चंडीगढ़ में प्रदूषण से बिगड़े हालात, दिल्ली में भी सुधार के बावजूद जानलेवा है हवा

देश के दूसरे शहरों को पीछे छोड़ चंडीगढ़ सबसे प्रदूषित शहर बन गया है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़कर 373 पर पहुंच गया है
चंडीगढ़ में प्रदूषण से बिगड़े हालात, दिल्ली में भी सुधार के बावजूद जानलेवा है हवा
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देश के दूसरे शहरों को पीछे छोड़ चंडीगढ़ सबसे प्रदूषित शहर बन गया है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़कर 373 पर पहुंच गया है। वहीं यदि दिल्ली की बात करें तो कल के मुकाबले प्रदूषण में कमी जरूर आई है, लेकिन इसके बावजूद देश की राजधानी में प्रदूषण का स्तर लोगों को बेहद बीमार करने के लिए काफी है। ऐसा नहीं की प्रदूषण केवल देश के इन बड़े शहरों तक ही सीमित है।

इस मामले में छोटे शहर भी ज्यादा पीछे नहीं हैं। आंकड़ों की माने तो अगरतला (303), अररिया (303), आरा (306), बद्दी (368), बालासोर (312), भागलपुर (324), हनुमानगढ़ (306), रूपनगर (325) और सहरसा (366) सहित 11 शहरों में हालात खराब है। इसके साथ ही देश छोटे-बड़े 54 अन्य शहरों में भी स्थिति दमघोंटू बनी हुई है। इनमें छपरा, चुरू, कटक, देहरादून, दुर्गापुर, फरीदाबाद और फतेहाबाद जैसे शहर शामिल हैं। आंकड़ों से यह भी पता चला है कि देश के 11 शहरों में हवा 'बेहतर' है, लेकिन इसके बावजूद यह शहर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी मानकों पर पूरी तरह खरे नहीं हैं।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 20 जनवरी 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 246 में से महज 11 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 72 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 98 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

हिसार-कैथल सहित 54 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि अगरतला-हनुमानगढ़ सहित 11 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है। 

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 19 अंक गिरकर 329 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 233, गाजियाबाद में 245, गुरुग्राम में 253, नोएडा में 221, ग्रेटर नोएडा में 214 पर पहुंच गया है।

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 151 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 129, चेन्नई में 81, चंडीगढ़ में 373, हैदराबाद में 67, जयपुर में 196 और पटना में 277 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन 11 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अमरावती 41, अरियालूर 32, चामराजनगर 43, गंगटोक 41, कडपा 44, मदिकेरी 38, पालकालाइपेरुर 27, रामनाथपुरम 41, सलेम 50, तिरुपति 48, और उडुपी 42 शामिल रहे।

वहीं आगरा, आइजोल, अजमेर, अलवर, अनंतपुर, बागलकोट, बरेली, बाड़मेर, बठिंडा, बेलगाम, बीदर, बिलासपुर, ब्रजराजनगर, चेन्नई, छाल, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, चित्तूर, दावनगेरे, धारवाड़, एलूर, फिरोजाबाद, गडग, हसन, हावेरी, हुबली, हैदराबाद, इंदौर, जलगांव, कलबुर्गी, कन्नूर, कारवार, काशीपुर, खुर्जा, कोच्चि, कोहिमा, कोलार, कोल्हापुर, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, मांडीखेड़ा, मंगलौर, मिलुपारा, मुरादाबाद, मैसूर, नाहरलगुन, नारनौल, ऊटी, प्रतापगढ़, पुदुचेरी, रायचुर, राजमहेंद्रवरम, रामानगर, ऋषिकेश, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, सिरोही, शिवसागर, सूरत, टेंसा, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुपुर, तुमिडीह, वाराणसी, वातवा, वृंदावन, और यादगीर, आदि 72 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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