारण 50 प्रतिशत से अधिक अमेरिका और 88 प्रतिशत यूरोप में आकाशगंगा दिखाई देनी बंद हो गई है। स्काईग्लो मुख्य रूप से खिड़की से बाहर निकलने वाली रोशनी, सफेद एलईडी स्ट्रीट लाइट, लटकन रोशनी, खुली स्टेडियम लाइट, एलईडी बिलबोर्ड व साइनबोर्ड, पार्किंग की रोशनी और सुरक्षा रोशनी के कारण होता है। यह किसी क्षेत्र का संयुक्त प्रकाश होता है जो आसमान की ओर जाता है।

ग्लेयर : यह अत्यधिक चमक या चकाचौंध है। जब तेज रोशनी आंखों पर पड़ती है और उसके प्रभाव से दिखाई देखने की क्षमता पर असर पड़ता है, तब ग्लेयर की स्थिति बनती है। आमतौर पर वाहनों के हेडलाइट्स या स्ट्रीटलाइट्स सीधे आंखों पर पड़ने पर ऐसा होता है। मौजूदा समय में ऐसे हालात अक्सर सड़क पर चलते समय बनते रहते हैं और कई बार तो यह अनियंत्रित प्रकाश हादसों का कारण भी बनता है। प्रकाश प्रदूषण की उपरोक्त तीन प्रमुख श्रेणियों के अलावा लाइट क्लटर और ओवर इल्यूमिनेशन को भी इसमें जोड़ा गया है। लाइट क्लटर तब होता है जब चमकीली रोशनी के कई भ्रमित करने वाले समूह मौजूद होते हैं। ओवर इल्यूमिनेशन से तात्पर्य जरूरत से अधिक रोशनी के इस्तेमाल से है। जैसे बहुत सी खाली इमारतों या ऐतिहासिक स्थलों पर जरूरत न होने पर ध्यान आकर्षित करने के लिए रोशनी की व्यवस्था रहती है।

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