उत्तरी सागर में तेल और गैस निकालने से समुद्र के आधे किलोमीटर के भीतर प्रदूषण में 10 हजार फीसदी से अधिक की वृद्धि हो सकती है, इस चिंताजनक जानकारी का खुलासा एक नए अध्ययन में किया गया है।
इस अध्ययन को एसेक्स विश्वविद्यालय, प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय और पर्यावरण, मत्स्य पालन और जलीय कृषि विज्ञान केंद्र के शोधकर्ताओं ने मिलकर अंजाम दिया है। इस अध्ययन के द्वारा समुद्री जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की जानकारी सामने रखी गई है। जिसमें कहा गया है कि इन औद्योगिक इकाइयों के आस-पास प्रजातियों की संख्या में लगभग 30 फीसदी की गिरावट आई है।
अध्ययन में प्रकाशित ये निष्कर्ष दुनिया भर में जीवाश्म ईंधन की निरंतर खोज के मद्देनजर सामने आए हैं। अध्ययन में पाया गया कि हाइड्रोकार्बन जैसे प्रदूषक, औद्योगिक इकाइयों के 500 मीटर के भीतर, दूर वाली जगहों की तुलना में 10,613 फीसदी अधिक पाए गए। भारी धातुएं - जैसे सीसा, तांबा और निकल - समान दूरी के भीतर 455 फीसदी अधिक पाए गए।
समुद्री जीवन पर बुरा असर
अध्ययन में कहा गया है कि औद्योगिक इकाइयों के आस-पास दशकों से प्रदूषक जमा हो रहे हैं और यह अध्ययन समुद्री अकशेरुकी जीवों पर इनका सीधा प्रभाव दिखाता है। अकशेरुकी जीव पानी के नीचे के पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और मछली जैसे बड़े जानवरों के लिए भोजन के रूप में कार्य करते हैं।
साइंस ऑफ द टोटल एनवायरनमेंट में प्रकाशित अध्ययन में स्कॉटलैंड और इंग्लैंड के तट से दूर नौ तेल और गैस इकाइयों पर 1981 से 2012 तक एकत्र 4,216 प्रजातियों के आंकड़ों की जांच की गई, जहां दूषित तलछट में प्रजातियों की हर एक की संख्या में कमी देखी गई।
खाद्य जाल - जो पारिस्थितिकी तंत्र में प्रजातियों के बीच भोजन के आदान-प्रदान के नेटवर्क की तरह काम करते हैं, तेल और गैस इकाइयों के 500 मीटर के भीतर तलछट से भी छोटे हो गए हैं। स्टारफिश जैसे बड़े शिकारी इन इकाइयों के आस-पास से गायब हो गए हैं, जबकि छोटे जीव प्रदूषित तलछट में पनपने में सक्षम पाए गए।
शोधकर्ताओं का कहना है कि हम कुछ समय से जानते हैं कि हाइड्रोकार्बन निकालने से जैव विविधता प्रभावित हो सकती है, लेकिन यह पहली बार है जब कई इकाइयों के आस-पास इस तरह के रुझान पाए गए हैं।
तेल और गैस उत्पादन शुरू होने के बाद इन इकाइयों के पास प्रजातियों की संख्या और प्रकार में सामान्य कमी के साथ, विविधता और संरचना में स्पष्ट बदलाव देखा जा रहा है।
शोध के मुताबिक, एक इकाई के 500 मीटर के अंतर्गत पड़ने वाले प्रभाव, 500 मीटर से 1500 मीटर के भीतर बफर जोन और उससे आगे अप्रभावित क्षेत्रों को परिभाषित करने के लिए रासायनिक आंकड़ों का उपयोग किया गया।
इसके बाद शोधकर्ताओं ने हर एक क्षेत्र से जैविक नमूनों की जांच की, जो 1981 और 2012 के बीच प्रत्येक इकाई पर तेल और गैस के उत्पादन शुरू होने से पहले और बाद में लिए गए थे।
शोधकर्ताओं ने दिखाया कि प्रभाव वाली जगहों में प्रजातियों की प्रचुरता में 28 फीसदी की गिरावट आई है, साथ ही इकाइयों के करीब खाद्य जाल भी कम हो गए हैं।
इनमें से कई इकाइयों को आने वाले दशक में बंद कर दिया जाएगा और हमें उद्योग और सरकार के साथ मिलकर काम करना होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बंद करने की प्रक्रिया विज्ञान के अनुसार हो और सुरक्षित तरीके से की जाए।
महासागर हमारे सबसे बड़े प्राकृतिक संसाधनों में से एक है, खासकर जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए और हमें भविष्य की पीढ़ियों के लिए इसके स्वास्थ्य की रक्षा के लिए मिलकर काम करना होगा।
यह अध्ययन 30 सालों के फील्ड के आंकड़ों पर आधारित है, जो बताता है कि तेल और गैस संचालन जटिल समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को आसान बनाते हैं, छोटी, शक्तिशाली प्रजातियों को फयदा पहुंचाते हैं और नाजुक समुद्री जीवन को खत्म कर देते हैं।
शोध में कहा गया है कि इस पर और अधिक शोध किए जाने की आवश्यकता है, हम अपने ग्रह के भविष्य के लिए सबसे अच्छा समाधान खोजने के लिए तेल रिग के बंद होने के बाद उनसे निपटने के सबसे अच्छे तरीकों को लागू करने की उम्मीद करते हैं।