दिल्ली में फिर बढ़ा प्रदूषण का कहर, 361 पर पहुंचा एक्यूआई, 17 अन्य शहरों में भी जानलेवा हुए हालात

देश में ऐसा एक भी शहर नहीं है जहां वायु गुणवत्ता को स्वास्थ्य के नजरिए से सुरक्षित समझा जा सके।
हवा में घुलता जहर; फोटो: आईस्टॉक
हवा में घुलता जहर; फोटो: आईस्टॉक
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दिल्ली में प्रदूषण ने एक बार फिर करवट ली है, जिसके बाद वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़कर 361 पर पहुंच गया है। ऐसा नहीं है कि प्रदूषण केवल दिल्ली जैसे बड़े शहरों तक ही सीमित है। इसका जहर पूरे देश को अपने आगोश में ले चुका है। 18 शहरों में तो स्थिति ऐसी है कि सांस लेना तक दुश्वार हो गया है। आंकड़ों की मानें तो मुजफ्फरनगर देश का सबसे प्रदूषित रहा, जहां एक्यूआई 394 पर पहुंच गया है। वहीं बेगूसराय में भी हवा बेहद खराब है और सूचकांक 370 दर्ज किया गया है।
यदि देश के सबसे साफ शहर की बात करें तो आइजोल में वायु गुणवत्ता सूचकांक 24 रिकॉर्ड किया गया है। हालांकि वहां भी प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों पर खरा नहीं है। मतलब की देश में ऐसा एक भी शहर नहीं है जहां वायु गुणवत्ता को स्वास्थ्य के नजरिए से सुरक्षित समझा जा सके।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 21 दिसंबर 2023 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश के 247 में से महज सात शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 46 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 118 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

भुवनेश्वर-अमरावती सहित 58 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि भागलपुर-हनुमानगढ़ सहित 18 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है। यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 76 अंक बढ़कर 361 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 238, गाजियाबाद में 337, गुरुग्राम में 246, नोएडा में 356, ग्रेटर नोएडा में 337 पर पहुंच गया है। 

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 157 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 260, चेन्नई में 140, चंडीगढ़ में 275, हैदराबाद में 112, जयपुर में 228 और पटना में 300 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन सात शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल 24, चामराजनगर 40, मदिकेरी 34, नाहरलगुन 49, ऊटी 40, सिलचर 29 और शिवसागर 50 शामिल रहे।

वहीं आगरा, अलवर, बागलकोट, बांसवाड़ा, बाड़मेर, बेलगाम, बेंगलुरु, ब्रजराजनगर, छाल, चिक्कामगलुरु, दमोह, दुर्गापुर, एलूर, गांधीनगर, गंगटोक, हसन, जलगांव, कडपा, कलबुर्गी, कन्नूर, करौली, काशीपुर, कोहिमा, कोल्लम, कोप्पल, कोरबा, मैहर, मंगुराहा, मैसूर, पालकालाइपेरुर, पलवल, प्रतापगढ़, रामानगर, रतलाम, ऋषिकेश, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सिलीगुड़ी, सूरत, तिरुवनंतपुरम, उडुपी, वाराणसी, वातवा, विजयवाड़ा, और वृंदावन आदि 46 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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