गंगा में मिलने वाले नालों में दूषित पानी छोड़ रहे कानपुर के चमड़ा कारखाने

आरोप है कि जाजमऊ के गज्जूपुरवा, शीतला बाजार, मोती नगर, सरैया और वाजिदपुर जैसे इलाकों में चमड़ा फैक्ट्रियां खुलेआम दूषित पानी नालों में बहा रही हैं
गंगा में मिलता प्रदूषण, प्रतीकात्मक तस्वीर; फोटो: विकास चौधरी
गंगा में मिलता प्रदूषण, प्रतीकात्मक तस्वीर; फोटो: विकास चौधरी
Published on

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) का कहना है कि कानपुर के चमड़ा कारखाने नालों में खुलेआम दूषित पानी छोड़ रहे हैं। गौरतलब है कि यह नाले आगे गंगा नदी में मिलते हैं। ऐसे में तीन सितम्बर 2024 को ट्रिब्यूनल ने कहा कि मामले ने पर्यावरण मानदंडों के पालन से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए हैं।

एनजीटी ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), कानपुर के जिला मजिस्ट्रेट और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को अगली सुनवाई से कम से कम एक सप्ताह पहले अपना जवाब हलफनामे पर दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 27 नवंबर, 2024 को होनी है।

यह मामला कानपुर के रहने वाले रजत वर्मा द्वारा भेजी एक पत्र याचिका के आधार पर दर्ज किया गया था। अपनी याचिका में उन्होंने कानपुर में अवैध रूप से चल रहे चमड़ा कारखानों को लेकर शिकायत की थी। उन्होंने पत्र में यह भी कहा है कि सरकारी नियमों के अनुसार, इन कारखानों को चरणबद्ध तरीके से केवल 15 दिन ही चलने की अनुमति है, लेकिन वे हर महीने पूरे 30 दिन चल रहे हैं।

उन्होंने अपने पत्र में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) तक जाने वाली टूटी पाइपलाइन का भी मुद्दा उठाया है, जिसकी वजह से दूषित पानी गंगा में मिल रहा है। पत्र याचिका में यह भी आरोप लगाया है कि जाजमऊ के गज्जूपुरवा, शीतला बाजार, मोती नगर, सरैया और वाजिदपुर जैसे इलाकों में चमड़ा फैक्ट्रियां खुलेआम दूषित पानी नालों में बहा रही हैं।

इस पत्र याचिका में अवैध रूप से चल रहे चमड़ा कारखानों के नामों का भी खुलासा किया गया है। उनका आरोप है इन कारखानों को उच्च अधिकारियों द्वारा निरीक्षण के बारे में पहले से ही सूचना दे दी जाती है। इससे चमड़ा कारखानों के मालिक पहले ही सतर्क हो जाते हैं, इससे वे अपने उल्लंघनों को छुपाने में सक्षम हो जाते हैं।

पचमढ़ी हवाई पट्टी के मामले में एनजीटी में हुई सुनवाई, इको सेंसिटिव जोन से जुड़ा है मामला

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने तीन सितंबर, 2024 को पचमढ़ी हवाई पट्टी के मामले पर सुनवाई की है। इस हवाई पट्टी को 1200 मीटर से बढ़ाकर 1800 मीटर करने की योजना है।

इस मामले में शिकायत दर्ज कराने वाले ब्रजेश कुमार भारद्वाज का कहना है कि यह हवाई पट्टी पचमढ़ी हिल्स के इको सेंसिटिव जोन में नियमों का उल्लंघन कर रही है। मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम में मौजूद यह क्षेत्र यूनेस्को बायोस्फीयर रिजर्व का हिस्सा है।

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने दलील दी है कि वहां अभी कोई निर्माण गतिविधि नहीं चल रही है। वन विभाग ने परियोजना को रोकने का आदेश दिया है। कोर्ट को यह भी जानकारी दी गई है कि इस मामले को ईको सेंसिटिव जोन, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की मॉनिटरिंग कमेटी को भेजा गया है और उन्होंने 23 जुलाई 2024 को हुई बैठक में इस मामले पर चर्चा की है।

ऐसे में राज्य की ओर से पेश वकील ने रिपोर्ट दाखिल करने के लिए और समय मांगा है। एनजीटी ने आदेश दिया कि सभी जवाब तीन सप्ताह के भीतर जमा किए जाने चाहिए। इस मामले में अगली सुनवाई 22 अक्टूबर, 2024 को होगी।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in